वायनाड में इंसान ही नहीं जानवरों की मदद के लिए भी उठे हाथ

वायनाड की तबाही के बीच कुछ ऐसी भी कहानियाँ सामने आईं हैं, जिन्हें पढ़कर आपको लगेगा की अभी भी उम्मीद जिंदा है।

केरल के वायनाड की तबाही में हज़ारों लोग प्रभावित हुए हैं, हर कोई इस समय लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पशुओं की मदद कर रहे हैं।

पशु संरक्षण संगठन ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल/इंडिया वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन और बाढ़ से प्रभावित सैकड़ों पशुओं को चारा-पानी उपलब्ध करा रहा है। भूस्खलन, जिसने सैकड़ों लोगों की जान ले ली है, ने सैकड़ों जानवरों को फँसा दिया है, फंसे हुए हैं, घायल हैं और उन्हें खाना और चिकित्सा की सख्त ज़रूरत है।

ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल/इंडिया में आपदा तैयारी, राहत विभाग के प्रबंधक प्रवीण सुरेश ने बताते हैं, “वायनाड के मुंदक्कई और चूरलमाला वार्डों में बहुत सारे जानवर खतरे में हैं। भूस्खलन के कारण होने वाली तबाही की सीमा कुछ ऐसी है जिसकी हमने उम्मीद नहीं की थी। हम हर ज़रूरतमंद जानवर को राहत प्रदान करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं।”

वो आगे कहते हैं, “अगर किसी को सड़क पर रहने वाले, पालतू या अन्य जानवरों के लिए मदद की ज़रूरत है, तो हम उनसे तुरंत हमसे संपर्क करने का अनुरोध करते हैं।”

संगठन केरल के वायनाड जिले में इंसानों और जानवरों दोनों के लिए आपदा-रोधी जिला बनाने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जानवरों और उनके मालिकों के परिवारों की सुरक्षा के लिए समुदायों और प्रशासन के साथ बाढ़ की तैयारी के प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं।

आपदा में उम्मीद की कहानी

ह्यूमन सोसायटी इंटरनेशनल/India की टीम ने एक दिल छू लेने वाली कहानी साझा की है। ऐसी कहानियाँ जो आपदा में उम्मीद की किरण दिखाती हैं।  

वायनाड भूस्खलन के बाद, जानवरों के लिए हमारे राहत कार्यों के दौरान, हमने एक छोटी, खाली पड़ी इमारत में एक छोटे से कुत्ते को देखा जिसे मदद की ज़रूरत थी। भूखा-प्यासा वो छोटा सा बच्चा घायल था, शरीर पर कई छोटे-छोटे घाव थे। उसकी आँखें भूख और डर में बिताए दिनों की कहानी बयाँ कर रही थीं। जब हम पहली बार वहाँ पहुँचे, तो उसने खाने से इनकार कर दिया।

धीरे-धीरे, हमारी टीम ने उसके घावों का इलाज करना शुरू किया, उसे क्लीनिक ले गए और उसे पानी और खाना दिया। और, हमने उसकी आँखों में उम्मीद की किरण लौटते हुए देखी।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उसे एक प्यार भरे घर की ज़रूरत थी जहाँ वह सुरक्षित महसूस कर सके। तभी वायनाड के रहने वाले कृष्णनकुट्टी ने कदम बढ़ाया। बिना किसी हिचकिचाहट के, कृष्णनकुट्टी ने अपना दिल और घर खोल दिया, कुत्ते को वह परिवार और प्यार दिया जिससे वह इतने लंबे समय से वंचित था। 

Recent Posts



More Posts

popular Posts