वन अधिकार अधिनियम: एक अलग से एफआरए बजट और भूमि रिकॉर्ड अपडेट के साथ आगे बढ़ता ओडिशा

Aishwarya Tripathi | Mar 03, 2023, 11:53 IST
ओडिशा 2006 के वन अधिकार अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए एक विशेष बजट आवंटित करने वाला देश का पहला राज्य है। इसके अलावा राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में सामुदायिक वन अधिकारों को शामिल करने वाला ‘नयागढ़’ भारत का पहला जिला है।
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ओडिशा वन अधिकार अधिनियम को लागू करने के लिए विशेष बजट आवंटित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। अपने बजट 2023-24 में इसने अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के कार्यान्वयन के लिए 2,600 लाख रुपये निर्धारित किए हैं, इन अधिकारों को आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम या एफआरए के रूप में जाना जाता है।

यह केंद्रीय कानून वन में रहने वाले आदिवासी समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के वन संसाधनों के अधिकारों को मान्यता देता है। ये समुदाय आजीविका, आवास और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक सहित तमाम तरह की जरूरतों के लिए वनों पर ही निर्भर रहते हैं।

पूर्वी राज्य अनुच्छेद 275 (1) के तहत प्राप्त केंद्रीय अनुदान के जरिए 2006 के अधिनियम को लागू करता आया है। वित्तीय वर्ष 2008-9 से 2022-23 तक ओडिशा सरकार की ओर से कुल 2326.77 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। इस साल राज्य को अनुदान प्राप्त नहीं हुआ है। लेकिन राज्य में रहने वाले आदिवासी समुदायों के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए राज्य सरकार की ओर से एक अलग बजट समर्पित किया गया है। राज्य की कुल आबादी में आदिवासियों का प्रतिशत 22.85 है।

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स्रोत: वसुंधरा, ओडिशा स्थित एक्शन रिसर्च एंड पॉलिसी एडवोकेसी ऑर्गनाइजेशन

इसके अलावा, ओडिशा का नयागढ़ अपने राजस्व भूमि रिकॉर्ड में एफआरए के तहत वितरित सामुदायिक अधिकारों और खिताबों को पंजीकृत करने वाला देश का पहला जिला (भारत में कुल 766 जिले) बना है।

ओडिशा के एक्शन रिसर्च एंड पॉलिसी एडवोकेसी ऑर्गेनाइजेशन – वसुंधरा- के कार्यकारी निदेशक वाई गिरि राव ने समझाया, “लैंड डायवर्जन करने के बाद ही उस जमीन पर गैर-वन गतिविधी की जा सकती है। इसके लिए सबसे पहला कदम भूमि के स्वामित्व को सत्यापित करने के लिए राजस्व और वन रिकॉर्ड की जांच करना है। अगर नक्शे और नई सीमा रेखा को सरकारी रिकॉर्ड में अपडेट नहीं किया जाता है, तो समुदाय और राजस्व या वन विभाग के बीच हमेशा एक संघर्ष की स्थिति बनी रहती है।" यह ऑर्गेनाइजेशन राज्य में एफआरए कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने में सबसे आगे है।

कई शोध अध्ययनों से पता चलता है कि देश में लगभग 30 करोड़ वनवासी हैं, जिनकी आजीविका और अस्तित्व वनों पर निर्भर है। लेकिन इस ऐतिहासिक अधिनियम को लाए जाने के 16 साल बाद भी लाखों आदिवासियों और वनवासियों को औपचारिक रूप से वन भूमि पर अपना दावा नहीं मिल पाया है। वन संबंधी संघर्ष लगातार बढ़ रहे हैं। एफआरए को बेहतर तरीके से लागू करने की अपनी प्रतिबद्धता के चलते ओडिशा राज्य स्तर पर कुछ आशाजनक बदलाव कर रहा है।

क्या कहता है एफआरए?

