मध्य प्रदेश: 9 लाख रुपए के कर्ज़ में दबे 65 साल के किसान ने की आत्महत्या, एमपी में एक साल में 65 फीसदी बढ़े केस

मध्य प्रदेश में 65 साल के बुजुर्ग किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उनके ऊपर दो बैंक और 2 सोसाइटी का पौने 9 लाख रुपए का कर्ज़ था। मध्य प्रदेश में साल 2019 की अपेक्षा 2020 में किसान आत्महत्या के मामलों में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
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मध्य प्रदेश में बुजुर्ग किसान गोरेलाल लोधी का शव दिवाली के दूसरे दिन उनके खेत में पेड़ से लटका मिला। किसान के ऊपर दो बैंकों और 2 सोसायटी का करीब 9 लाख रुपए कर्ज़ है। खरीफ सीजन में बोई गई उऩकी सोयबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। परिजनों के मुताबिक कर्ज़ के नोटिस और फसल पैदा न होने से वो परेशान थे।

“बैंक और सोसायटी के कर्ज़ के चालान (नोटिस) आ रहे थे। सोचे थे कि फसल होगी तो कुछ कर्ज़ा पाट देंगे, लेकिन 8500 रुपए में सोयाबीन का बीज लेकर 4.5 कुंटल सायबीन बोई तो सिर्फ 5 कुंटल पैदा हुई। फलियां ही नहीं आईं थीं।” बलवीर सिंह लोधी (42वर्ष) ने पिता के आत्महत्या की वजह बताई।

किसान गोरेलाल लोधी पुत्र भुवंती लाल लोधी मध्य प्रदेश में भोपाल से करीब 50 किलोमीटर दूर रायसेन जिले के ग्राम जमुनिया दीवनगंज के रहने वाले थे। 15 एकड़ जमीन के मालिक गोरेलाल लोधी की 10 एकड़ जमीन रायसेन और 5 एकड़ जमीन भोपाल में थी। उनके ऊपर बैंक ऑफ बड़ौदा का 350000 रुपए और इंडियन ओवरसीज बैंक का 2 लाख 94 रुपए का कर्ज़ है जबकि भोपाल की चोपड़ा कॉपरेटिव सोसासटी का 130000 रुपए और दीवनगंज सोसायटी के 95000 रुपए का कर्ज है।

गोरेलाल लोधी के 3 बेटे और 3 बेटियां, सभी की शादियां हो चुकी हैं। मृतक किसान के बड़े बेटे बलवीर लोधी के मुताबिक वो सोयाबीन की फसल कटने के बाद से ही वो बहुत टेंशन में थे, क्योंकि खेतों में उतनी भी फसल नहीं हुई थी, जितने का बीज डाला गया था। परिजनों के मुताबिक दिवाली के दूसरे दिन वो अच्छे कपड़े पहन कर तैयार हुए, गोवर्धन की पूजा की फिर खेत पर गए थे।

“गोरेलाल फसल बर्बाद होने से ही ज्यादा परेशान थे। इस पूरे इलाके में किसी के यहां सोयाबीन नहीं हुई है। जब सोयाबीन की फसल को पानी चाहिए था बारिश नहीं हुई, बिना फूल आए फसल सूख गई। इसीलिए ज्यादातर हमारे यहां के किसान परेशान हैं।” मृतक किसान के पड़ोसी यमुना प्रसाद लोधी (50वर्ष) फोन पर बताते हैं।

मृतक किसान का घर, किसान की आत्महत्या के बाद उनकी बुजुर्ग पत्नी सदमे में हैं।

मध्य प्रदेश में बढ़े किसान आत्महत्या के मामले

बेहतर खेती और अऩ्न उत्पादन के लिए 5 बार राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार जीतने वाले मध्य प्रदेश में पिछले 3-4 वर्षों में किसान और खेतिहर मजूदरों की आत्महत्या के मामले बढ़े हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में मध्य प्रदेश 142 किसानों ने आत्महत्या की थी जबकि 2020 में 235 किसानों ने जान दी है। एक साल में किसान आत्महत्या के मामले में 65.49 फीसदी की बढ़ोतरी है। वहीं 2019 के 399 केस के मुकाबले 2020 में 500 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की जो 25.13 फीसदी की वृद्धि चिंताजनक वृद्धि को दिखाता है।

किसान आत्महत्या के मामले

राज्य               2019              2020             अंतर % में

महाराष्ट्र          2680              2567             -4.22

कर्नाटक          1331              1072             -19.46

आंध्र प्रदेश     628              546                 -10.19

तेलंगाना         491              466                 -5.09

मध्य प्रदेश     142              235                 65.49

पंजाब              239              174             -27.20

हरियाणा            00              00                 00

तमिलनाडु         6                  79             1216

उत्तर प्रदेश     108              87                 -19.44

नोट- कुल का प्रतिशत अलग हो सकता है, क्योकि चार्ट में सभी राज्य के आंकड़े जुड़े नहीं हैं।

