शारीरिक बीमारियों को लेकर हम काफी सजग हो गए हैं लेकिन मानसिक परेशानियों को लेकर अभी भी हम झेंप जाते हैं। इस बारे में बात नहीं कर पाते। हमारे समाज में मानसिक बीमारी का अर्थ केवल पागल होने से लगाया जाता है लेकिन असल में ऐसा नहीं है। कई तरह की मानसिक बीमारियां होती हैं जैसे कि कोई शारीरिक बीमारी। इन्हीं मानसिक बीमारियों के बारे में गाँव कनेक्शन ने बात की मेंटल वेलनेस कोच शिल्पी वर्मा से और जानना चाहा कि मानसिक परेशानियों को हम कैसे पहचान सकते हैं और कैसे इनसे बचा जा सकता है।
“आजकल हम देखते हैं कि बहुत सारी मानसिक परेशानियां लोगों को होने लगी हैं। आप देखते होंगे कि कोई भी शारीरिक परेशानी होने पर लोग तुरन्त डॉक्टर के पास चले जाते हैं लेकिन अगर कुछ हमें अन्दर-अन्दर ही परेशान कर रहा होता है, मानसिक रूप से हमें कोई दिक्कत होती है तो हम कोई मदद नहीं मांगते। न ही किसी से बात करने की कोशिश करते हैं कि कहीं से हमें कोई सुझाव मिल सकता है या कोई समाधान मिल सकता है, ” मेंटल वेलनेस कोच शिल्पी वर्मा बताती हैं।
शिल्पी वर्मा कहती हैं, “हमारे समाज में ऐसा क्यों है? मानसिक बीमारियों को लेकर अभी भी जागरुकता क्यों नहीं है? तो ऐसा क्या हो हमारे लिए कि हम इन सारी परेशानियों से निजाद पा सकें और अपने जीवन में खुश रह सकें।”
वो बताती हैं कि “आपको एक उद्देश्य अपनी ज़िन्दगी में ढूंढना है जिससे आपको खुशी मिले। अगर आप खुश रहेंगे तो बाकी चीज़ें चाहे वो रोटी हो, कपड़ा हो, मकान हो, रिश्तेदारी हो सब अपने आप आ जाएंगे। आपको बस चलता फिरता एक खुशहाल इन्सान बनना है। अपने चेहरे पर एक मुस्कान रखनी है।”
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“आज हम लोग अपनी खुशी के लिए भौतिकवादी वस्तुओं पर ज़्यादा आश्रित हो गए हैं लेकिन सच्चाई ये है कि जितना आप भीतर से खुश होंगे वही खुशी ज़िन्दगी में आपके साथ रहेगी। लोग इसलिए परेशान होते हैं कि मुझे आज इस चीज़ की ज़रूरत है, मुझे आज इस रिश्ते में परेशानी आ रही है लेकिन आप सच में क्या अपने आप से खुश हैं?” – शिल्पी आगे कहती हैं।
वो कहती हैं, “सबसे ज़्यादा परेशानी वहीं आती है जहां हम दूसरों से अपेक्षाएं रखना शुरू कर देते हैं। दूसरों के लिए एक सोच बनाना शुरू कर देते हैं पर हर किसी के लिए सही-गलत अलग होता है। आपको जो सही लग रहा है वो आपके लिए ठीक है, दूसरे को जो सही लग रहा है वो उसके लिए ठीक है। जितना ज़्यादा आप खुद के साथ खुश रहेंगे उतना ही दूसरों को भी खुशी दे पाएंगे।”
शिल्पी बताती हैं कि, हमारा अवचेतन दिमाग बहुत मजबूत होता है। हम जो कुछ भी कर रहे होते हैं वो अपने अवचेतन दिमाग से ही करते हैं। अगर हम अपने अवचेतन दिमाग पर काम करना शुरू कर दें तो ज़िन्दगी में जितनी परेशानियां आ रही हैं वो खत्म होनी शुरू हो जाएंगी।
वो कहती हैं, “हम सोचते हैं कि हमें काम करना है, पैसा कमाना है ताकि अपनी ज़िन्दगी जी सकें पर ऐसा भी तो हो सकता है कि आप अपने काम को ही मज़े के साथ कर सकते हैं। बहुत सारी कम्पनियां हैं जिन्होंने ऐसे कार्यक्रम चला रखे हैं जैसे गुगल है, वहां लोग मज़े के साथ काम करते हैं। बीच में जब समय मिलता है तो जिम जाते हैं। इस तरह से आपके ऊपर काम का दबाव कम होता है।”
“ये शोध से पता चल चुका है कि 70 प्रतिशत शारीरिक बीमारियां मानसिक बीमारियों के कारण होती हैं और मानसिक बीमारी तब होती है जब आप तनाव में होते हैं या जब आपके ऊपर काम का अत्याधिक दबाव होता है, परिवार का दबाव होता है, ज़िम्मेदारियों का दबाव होता है। जब आपके ऊपर दबाव नहीं होगा तो आपका शरीर भी आपका साथ देगा तो जितना ज़्यादा आप मानसिक रूप से स्वस्थ्य होंगे उतना ही शारीरिक रूप से भी स्वस्थ्य होंगे,” – शिल्पी कहती हैं।
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