जब अंधेरा इतना घना हो, उम्मीद की कोई किरण नजर न आए। तब आपको अपने अंदर ही ढूंढनी पड़ती है बदलाव की रोशनी। हौंसले का नन्हा सा दिया भी काफी होता है इस अंधेरे से लड़ने के लिए, उसे मात देने के लिए। हेमंत को भी बस अपने अंदर इसी दिये की तलाश थी जिसे खोजते-खोजते उन्हें दस साल लग गए। वह इतने गहरे अंधेरे में चले गए थे जहां से निकलना आसान नहीं था। हेमंत कहते हैं, ” मैं शराब के नशे का इतना आदी हो चुका था कि वहां से निकलना मेरे लिए लगभग असंभव था।”
हेमंत गिरी की कहानी गांव कनेक्शन और डब्ल्यूएचओ सीआरओ के संयुक्त सामाजिक अभियान – मेरी प्यारी जिंदगी – का हिस्सा है। यह शराब के हानिकारक प्रभावों को लेकर लोगों को आगाह करने का एक साझा प्रयास है। साथ ही ये लोगों को शराब की लत को कैसे छुड़ाएं इसके बारे में जागरुक बना रहा है। हेमंत की कहानी एक ऐसे ही शराब में डूबे व्यक्ति की कहानी है जिसने कड़े संघर्ष के बाद इस लत से छुटकारा पाया। पिछले 25 सालों से उसने शराब को हाथ तक नहीं लगाया है।
गांव कनेक्शन के संस्थापक नीलेश मिसरा द्वारा सुनाई गईं पंद्रह ऑडियो कहानियां, 10 वीडियो और मीम्स से ‘मेरी प्यारी जिंदगी’ सीरीज को तैयार किया गया है। नीलेश मिसरा कहानी सुनाकर युवा और बूढ़े लोगों में बढ़ते शराब के सेवन और उससे होने वाली शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के खतरे से आगाह कर रहे हैं।
अपने परिवार का सबसे प्यार बच्चा, और अपनी मां की आंखों का तारा, हेमंत एक खुशहाल जीवन जी रहे थे। वह अपने बड़े भाई की तरह गायक बनना चाहते थे। उनके आदर्श मोहम्मद रफी और किशोर कुमार थे। उन्हें महंगे कपड़े पहनना, परफ्युम लगाना, घूमना और दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करना बेहद पसंद था।
हेमंत बताते हैं, “शुरुआत, मैंने अपने दोस्तों के साथ सिर्फ बीयर पीने से की थी। उसके बाद इम्पोर्टिड और महंगी शराब की तरफ मुड़ गया। मैं लगभग दस सालों तक लगातार पीता रहा।”
हेमंत को ये कभी भी नहीं लगा कि वह शराबियों की तरह अपना आपा खो सकते हैं, नशे में सड़क के किनारे गिर सकते हैं या फिर किसी के साथ दुर्व्यवहार कर सकते है। वह बताते हैं, “मैंने कभी खुद को शराबी नहीं समझा। मुझे नहीं पता कि शराब कब मुझ पर हावी हो गई और मैं कब मैं उसके दलदल में फंसता चला गया।”
उन्होंने अपने गैराज के कारोबार को छोड़ दिया। फिर धीरे-धीरे लोग भी उनसे दूर जाने लगे। शराब खरीदने के लिए पैसे मांगने की उनकी आदत से अब दोस्त भी परेशान हो गए थे। उनके भाई ने भी कह दिया कि अब वह उसके साथ नहीं रहे सकते।
हेमंत की मां भी उन्हें छोड़कर चली गई थीं। लेकिन जाने से पहले, उन्होंने उनकी पत्नी के माता-पिता को बुलाया और उनसे कहा कि वे अपनी बेटी को ले जाएं। हेमंत याद करते हुए बताते हैं, ” मां ने उनसे कहा था कि अगर उनकी बेटी ने मुझे तलाक दे दिया तो वह ठीक रहेगी। क्योंकि अब मैं एक अच्छा आदमी नहीं था। मां को डर था कि मैं अपनी पत्नी को नुकसान पहुंचा सकता हूं।”
