किसान आत्महत्या: “किसानी के कर्ज़ और मां की मर्ज़ के खर्च़ से परेशान है मेरा परिवार, पिता ने इसीलिए दी जान”

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 63 साल के एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। किसान ने दो सुसाइड नोट भी छोड़े हैं। पीड़ित परिवार के मुताबिक पिछले दिनों बारिश से बर्बाद हुई फसल से वो बहुत टेंशन में थे।
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संडीलवा (लखीमपुर खीरी)। दोपहर के करीब एक बज रहे थे, गांव के बाहर मैदान में नाई लोगों का मुंडन कर रहा था, कुछ लोग चुपचाप बैठे थे। कुछ लोग मरने वाले किसान के स्वभाव पर चर्चा कर रहे थे, तो कुछ लोग उनके परिवार की स्थिति पर, कुछ लोग पिछले दिनों इलाके में बाढ़-बारिश से हुई तबाही पर मौसम को कोस रहे थे। ये लोग किसान अनिल कुमार सिंह के क्रिया क्रम में हिस्सा लेने आए थे।

वहीं पर गुमशुम बैठे अनिल कुमार सिंह के छोटे बेटे जितेंद्र सिंह (30 वर्ष) ने भावुक होकर कहा, “किसानी का कर्ज़, मां के मर्ज तले दबा परिवार काफी परेशान है। पिछले दिनों हुई बारिश से फसल भी बर्बाद हो गई थी। इससे परेशान होकर पिता जी ने आत्महत्या कर ली। मेरे परिवार पर मुसीबतों के बादल मंडरा रहे हैं।”

कुछ रुककर जितेंद्र सिंह ने कहा, “जो मुसीबत मेरे पिता जी के सामने थी वहीं अब हम लोगों पर है। इतना कर्ज़ है चुकाएंगे कहां से?, इस महंगाई में परिवार चलाना ही मुश्किल काम है। माता जी के कैंसर के इलाज में अलग से हर महीने हजारों रुपए खर्च होते हैं।”

मृतक किसान अनिल कुमार सिंह 63 साल के थे वो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के मितौली तहसील के संडीलवा गांव में रहने वाले थे। संडीलवा गांव दिल्ली से करीब 450 और लखनऊ से करीब 130 किलोमीटर दूर है। 29 अक्टूबर को अनिल का शव उनके खेत पर पेड़ से लटका मिला था। उनके पास से दो सुसाइड नोट मिले थे, जिसमें उन्होंने पिछले दिनों (17-19 अक्टूबर) को हुई भीषण बारिश के चलते फसल बर्बादी, कर्ज़, अपने कोरोना के चलते खराब फेफड़ों का जिक्र किया है।

अनिल कुमार सिंह के पास करीब 7 एकड़ जमीन है। और उनपर दो बैंकों का करीब 2 लाख रुपए का कर्ज़ है। अनिल कुमार सिंह के तीन बेटे हैं। बड़े बेटे का नाम रविनेश कुमार सिंह, बाकी दो बेटों के नाम जितेंद्र सिंह, शैलेंद्र कुमार सिंह हैं। उनकी 55 वर्षीय पत्नी रामलक्ष्मी पिछले चार सालों से कैंसर से ग्रस्त हैं। तीनों बेटे शादीशुदा हैं और कुल 11 लोगों का परिवार है। अनिल के परिजनों के मुताबिक उनका जीवन अच्छे से चल रहा था, लेकिन बीच में कई घटनाएं ऐसी हो गईं, जिन्होंने परिवार को गरीबी की तरफ धकेल दिया।

जितेंद्र सिंह कहते हैं, “मेरे पिता जी काफी समझदार और बोलने में तेज आदमी थे। हमारी मां को कैंसर है करीब 4 साल से उनका इलाज चल रहा है। 11 साल पहले मां को सांड़ ने सींग मार दी थी, उनका पेट फट गया था और आंतें बाहर आ गईं, उस वक्त बहुत पैसा इलाज में लग गया था। पिता को मां के इलाज के लिए साहूकार से कर्ज़ लेना पड़ा था।