पूरे देश में किसान आत्महत्या के मामले में एमपी तीसरे नंबर पर

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की अक्टूबर 2021 में आई रिपोर्ट ‘Accidental Deaths & Suicides in India – 2020’ के मुताबिक देश में साल 2020 में कुल 10,667 किसान और खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की। कृषि क्षेत्र से आत्महत्या करने वालों में सबसे ज्यादा लोग महाराष्ट्र है, जो कुल 10,667 का 37.5 फीसदी है। दूसरे नंबर पर कर्नाटक 18.9 फीसदी, तीसरे पर मध्य प्रदेश (6.9 फीसदी) है।

इस रिपोर्ट के आंकड़ों के देखने पर पता चलता है कि किसान आत्महत्या (5,579) के मामले में शीर्ष के 9 राज्यों में सिर्फ मध्य प्रदेश और तमिलनाडु ऐसे राज्यों हैं जहां 2019 के मुताबिक सुसाइड केस बढ़े हैं, बाकि सभी में घटनाएं कम हुई हैं। यहां तक की किसान आत्महत्या के कुख्यात महाराष्ट्र में इस साल मामूली गिरावट आई है।

सभी तरह की आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े। सोर्स NCRB

कम बारिश ने किसानों को पहुंचाया नुकसान

साल 2021 में कम या ज्यादा बारिश की वजह से फसल की बर्बादी के चलते कई राज्यों में किसानों की आत्महत्या की खबरें आई हैं। सितंबर महीने में एमपी में ही खरगौन जिले के 37 साल के किसान ने खेत में आत्महत्या कर लगी थी। कम बारिश की वजह से उनके कपास में फूल नहीं आए थे। अब 5 नवंबर को रायसेन के किसान गोरेराल ने जान दे दी। फसल बर्बादी के चलते यूपी के लखीमपुर और कन्नौज जिले में किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

आत्महत्या करने वाले ज्यादातर किसान कहीं न कहीं कर्ज़ के मारे होते हैं। किसान गोरेलाल को 7 सितंबर 2021 को इंडियन ओवरसीज बैंक का नोटिस मिला था, जिसके मुताबिक 30 सितंबर तक 294038 रुपए नहीं चुकाने पर पर बैंक वसूसी कार्रवाई करनी को मजूबर होगा।

मृतक किसान के तीन बेटों में सबसे बड़े बलवीर सिंह के मुताबिक दो भाई पिता के साथ खेती में हाथ बटाते हैं जबकि वो पास की एक सीमेंट पाइप बनाने वाली फैक्ट्री में नौकरी करते हैं। मां और पिता को मिलाकर कुल 11 लोगों का परिवार है।

बलवीर कहते हैं, “फसल हुई नहीं थी और कर्ज़ वापसी का दबाव था। इसलिए वो टेंशन में रहते थे, पिछले 3-4 दिनों से वो शराब पीने लगे थे, जबकि इससे पहले वो ऐसा कभी नहीं करते थे। अगर सोयाबीन हो जाती तो किसी न किसी बैंक का कर्ज़ दे ही देते। 15000 रुपए का बिजली का बिल अलग से आ गया था।”

गांव कनेक्शन ने इस संबंध में कलेक्टर रायसेन से बात करने की कोशिश की लेकिन फोन नहीं उठा। जबकि उपजिलाधारी एल के खरे ने कहा कि वो टायफाइड के चलते 4-5 दिनों की छुट्टी पर हैं। मामले की जानकारी कर बताएंगे। परिजनों के मुताबिक पुलिस मौके पर आई थी लेकिन कृषि या राजस्व विभाग का कोई अधिकारी गांव तक नहीं पहुंचा है।

कृषि क्षेत्र से जुड़ी आत्महत्या के मामले में मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर है। सोर्स NCRB

सरकार के लिए किसान आत्महत्या बड़ा मुद्दा नहीं – किसान नेता

मध्य़ प्रदेश में किसानों के संगठन जागृति मंच के मुखिया इरफान जाफरी भोपाल से फोन पर गांव कनेक्शन को बताते हैं, मध्य प्रदेश में लगातार ऐसे केस सुनने को आ रहे हैं। लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि किसान उनकी पॉलिसी में नहीं है, किसान आत्महत्या उनके लिए बड़ा मुद्दा नहीं।’ जाफरी मूलरूप से रायसेन के रहने वाले हैंं।

वो आगे कहते हैं, “मृतक किसान गोरेलाल पर करीब 10 लाख का कर्ज़ हो गया था। लोन वसूली का दवाब बहुत टेँशन देता है। अब देखिए किसान को खाद की जरुरत है लेकिन पूरे एमपी में खाद की किल्लत है। किसान का खेत सूख जाएगा फिर खाद मिलेगी। किसान कहां से क्या करेगा।”

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