शराब की लत के बाद अब उनके कदम धीरे-धीरे अपराध की तरफ बढ़ने लगे थे। उन्होंने बताया, “मैंने लोगों से पैसे निकालने के लिए उन्हें धमकाना शुरू कर दिया था। मैं लोगों से झगड़ा करता और दिन-रात शराब के नशे में डूबा रहता। सुबह उठने के बाद अगर मुझे पीने के लिए शराब नहीं मिलती तो मैं काम नहीं कर सकता था। मेरे हाथ-पैर कांपने लगते थे।”
वह कहते हैं, “मैं एक ऐसी दलदल में फंस चुका था जहां से निकलना मेरे लिए नामुमकिन था। शराब पीने से मेरी सेहत पर भी असर पड़ाने लगा था। अब मैं सस्ती शराब भी पीने लगा था।”
उनकी पत्नी शोभा गिरी ने बताया, ” उन्होंने शराब पीने के लिए बेटी की गुल्लक को भी तोड़ दिया था। शराब खरीदने के लिए जितना पैसा ले सकते थे, लिए और वहां से चले गए।” वह आगे कहती हैं, ” वह खाना भी नहीं खाते थे। बस शराब ही पीते रहते थे।”
शोभा लगातार डर के साये में जी रही थी। हेमंत के पास हमेशा एक तलवार रहती थी। वह उनके दरवाजे पर बैठ जाता और राहगीरों पर चिल्लाता था। एक दिन उनकी पत्नी ने अपनी बेटी को उठाया और अपने माता-पिता के पास रहने के लिए चली गई।
हेमंत की बेटी नीलम गिरी कहती हैं, “मैं अपने पिता के प्यार के लिए तरस रही थी। मैं चाहती थी कि अन्य सहपाठियों की तरह मेरे पिता भी मुझे स्कूल छोड़ने के लिए आए, मेरे लिए गिफ्ट लेकर आएं। हम पैसों की तंगी से भी जूझ रहे थे। मैं अपने अपने माता-पिता के साथ रहना जाती थी, न कि अपनी दादी के साथ। “
सेहत खराब होने लगी
हेमंत बताते हैं,”मेरी तबीयत खराब होने लगी थी। और मुझे अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। मेरा लीवर सूज गया था। डॉक्टर ने बताया कि शराब की वजह से यह पूरी तरह से खराब हो चुका है। कुछ दिनों तक जब मेरा इलाज चल रहा था तो मैं ठीक था। लेकिन, एक दिन मैं वैगन से गिर गया, और मुझे फिर से अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।” हेमंत ने कहा, ” अब मुझे भ्रम होने लगा था। मुझे लगने लगा कि लोग मुझे मारने की कोशिश कर रहे हैं …”
महाराष्ट्र के सतारा में, एक नशामुक्ति केंद्र ‘परिवर्तन’ में हेमंत को पता चला कि शराब की वजह से उनके शरीर में रासायनिक असंतुलन हुआ है और इसी कारण उन्हें शराब की लत लगी है। यह एक बीमारी है। वहां के डॉक्टरों के परामर्श और उपचार से हेमंत को काफी मदद मिली। लेकिन उसे शराब की बोतल से दूर रखने के लिए यह काफी नहीं था। वह अस्पताल में बेहोश पड़े थे। डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को बताया कि हेमंत के ठीक होने की बहुत कम उम्मीद है।
