जैसलमेर (राजस्थान)। पांच राज्यों में चुनावी सरगर्मियों के बीच राजस्थान में एक खास मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है। चुनाव राजस्थान में तो जरुर नहीं है लेकिन अगर ये नियम यहां लागू होता है तो देर-सबेर उसका असर कई राज्यों में दिखाई दे सकता है, जैसा सूचना के अधिकार के मामले में हुआ था।
राजस्थान में 20 दिसंबर से 6 जनवरी के बीच 13 जिलों में 2400 किलोमीटर से लंबी दूरी की एक यात्रा निकाली गई। देश को आरटीआई कानून देने वाले राज्य राजस्थान में ये यात्रा सूचना एवं रोजगार अधिकार अभियान (एसआर अभियान) के मंच तले जन संगठनों ने निकाली। कोविड-19 के चलते यात्रा स्थगित हो गई है लेकिन वर्चुअल माध्यमों से सरकार, अधिकारियों और अधिकारियों, कर्मचारियों की जवाब देही तय करने वाले कानून की मांग जारी है।
“सरकारें नियम बनाती हैं, कानून बनाती हैं और फिर उनको भूल जाती हैं। सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों का अराजक तत्व अपने मनमाफिक इस्तेमाल करते हैं लेकिन उन पर समय अनुसार कोई कार्रवाई नहीं होती। सरकारी दफ़्तर शिकायतों के बोझ तले दबे हैं लेकिन शिकायत सुनने वाले गायब है। यहां तक की महीनों निकल जाते हैं लेकिन मजदूरों के कार्ड तक नहीं बनते इसलिए जवाब देही कानून जरुरी है।” राजस्थान के सामाजिक कार्यकर्ता हरकेश बुगालिया ने कहा।
जवाब देही यात्रा सूचना एवमं रोजगार अधिकार अभियान (एसआर अभियान) के मंच के तहत की जा रही है। इस अभियान के तहत मुख्य मांग है कि राजस्थान सरकार एक जवाबदेही कानून पारित करे जो नागरिकों के प्रति, सरकारी पदाधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करे, और नागरिकों को उनकी शिकायतों को दर्ज करने, उनकी शिकायतों के निवारण में भाग लेने और समयबद्ध तरीके से उनका निवारण करने का अधिकार प्रदान करे।
क्या है जवाब देही यात्रा?
राजस्थान में “जवाबदेही कानून” बनाने की पैरवी को लेकर दूसरी यात्रा की शुरुआत 20 दिसंबर 2021 को अरुणा रॉय के नेतृत्व में की गई थी। इस यात्रा का लक्ष्य 45 दिनों की अवधि में राजस्थान मे सभी 33 जिलों तक पहुंचना था। आरटीआई ऑन व्हील्स’ जवाबदेही कानून यात्रा के जरिए संविधानिक, लोकतांत्रिक व मानवाधिकार हक व शिक्षा, स्वास्थ्य और कोविड, मनरेगा, राशन, पेंशन, सूचना का अधिकार, खनन, सिलिकोसिस, पर्यावरण, दलित, बेघर और लिंग, पेसा कानून आदि मुद्दों के क्षेत्रों में जवाबदेही की मांग कर रहे हैं। यात्रा एक बड़ी बस और ‘आरटीआई ऑन व्हील्स’ नामक एक वैन में की जा रही है और इसमें हर जिले में स्थानीय संगठन और स्थानीय लोग शामिल हो रहे है।
इस अभियान के तहत मुख्य मांग है कि राजस्थान सरकार एक जवाबदेही कानून पारित करे जो नागरिकों के प्रति, सरकारी पदाधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करे, और नागरिकों को उनकी शिकायतों को दर्ज करने, उनकी शिकायतों के निवारण में भाग लेने और समयबद्ध तरीके से उनका निवारण करने का अधिकार प्रदान करे।
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय की अगुवाई में लंबे संघर्ष के बाद पहले राजस्थान फिर देश को सूचना का अधिकार कानून मिला था। 12 अक्टूबर 2005 को देश में सूचना का अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले कई राज्यों ने अपने स्तर पर इस कानून को लागू कर दिया था। जिसमें राजस्थान भी था, राजस्थान में यह अधिनियम पहली बार 2000 में लागू हुआ। इसी प्रदेश से जवाबदेही कानून की मांग उठी है।