2006 के अधिनियम के तहत वन में रहने वाले समुदाय दो प्रकार के अधिकारों के हकदार हैं। एक वन भूमि पर आवास और स्वयं खेती करने का व्यक्तिगत अधिकार, और दूसरा सामुदायिक वन अधिकार (सीएफआर)। सामुदायिक अधिकार अधिकारों का एक व्यापक समूह है, इसमें ग्राम सभा तेंदूपत्ता और शहद जैसे लघु वन उत्पादों का प्रबंधन, संग्रह और बिक्री कर सकती है।

धारा 3(1)(i) के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) न सिर्फ वन समुदायों के वन उपज तक पहुंचने और उन्हें इस्तेमाल करने के अधिकारों को मान्यता देता है, बल्कि उनके "किसी भी सामुदायिक वन संसाधन को संरक्षण, पुनः उत्पन्न या संरक्षित या प्रबंधित करने के अधिकार भी हैं, जिसे वे स्थायी उपयोग के लिए परंपरागत रूप से संरक्षित करते रहे हैं।"

एक बार जब CFRR को किसी समुदाय के लिए मान्यता दी जाती है तो उसके बाद वन का स्वामित्व वन विभाग के बजाय ग्राम सभा के हाथों में चला जाता है। राजस्व गांव के मामले में, स्वामित्व राजस्व विभाग से पारित किया जाता है।

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स्रोत: वसुंधरा, ओडिशा स्थित एक्शन रिसर्च एंड पॉलिसी एडवोकेसी ऑर्गनाइजेशन

ग्राम सभा की सहमति के बिना प्रतिपूरक वनीकरण समेत किसी भी गतिविधि के लिए वन का डायवर्जन नहीं किया जा सकता है।

इसके अलावा, अधिकारों के निपटान और टाइटल जारी करने की प्रक्रिया पूरी होने पर अधिनियम राजस्व और वन विभागों के लिए क्रमशः राजस्व वन क्षेत्र और आरक्षित वन क्षेत्र का अंतिम नक्शा तैयार करना और इसे सरकारी रिकॉर्ड में शामिल करना अनिवार्य बनाता है।

यह "संबंधित राज्य कानूनों के तहत रिकॉर्ड को अपडेट निर्दिष्ट अवधि के भीतर या तीन महीने के अंदर" किया जाना होता है।

वसुंधरा के राव ने कहा कि कानून एसडीएलसी को "एफआरए शीर्षकों के तहत समुदायों को दी गई भूमि के स्वामित्व पर विचार करते हुए, नए मानचित्रों और सीमाओं का पहला मसौदा तैयार करने के लिए कहता है।" एसडीएलसी उप-विभागीय स्तर की समिति है, जो एफआरए दावा अनुमोदन के लिए ग्राम सभा और जिला-स्तरीय समिति के बीच एक कड़ी है।

राव ने गाँव कनेक्शन को बताया, "पहला मसौदा जिला स्तरीय समिति को प्रस्तुत किया जाता है और इसका निर्णय "अंतिम और बाध्यकारी "है। यह जिला कलेक्टर को राजस्व रिकॉर्ड और प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) को वन रिकॉर्ड को अपडेट करने का निर्देश देता है।"

ओडिशा के प्रयास

नुआगाँव तहसील की सिकरीदा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाली एक बस्ती ‘दुमदुमपल्ली’ को पिछले साल 9 जनवरी को सामुदायिक संसाधन अधिकार का टाइटल मिला था।

गांव की आबादी सिर्फ 34 है। इसमें से 33 लोग अनुसूचित जनजाति (एसटी) के हैं। दिए गए इस टाइटल में 80.43 एकड़ वन भूमि का क्षेत्र शामिल है, जिसमें से 18.1 एकड़ राजस्व वन है और 62.33 एकड़ आरक्षित वन है।

हेमांता कुमार नायक को पिछले साल अक्टूबर में नुआगांव के तहसीलदार के रूप में तैनात किए जाने के बाद राजस्व रिकॉर्ड में अधिकार शामिल किए गए थे। वन विभाग ने इसमें अभी तक अपना रिकॉर्ड नहीं जोड़ा है।

नायक ने गाँव कनेक्शन को बताया, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जमीनी निरीक्षण के साथ सीमाओं का सही ढंग से सीमांकन किया जाए। हम वन विभाग और मंडल वन अधिकारी क्षेयमा सारंगी के संपर्क में हैं और वे भी जल्द ही वन रिकॉर्ड को अपडेट कर देंगे।"

नायक ने वसुंधरा की सक्रिय भागीदारी और जागरूकता के बारे में बताते हुए कहा कि इसने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया था। 12 सामुदायिक अधिकारों में से नायक ने दमदुमपल्ली सहित राजस्व रिकॉर्ड में तीन को जोड़ा है और बाकी के लिए प्रक्रिया को तेज करने के लिए काम किया रहा है।

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- सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (CFRR) किसी भी सामुदायिक वन संसाधन की सरंक्षण, पुनः उत्पन्न या संरक्षित या प्रबंधित करने के अधिकारों को मान्यता देते हैं, जिसे वन निवासी स्थायी उपयोग के लिए पारंपरिक रूप से संरक्षित करते रहे हैं।