हेमंत कहते हैं, “मुझे याद है, मैं होश में आ रहा था। मेरी बेटी पास ही में बैठी थी। मैं पीछे हटा और गुस्से में आकर मैंने उसे उठाकर कमरे से बाहर फेंक दिया। यह भगवान की कृपा थी कि मैं कमजोर था। नहीं तो मेरी बेटी बालकनी से नीचे गिर जाती। “
वह आगे कहते हैं, “जब मुझे दूसरी बार होश आया तो पास ही में बैठी एक महिला, जोकि एक मरीज की मां थी, ने मुझसे कहा- तुम इंसान हो या शैतान। जब मैंने उससे पूछा कि मैंने क्या किया है, तो वह बोली, तुम्हारी पत्नी ने अपने सभी गहने और घर के हर बर्तन को बेच दिया था ताकि तुम्हारा इलाज किया जा सके…, और तुम उसके साथ ऐसा बर्ताव करते हो”
बदलाव का समय
इस वाकये ने हेमंत को अंदर तक झकझोर कर रख दिया था। हेमंत ने कसम खाई कि वह मर जाएगा लेकिन शराब नहीं पीएगा। वह बताते हैं, “मैं नहीं चाहता था कि मुझे लोग शराबी पिता या पति के रूप में याद रखें। लेकिन, नशा करने के लिए फिर मैंने गुटखा (तंबाकू चबाना) खाना शुरू कर दिया।”
बेटी के जन्मदिन पर हेमंत काफी देर से घर लौटे थे। वह बेटी के लिए कोई गिफ्ट भी लेकर नहीं आ पाए थे। लेकिन उनकी पत्नी ने उन्हें यह कहते हुए दिलासा दिया कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फिर बताया कि बेटी के पास उनके लिए एक खास उपहार है। यह गुटखा पाउच की एक पूरी लड़ी थी। मैं उदास हो गया था। ‘उसने इसे क्यों खरीदा,’ मैंने अपनी पत्नी से पूछा। उसके जवाब ने मुझे झकझोर दिया था। ”
पत्नी शोभा ने उनसे कहा, “तुम उसे देर रात दुकान पर उसे अपने लिए गुटखा खरीदने के लिए भेजते रहते हो। उसे अंधेरे में डर लगता है। वहां बहुत सारे आवारा कुत्ते हैं जिनसे वह डरती है। इसलिए उसने सोचा कि अगर वह तुम्हें बहुत सारे गुटखे खरीद कर दे देगी, तो तुम उसे फिर से बाहर नहीं भेजोगे, ”
और फिर शराब छोड़ने का वादा कर लिया
और यह वही पल था, हेमंत के अंदर के शैतान ने हार मान ली । हेमंत कहते हैं, ” तब मैंने अपनी बेटी से इसे छोड़ने का वादा किया और उससे कहा था कि मैं अपने जीवन में फिर कभी कोई गलत काम नहीं करूंगा।”
हेमंत अपनी जिंदगी को सुधारने में लग गए। उन्होंने फिर से गाना शुरू किया। फिल्मों में छोटे-मोटे काम किए और जल्द ही उनके दोस्तों ने फिर से उनसे मिलना जुलना शुरु कर दिया था। उन्होंने हेमंत के लिए एक नया घर बनाने में मदद भी की।
“मेरी पत्नी को छोड़कर बाकी सब लोगों को लगता था, कि मैं फिर से पीने लग जाऊंगा। लेकिन उसे मुझ पर और मेरे संकल्प पर पूरा भरोसा था।” हेमंत ने 1996 में शराब पीना बंद कर दिया था। पिछले 25 सालों से उन्होंने शराब को हाथ नहीं लगाया है।
परिवर्तन नशामुक्ति केंद्र में उनके मनोचिकित्सक हामिद नरेंद्र दाभोलकर ने बताया, ” हेमंत की का कहानी एक सकारात्मक कहानी है। उन्होंने अपना इलाज करवाया। उन्हें अपने परिवार का समर्थन मिला और उन्होंने अपने आप से प्रेरणा भी ली। यह सही मायने में रिहैबिलिटेशन है। नशामुक्ति एक घटना नहीं है, बल्कि यह एक प्रक्रिया है।”