उसी समय समय से हमारे घर की परिस्थियां बिगड़ गईं।” परिजनों के मुताबिक पेट के इलाज से लेकर कैंसर तक जारी इलाज में करीब 7 लाख रुपए खर्च हुए हैं।

अनिल सिंह के बड़े बेटे रविनेश सिंह गांव कनेक्शऩ को बताते हैं, “कर्ज़ तो था ही पिछले दिनों फसल बर्बाद होने से वो परेशान रहते थे। उन्हें मई में कोरोना भी हो गया था, जिससें उन्हें फेफड़ों में इंफेक्शन हो गया था।”

दो बैंकों से 2 लाख का है कर्ज़

परिजनों के मुताबिक अनिल कुमार सिंह ने स्थित पंजाब नेशनल बैंक (पिपरझला) से साल 2007 में खेती के लिए किसान क्रेडिट कार्ड पर 56000 रुपये लोन लिया था। इसके अलावा साधन सहकारी समिति से 76410 रुपए का लोन लिया था। जिसकी वसूली के लिए लगातार दोनों बैंकों की तरफ से नोटिस आ रहे थे।

जितेंद्र सिंह बताते हैं, “परिवार के हालात काफी खराब थे, मां के इलाज के चलते पैसे जमा नहीं हो पाए थे। तो खाता बंद (एनपीए) हो गया। बैंक व समिति से नोटिस दी जा रही थी। पिता जी के अलावा माता जी के नाम पर भी करीब डेढ़ लाख रुपए कर्ज़ है।”

साल 2009 में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए की सरकार में जब पूरे देश में कर्ज़माफी हुई थी तो अऩिल सिंह का कर्ज़माफ नहीं हो पाया था। वहीं 2017 में उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार में आई किसान ऋण मोचन योजना का भी लाभ नहीं मिल पाया था, उनका कर्ज़ माफ नहीं हुआ था।

जितेंद्र के मुताबिक कर्ज़ माफी और लोन के संबंध में जानकारी के लिए जब भी पिता जी बैंक जाते थे तो मैनेजर उनके भगा देता था, इसकी शिकायत उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक के क्षेत्रीय महाप्रबंधक, लखनऊ से खत के जरिए की थी।

दो-दो बार कर्ज़माफी योजना के बावजूद अऩिल कुमार सिंह का कर्ज़माफ क्यों नहीं हुआ?

इस सवाल के जवाब में तहसीलदार मितौली अवधेश ने गांव कनेक्शन को बताया, “मृतक किसान अनिल कुमार सिंह के पास 2.214 हेक्टेयर जमीन है। ऋण मोचन लघु सीमांत किसानों का हुआ था। ये किसान पात्रता सूची से बाहर थे।”

योजना के तहत एक हेक्टेयर या उससे कम जोत वाले किसानों के एक लाख तक कर्ज़ माफ किए गए थे। सरकार का दावा है कि करीब 86 लाख किसानों को इससे फायदा हुआ था। कर्ज़ और बीमारी के बोझ तले दबे अनिल कुमार सिंह मौसम की मार से भी परेशान थे। उनके खेत के कुछ धान किसी तरह कटकर घर आ गए हैं तो कुछ भी खेत में ही पड़े हैं। पूरे खेत में पानी भर गया था।

जितेंद्र कहते हैं, “पूरा धान भीगकर काला पड़ गया है। उसको कोई माटी के भाव भी नहीं नहीं लेगा। इसी फसल के सहारे सोचा था थोड़ा बहुत कर्ज़ चुकाएंगे।”

मृतक किसान अनिल कुमार सिंह का घर, परिजनों के मुताबिक पत्नी की बीमारी के चलते बिगड़ी किसान  की आर्थिक स्थिति। फोटो- मोहित शुक्ला

“डीजल से लेकर कडुआ तेल इतना महंगा है”

