दो साल से मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहे यासिर को इस बार लगा था कि उनका कहीं न कहीं किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन तो हो ही जाएगा, लेकिन जब रिजल्ट आया तो एक बार फिर उनका सपना टूट गया।
उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के यासिर अहमद सिद्दीकी लखनऊ के हजरतगंज की एक कोचिंग में तैयारी कर रहे हैं, इस बार नीट की परीक्षा देने वाले 24 लाख छात्र- छात्राओं में ये भी शामिल थे। यासिर गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “पिछले साल मेरे 530 नंबर थे, इस बार 644 नंबर आए हैं; मुझे लगा था कि मुझे इलाहाबाद नहीं तो मेरठ का मेडिकल कॉलेज तो मिल ही जाएगा।”
वो आगे कहते हैं, “घर के साथ ही गाँव और रिश्तेदारों को पता चल गया था, सब खुश थे सबको यही लगा कि दो साल की मेहनत रंग लायी, पिछली बार इतने मार्क पर सात हज़ार रैंक जा रही थी, इस बार 34 हज़ार रैंक जा रही है; कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है क्या करें।”
देश में हर साल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए नीट की परीक्षा होती है; 4 जून को रिजल्ट आने के बाद ही छात्र-छात्राओं ने विरोध करना शुरू कर दिया है। परीक्षा में फर्जीवाड़ा होने का आरोप है। देश भर से परीक्षा को रद्द करने की माँग उठ रही है। लेकिन जो छात्र मेहनत के दम पर परीक्षा में अच्छे अंक लाए हैं, वो बहुत परेशान हैं।
सुप्रीम कोर्ट के साथ ही कई राज्यों की कोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने के लिए याचिका दायर की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया है कि नीट एग्जाम में मनमाने तरीके से ग्रेस दिया गया है और इस कारण एक ही सेंटर के 67 स्टूडेंट को एक जैसा 720 नंबर आया है। मामले की एसआईटी जाँच की गुहार लगाई गई है।
10 जून को लखनऊ हाईकोर्ट में भी कानपुर और दूसरे कई जिलों के छात्र याचिका दायर करने पहुँचे थे। पिछले नौ साल से मेडिकल की तैयारी कराने वाले अर्जुन सिंह पटेल भी उन्हीं में से एक हैं। वो गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “इस समय हमारा भी बाहर आना ज़रूरी हो जाता है, क्योंकि जिन बच्चों को पढ़ा रहे हैं उन्हें न्याय न मिले तो हमें आगे आना होगा।”
वो आगे कहते हैं, “नीट एक ऐसी परीक्षा है, जिसमें 20 लाख से ज़्यादा बच्चे बैठते हैं, कुछ ऐसे भी बच्चे होंगे जो सात-आठ साल से तैयारी कर रहे हैं; और जब इतने जद्दोजहद के बाद वो 640-650 नंबर तक पहुँच पाए तो यहाँ कुछ और ही हो गया।”
नीट की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स के साथ देश भर के छात्र संगठन भी इनके साथ आ गए हैं। देश भर में छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं।
जौनपुर जिले के पूरे संभलपुर गाँव की आकाँक्षा बरनवाल भी नीट की तैयारी कर रही हैं, लेकिन इस बार परीक्षा नहीं दे पायी थीं। उन्हें डर है अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो कभी परीक्षा दे ही नहीं पाएँगी। वो कहती हैं, “हम इतने छोटे से गाँव से निकलकर इतने बड़े शहर में पढ़ने आए हैं; अगर ऐसा ही होता रहा तो हमारे घर वाले इतनी दूर क्यों भेजेंगे?”
वहीं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) अपनी गलती मानने से इनकार कर रही है। एनटीए का कहना है कि नीट रिजल्ट में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है, कुछ एग्जाम सेंटर्स पर कम समय की वजह से कुछ कैंडिडेट्स को ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं। उम्मीदवारों के भारी प्रदर्शन के बावजूद री-नीट एग्जाम से साफ इनकार कर दिया है। हालाँकि एनटीए ने एक कमेटी का गठन किया है जो केवल 6 एग्जाम सेंटर्स पर आयोजित हुई नीट परीक्षा में बैठने वाले 1563 उम्मीदवारों के रिजल्ट पर विचार-विमर्श करेगी और ज़रूरत पड़ी तो केवल इन्हीं छात्रों का नीट एग्जाम फिर से आयोजित हो सकता है।
The decision will be taken on the recommendations of the new committee that will analyze the results of the 1600 candidates
If needed, the result will be revised, as per the committee’s recommendations
Whatever the decision, neither will it be unfavourable for the 23 lakh… pic.twitter.com/SmWp5CBrQd
— PIB India (@PIB_India) June 8, 2024
एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हमने सभी चीजों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया है और परिणाम जारी किए हैं। 4750 केंद्रों में से यह समस्या 6 केंद्रों तक सीमित है और 24 लाख छात्रों में से केवल 1563 छात्रों को इस समस्या का सामना करना पड़ा है। पूरे देश में इस परीक्षा की अखंडता से समझौता नहीं किया गया; कोई पेपर लीक नहीं हुआ है।
इस साल 67 कैंडिडेट्स को ऑल इंडिया रैंक एक दी गई है। इस पर एनटीए ने कहा है कि पिछले वर्षों के मुकाबले इस साल का पेपर आसान था, इसलिए बड़ी संख्या में कैंडिडेट्स ने नीट क्लियर किया है। 2023 में उम्मीदवारों की संख्या 20,38,596 थी, जबकि 2024 में यह बढ़कर 23,33,297 हो गई। इसकी वजह से स्वाभाविक रूप से ज़्यादा कैंडिडेट्स होने की वजह से ज़्यादा अंक पाने वाले कैंडिडेट्स की संख्या भी अधिक रही।
कुछ उम्मीदवारों को उनकी आंसर देने की क्षमता और बर्बाद हुए समय (एग्जाम सेंटर पर देरी होने की वजह से) के आधार अंकों के साथ कंपनसेशन दिया गया। कंपनसेशन की वजह से 44 कैंडिडेट्स को AIR 1 मिली और छात्रों की संख्या बढ़कर 67 हो गई।
इस बारे में कॉम्पटीशन में फिजिक्स टीचर अमित बिजारणिया बताते हैं, “इस बार 67 बच्चों की ऑल इंडिया रैंक एक आयी है, वो भी सभी बच्चों के 720 में 720 नंबर आए हैं; ऐसे में इस पर विश्वास करना मुश्किल है कि ये कैसे ले आए? जब इस पर थोड़ा गौर किया गया तो पता चला कि एनटीए ने काफी सारे बच्चों को ग्रेस मार्क दिया है, इसकी वजह से बच्चे 720, 719, 718 नंबर भी लेकर आएँ हैं; लेकिन एनटीए ने पहले नहीं बताया कि हम इस तरह से ग्रेस मार्क दे रहे हैं। ”
देश भर के कोचिंग संस्थान भी स्टूडेंट्स के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं। लखनऊ में इंटेलिजेंस कैरियर इंस्टीट्यूट के डॉ हैदर यास्मीन गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “अगर पेपर दोबारा न हुआ तो पैरेंट को लगेगा कि बच्चों को पढ़ाने से अच्छा, वो पेपर खरीदने का जुगाड़ लगाएँ, अब तो उन्हें यही लगेगा की 15-20 लाख रुपए इकट्ठा करो और पेपर कहाँ बिक रहा उसे खरीद लो।”