जवाब देही कानून बनवाने को लेकर लेकर सूचना एवमं रोजगार अधिकार अभियान ने 2016 से 2018 तक लगातार प्रयास धरना, प्रदर्शन यात्राएं की। जिसके बाद उस समय की विपक्षी पार्टी काँग्रेस पार्टी ने अपने 2018 विधानसभा के चुनाव घोषणापत्र में जवाबदेही कानून पारित करने की प्रतिबद्धता को शामिल किया। सरकार में आने के बाद कांग्रेस ने जल्द जवाबदेही कानून पारित की बात की, सरकार ने एक राज्य स्तरीय समिति की स्थापना की जिसने 5 महीने के भीतर मसौदा प्रस्तुत किया, लेकिन राजस्थान सरकार ने अभी तक अति आवश्यक जवाबदेही विधेयक को पारित नहीं किया है।
अशोक गहलोत सरकार को अपने घोषणा पत्र में किए वादे को याद दिलाने के लिए जन सरकारों से जुड़े संस्थानों ने यात्रा का आयोजन किया। यात्रा के दौरान 50 कार्यकर्ता हर समय यात्रा के साथ रह रहे हैं।
20 दिसंबर को जयपुर में यात्रा की शुरुआत करते हुए अरुण राय ने कहा, “जिस सरकार ने वर्ष 2000 में सूचना का अधिकार कानून दिया वह अब झिझक क्यों रही है? जबकि जनता इस कानून की मांग पुरजोर तरीके से कर रही है। लोकतंत्र में जनता सर्वोपरी होती है और उसकी बात मानना जरूरी है।”
राजस्थान कई जिलों में प्रवासी मजदूरों, पिछड़ों, खनन मजदूरों आदि पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था आजीविका ब्यूरो आदोलन में शामिल थी। आजीविका ब्यूरो के प्रोग्राम मैनेजर कमलेश शर्मा गांव कनेक्शन से कहते हैं, “वंचित और पिछड़े समुदायों को उनके हक और अधिकार दिलवाने की दिशा में जवाबदेही कानून अत्यंत जरूरी है। लोगों को मिलने वाले लाभ में देरी और उसकी जिम्मेदारी को तय किया जाना बेहद जरूरी हो गया है। जवाबदेही कानून वंचितों को बराबरी का हक दिलाने का अहम कानून है।”
2016 में हुई थी मांग, निकाली गई थी यात्रा
2016 में, इसी अभियान ने जवाबदेही कानून के लिए जागरूकता लाने के लिए राज्य के सभी 33 जिलों को कवर करते हुए 100 दिवसीय यात्रा आयोजित की थीं। यात्रा में राज्य के लगभग 80 सामाजिक संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले 100 कार्यकर्ताओं का एक समूह शामिल था, जो स्थानीय लोगों की शिकायतों को समझते थे और राज्य भर में सार्वजनिक संस्थानों के कामकाज की स्थिति को समझते थे।
राज्य सरकार के आधिकारिक मंच राजस्थान संपर्क पर यात्रा में भाग लेने वाले लोगों द्वारा लगभग 10,000 शिकायतें दर्ज की गईं और आज भी उन पर कार्रवाई की जा रही हैं।
इस जवाबदेही यात्रा से जुड़े भीलवाड़ा में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी कहते हैं कि “यात्रा के दौरान यह अनुभव हुआ है कि जनता के हित में सरकार द्वारा अधिकाधिक योजनाएं बनाने के संकल्प के बावजूद जब तक लोगों के हाथ में इन योजनाओं के उचित क्रियान्वयन की देखरेख और निगरानी का अधिकार नहीं होगा तब तक यह योजनाएं ठीक से काम नहीं करेंगी।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वो कहते हैं, “बेहतरीन काम करने वाले चुनिंदा सरकारी कर्मचारियों पर बोझ बहुत अधिक बढ़ जाता है और वे यह भार उठा पाने में असमर्थ होते हैं। सिर्फ़ प्रभावी डिजिटल व्यवस्थाओं और प्रतिबद्ध कर्मचारियों के होने मात्र से ही उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित नहीं होगा और जवाबदेही तय नहीं होगी।”
जवाबदेही यात्रा के दौरान पेंशन ना मिलने को लेकर भी शिकायतें दर्ज हुई हैं। यात्रा में शामिल लोगों ने जब इसकी जांच की तो मालूम हुआ राजस्थान सोशल सिक्योरिटी पेंशन पोर्टल (Rajssp) के मुताबिक कुल लगभग 20 लाख (20,05612) पेंशन निरस्त की जा चुकी हैं। इसमें से 1,22,192 लोगों की पेंशन अस्थाई रूप से रोक दी है, क्योंकि उनका वार्षिक सत्यापन नहीं हो पाया व बैंक के विवरण में कुछ त्रुटियाँ थीं।
