सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। इस गोशाला में कमजोर गोवंश इलाज के अभाव में गोवंश मर रहे हैं, जिंदा पशुओं को कौए नोच रहे हैं, लेकिन कोई देखने वाला नहीं है। जबकि प्रदेश सरकार ने सख्त निर्देश दिए हैं कि गोवंश आश्रय स्थल में पशुओं का खास ध्यान रखा जाए।
उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद के सदर तहसील की ऐलिया के देवई गाँव मे बनी अस्थाई गौशाला में अब पचास से अधिक गोवंश इलाज के अभाव में मर चुके हैं। गौशाला में तैनात डॉ एसके सिंह कहते हैं, “गौशाला में इलाज कैसे हो जानवरों को पकड़ने के लिए मजदूरों की आवश्यकता होती है। लेकिन यहां पर सिर्फ दो मजदूर हैं।”
हाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाराबंकी, रायबरेली, हरदोई, प्रयागराज समेत 5 जिलों में गोशालाओं में बदइंतजामी के कारण कई गायों की मौत हो गई थीं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या और मिर्जापुर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया था साथ ही इन दोनों जिलों के आठ अधिकारियों को निलंबित भी किया था। इसके साथ ही गोशालाओं में उचित इंतजाम न होने के कारण मुख्यमंत्री गोवंश आश्रय स्थल की पूरी जिम्मेदारी जिलाधिकारी और सीवीओ को सौंपते हुए कहा था कि गोवंश के चारे, टीकाकरण और शेड निर्माण का समुचित प्रबंध किया जाए।
जब इस बारे में ग्राम प्रधान प्रतिनिधि गुड्डू अंसारी ने बताया, “गायों के इलाज को लेकर डॉक्टर देख रेख करते हैं। जो बुजुर्ग गाय हैं वो इलाज के बावजूद भी दम तोड़ देती हैं।”
जबकि पशुचिकित्सा अधिकारी रविन्द्र प्रताप यादव ने कहा कि गौशाला में एक करोड़ दस लाख रुपये भेजा जा चुका है, वह पूरी तरह से खर्च हो चुका है, अभी एक करोड़ एक लाख रुपये और आया है वो भेजा जा रहा है, रही बात गौशाला में घायल पशुओं की उसके लिए डॉक्टर तैनात किए गये हैं, इसके बावजूद भी कही लापरवाही सामने आती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
पशुपालन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार देशभर में, खासकर उत्तर प्रदेश में छुट्टा गोवंश बड़ी समस्या बने हुए हैं। यूपी में राज्य सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध के बाद पिछले 3-4 वर्षों में ये समस्या और बढ़ गई। फसल बचाने के लिए किसानों की रातें खेतों में बीत रहीं, तो सड़क पर वाहन चालकों के लिए ये पशु समस्या बने हुए हैं। हंगामा बढ़ने पर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य में ब्लॉक और न्याय पंचायत स्तर पर गोवंश आश्रय खोलने का निर्णय लिया। अस्थाई गोवंश आश्रय खोलने की शुरुआत जनवरी 2019 में हुई थी। 10 जनवरी को प्रदेश के सभी जिलों में आश्रय खोलने के निर्देश दिए गए। सरकार ने इसके लिए 200 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया था।
योगी सरकार ने अपने तीसरे बजट में गोवंश के संवर्धन, संरक्षण, ग्रामीण क्षेत्रों में अस्थाई गोशालाएं, शहरी इलाकों में कान्हा गोशाला और बेसहारा पशुओं के रखरखाव के लिए अलग-अलग मदों में 612.60 करोड़ रुपए का इंतजाम किया था। इनमें से 248 करोड़ रुपए ग्रामीण इलाकों के लिए थे। जमीन पर हालात वैसे नहीं दिखे जैसे होने चाहिए थे।