अनिल कुमार सिंह के पास सिंचाई का डीजल इंजन और उनकी पत्नी के नाम पर बिजली का कनेक्शन भी है। एक जोड़ी बैल भी दे लेकिन पिछले दिनों एक बैल की मौत हो गई। जितेंद्र सिंह कहते हैं, “डीजल से लेकर कडुआ तेल (सरसों) तक सब कुछ इतना महंगा है। महंगाई को देखते हुए बैलों से जुताई शुरु कराई थी लेकिन हाल ही में एक बैल मर गया। डल्लफ ( एक तरह की बैलगाड़ी) भी टूटी पड़ी है उसे सही कराने तक के पैसे नहीं है। किसान के ऊपर एक न एक विपदा का अंबार लगा रहता है।”

फसल बर्बादी को लेकर तहसीलदार मितौली ने कहा, “इनका (मृतक किसान) जो अतिवृष्टि के चलते फसल को नुक़सान हुआ है, उसका आंकलन करा लिया गया है। मितौली तहसील में 1400 किसानों की फसल बर्बाद हुई है। अनिल कुमार सिंह का भी सर्वे करा के रिपोर्ट शासन को भेज दिया है। जैसे ही राहत आयेगी दी जायेगी। रही सुसाइड की बात तो उसकी जांच पुलिस कर रही है।”

उत्तर प्रदेश इस वर्ष भारी बारिश और कई दौर की बाढ़ से काफी फसलों को काफी नुकसान हुआ है। किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने 31 अक्टूबर को प्रदेश के 44 जिलों के 6 लाख से ज्यादा किसानों के लिए 208 करोड़ रुपए की राशि भेजी है। इससे पहले राज्य आपदा मोचक निधि से ही सरकार ने 28 अक्टूबर को 35 जिलों के एक लाख किसानों के लिए 160 करोड़ रुपए की राशि भेजी थी। वहीं 25 अक्टबूर को ही 35 जिलों के लिए ही 30 करोड़ और 22 अक्टूबर को 77 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की थी।

17-19 अक्टूबर के बीच हुई बारिश से खेत में डूबी फसल को दिखाते मृतक किसान के बेटे जितेंद्र सिंह 

अनिल कुमार सिंह से मिले दो सुसाइड नोट

किसान अनिल कुमार सिंह के परिजनों के मुताबिक उनके पास से दो सुसाइड नोट मिला, एक उनके बिस्तर पर था जो तुरंत मिल गया था, जबकि दूसरा उनकी जेब में था जो बाद में मिला।

इस संबंध में थाना मितौली के थानाध्यक्ष सुनीत कुमार ने गांव कनेक्शन को फ़ोन पर बताया “मुझे तहरीर उनके बेटे के द्वारा मिली थी कि,मेरे पिता को फेफड़ो की बीमारी थी जिसके चलते अवसादग्रस्त होने के कारण आत्महत्या कर ली थी। बाकी अब दो दिन बाद सुसाइड नोट वायरल करा रहे हैं। उनको मैंने मंगाया है। इसके बाद राइटिंग चैक करवाई जायेगी उसके आधार पर पता चलेगा कि सुसाइड नोट किसने लिखा था।”

रोजाना 30 किसान और खेतिहर मजदूर कर रहे सुसाइड

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के भारत में रोजाना 30 किसान और खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर रहे हैं। 28 अक्टूबर को जारी हुई एनएनआरबी की रिपोर्ट ‘Accidental Deaths & Suicides in India – 2020′ भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याएं – 2020’ देश में कुल 10667 किसान और खेहितर मजदूरों ने आत्महत्या की। जिसमें 5579 किसान और 5098 खेतिहर मजदूर शामिल हैं।

ये भी पढ़ें- “अब मैं जीना नहीं चाहता”: फसल बर्बाद और कर्ज़ में डूबे एक और किसान ने दी जान, भारत में रोजाना 30 किसान और खतिहर मजदूर करते हैं आत्महत्या

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