लखनऊ। फसलों के खराब होने और ऋण के बोझ के कारण महाराष्ट्र के तीन किसानों ने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। ये किसान उत्तरी महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव तालुक के रहने वाले थे।
पुलिस ने बताया कि इनमें से एक दयानेश्वर शिवनाकर ने शुक्रवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे जहर खा लिया। पुलिस ने बताया कि 35 वर्षीय किसान कंधाने गांव का रहने वाला था। वह पिछले तीन सालों से अपर्याप्त बारिश के कारण फसलों के खराब होने से निराश था। उन्होंने बताया कि उसने तीन लाख रुपए का कर्ज लिया था।
पुलिस ने बताया कि दूसरी घटना में नंदगांव-बुडरूक गांव में 23 वर्षीय किसान ने शुक्रवार को अपने फॉर्म हाउस में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली। पुलिस आगे कहा कि उसने निजी वित्त कंपनियों से 5.65 लाख रुपए ऋण लिये थे। उन्होंने बताया कि तीसरी घटना में किसान वसंत सोनवाने ने बृहस्पतिवार को कुछ जहरीला पदार्थ खा लिया और शुक्रवार को एक अस्पताल में उसकी मौत हो गयी।
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महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में विधानसभा में जानकारी दी थी कि अकेले सितंबर में ही राज्य में 235 किसानों ने मौत को गले लगा लिया था। राहत और पुनर्वास मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने एक सवाल के जवाब में जवाब दिया कि विदर्भ क्षेत्र के छह जिलों में 15,629 किसानों ने जनवरी 2001 से अक्टूबर 2018 के बीच खुदकुशी की। इनमें से 7008 किसान वित्तीय मुआवजे के हकदार थे और उनके परिजनों को बतौर वित्तीय सहायता हरेक को एक लाख रुपया दिया गया है। इसमें से 215 मामलों की जांच अभी लंबित है।
इसी तरह नासिक जिले में जनवरी और सितंबर 2018 के बीच 73 किसानों ने अपनी जान दे दी। इनमें से 17 वित्तीय मुआवजे के हकदार थे। उनके परिवारों को भी एक-एक लाख रुपए की मदद दी गई है। कोल्हापुर में वर्ष 2004 और 2018 के बीच 113 किसानों ने आत्महत्या कर ली। मराठवाड़ा में 674 किसानों ने जनवरी और सितंबर 2018 के बीच आत्महत्या कर ली।
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गौरतलब है कि महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने भी अपने राज्य के किसानों का कर्जमाफ किया था, बावजूद इसके किसानों की मौत की सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।
(भाषा से इनपुट)