ओडिशा की एफआरए फैक्टशीट शीर्षक वाली रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार ने जनवरी 2022 और नवंबर 2022 के बीच 3,428 सीएफआरआर टाइटल वितरित किए, जिसमें शून्य रिकॉर्ड ऑफ राइट बनाया गया। रिकॉर्ड ऑफ राइट या ROR एक कानूनी दस्तावेज है जो किसी भूमि और उसके स्वामित्व के बारे में विवरण देता है। दस्तावेज़ राज्य के राजस्व विभाग द्वारा बनाए जाते हैं।

नयागढ़ देश का एकमात्र जिला है जिसने कुल 76 टाइटल्स में से अन्य पारंपरिक वन निवासियों (ओटीएफडी) द्वारा बसाए गए गांवों को 24 सीआर और सीएफआरआर टाइटल जारी किए हैं।

इसके अलावा, इसने एफआरए 2006 के तहत 16 ग्राम सभाओं को छह संयुक्त टाइटल जारी किए हैं।

प्रक्रिया का डिजिटलीकरण

ओडिशा सरकार ने रिकॉर्ड रखने को आसान और पूर्ण बनाने के लिए प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर दिया है।

जिला स्तरीय समिति से एफआरए टाइटल्स की प्रतियां और नक्शे के नए स्केच प्राप्त करने के बाद तहसीलदार रिकॉर्ड रखने के लिए एक डिजिटल पोर्टल - भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली पर दस्तावेजों को अपडेट करता है। भू-अभिलेख की प्रमाणित प्रति और अपडेटिड मानचित्र के स्केच भी संबंधित ग्राम सभा को सौंपे जाने होते हैं।

राजस्व वनों का जीपीएस सर्वेक्षण अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति विकास और राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा 'ओडिशा वन अधिकार: मोबाइल जीपीएस सर्वेक्षण' ऐप से किया जाना होता है।

इसके बाद इसे राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा भुलेखा/भूनक्सा पोर्टल में शामिल किया जाता है।

ई-गवर्नेंस पोर्टल - भुलेखा भूमि के स्वामित्व के दस्तावेजों को अपडेट करने के लिए है और भूनक्सा अपडेटिड ग्राम मानचित्रों का रिकॉर्ड बनाने के लिए है।

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वसुंधरा के कार्यकारी निदेशक राव ने गांव कनेक्शन को बताया, "दमदुमपल्ली का यह खास कदम अन्य गांवों के लिए भी प्रक्रिया को तेज करने और इसे दोहराने में मदद करेगा।"

उन्होंने कहा, "हर किसी को यह समझना होगा कि यह सिर्फ अधिकारों के बारे में नहीं है बल्कि समुदायों द्वारा वन भूमि के प्रबंधन और संरक्षण की जिम्मेदारी से भी जुड़ा है।"

लाखों आदिवासी और वनवासी परिवारों के लिए वन और वन संसाधनों तक पहुंच को लेकर होने वाला संघर्ष देश में एक रोजमर्रा की बात हो गई है। उदाहरण के लिए, नयागढ़ जिले के दसपल्ला ब्लॉक के तहत वन विभाग और ग्राम सभाओं के बीच हाथापाई हुई। जबकि इसे पिछले साल 8 जनवरी को सामुदायिक संसाधन अधिकार का खिताब मिला था। शीर्षक धारकों ने 4 जनवरी को सामुदायिक वन संसाधन क्षेत्रों से पेड़ों की उनकी सहमति के बिना अवैध कटाई का आरोप लगाते हुए एक शिकायत याचिका दायर की गई थी।

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- दासपल्ला ब्लॉक, नयागढ़ की ग्राम सभाओं द्वारा दायर शिकायत याचिका की प्रति।

इस तरह के संघर्षों को रोकने के लिए नए नक्शों और नई सीमांकित सीमाओं के साथ सरकारी भूमि के रिकॉर्ड को अपडेट करना और भी जरूरी हो जाता है। ये रिकॉर्ड वन भूमि के स्वामित्व को पारदर्शी तरीके से सामने रखते हैं।

इसके अलावा, ऐसे रिकॉर्ड यह सुनिश्चित करते हैं कि वनवासी भूमि स्वामित्व दस्तावेजों पर निर्भर अन्य सरकारी योजनाओं जैसे पीएम किसान सम्मान निधि योजना तक पहुंच सकते हैं।

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