मजदूर किसान शक्ति संगठन के निखिल-डे ने कहते हैं, “राजस्थान सरकार राजस्थान सरकार जवाबदेही कानून पारित करे जिससे लोक सेवकों की जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। इससे यह सुनिश्चित जो कि लोक सेवकों की जनता के प्रति न्यूनतम जिम्मेदारी क्या है? नागरिकों की बात सुनी जाए,उनकी शिकायतों का पंजीकरण और समाधान समय बद्ध तरीके से हो,अपील के लिए स्वतंत्र व विकेंद्रित मंच बने”
4500 खत, 25000 लोगों ने किया मिस्ड कॉल
जवाबदेही यात्रा के समर्थक जवाबदेही कानून को पारित किए जाने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम पत्र लिख रहे हैं। 17 दिन की यात्रा के दौरान विभिन्न जगहों के आम नागरिकों के द्वारा 4500 से ज्यादा खत लिखे गए। लगभग 25000 लोगों द्वारा आन्दोलन के समर्थन में जवाबदेही यात्रा के नंबर पर मिस्ड कॉल किए गए। लगभग 2400 विभिन्न प्रकार की शिकायतें इस यात्रा के दौरान लोगों द्वारा लिखी गईं, जिन्हें राजस्थान संपर्क पर दर्ज किया जा रहा है। कई हज़ार हस्ताक्षर कपड़े के बैनर पर यात्रा के दौरान लोगों द्वारा किए गये है। आम जन को जवाबदेही क़ानून के मुख्य प्रावधान समझाने के लिए 26 हज़ार पर्चे वितरित किए गये। जन आन्दोलनों के साहित्य की बिक्री से लगभग 20 हजार रुपये की राशि प्राप्त हुई।
लोक कलाकारों की भागीदारी
इस यात्रा के दौरान राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से आए पारंपरिक लोक कलाकारों ने यात्रा से पूर्व दस दिवसीय शिविर करके जवाबदेही आंदोलन के पक्ष में नारे, गीत, नाटक रचे थे। लोकनाद समूह के विनय व चारूल ने आंदोलन के लिए गीत लिखा। लोक कलाकार अपने वाद्य यंत्रों और गायन के माध्यम से इस यात्रा को सहयोग से रहे है।
सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान से मिली जानकारी के अनुसार जवाबदेही यात्रा के लिए 17 दिनों में कुल 123595 रुपये का जन सहयोग मिला। इन सभी जिलों में 2366 शिकायतें यात्रा में दर्ज हुई। इसके साथ 1903 संपर्क पोर्टल पर दर्ज की गई। संपर्क पोर्टल के हिसाब से 123 विभिन्न विभागों ने निस्तारण कर दी हैं, जिसमें 53 में कुछ हल निकल, लेकिन 70 शिकायतों को निरस्त किया गया। इस यात्रा के दौरान लगभग हर जगह आरटीआई कार्यकर्ताओं को मिल रही धमकियों पर बात हुई। आंदोलनकारियों ने कहा कि जवाबदेही व्यवस्था तय करने के लिए जरूरी है की शिकायतकर्ताओं की सुरक्षा जवादेही कानून में ही सुनिश्चित हो और हमलावरों के अवैध कामों की भी विस्तृत जांच हो।
कोविड के चलते स्थगित हुई यात्रा, वर्चुअल आंदोलन जारी
सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान के बैनर तले सौ से भी अधिक जन-संगठनों, अभियानों, नागरिक संगठनों/समूहों आदि के साथ एक 45-दिवसीय जवाबदेही यात्रा निकाली जा रही है, जिसकी राज्य के सभी 33 ज़िलों में जाने की योजना थी, पिछले 17 दिनों के दौरान जिन 13 ज़िलों में यात्रा गई है वहां इसे भारी जन-समर्थन मिला है। 6 जनवरी 2022 को यह यात्रा कोटा में स्थगित कर दी गई। ये यात्रा से शुरु होकर अजमेर, राजसमंद, पाली, जालोर, सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा, बूंदी होते हुए कोटा में स्थगित किया गया।
अरुणा रॉय कहती है “जवाबदेही यात्रा स्थगित भर हुई है खत्म नहीं.डिजिटल माध्यमों, कोविड प्रोटोकोल का पालन करते हुए यह यात्रा जारी रहेगी। जवाबदेही कानून की मांग का आंदोलन भी चलता रहेगा।”