उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की हरदासपुर ब्रांच में 6 लोगों का स्टाफ है जिसमें से 3 कोविड पॉजिटिव हो गए हैं, एक व्यक्ति बीमार हैं। सिर्फ शाखा प्रबंधक और चपरासी स्वस्थ हैं, क्लर्क दूसरी ब्रांच से आता है, जिसके बाद बैंक का काम होता है। इस ब्रांच में सिर्फ दो लोगों का टीकाकरण (15-16 अप्रैल) हुआ है।
बरेली से करीब 1400 किलोमीटर दूर नवी मुंबई के नेरुल में पंजाब नेशनल बैंक में पिछले एक हफ्ते से लेन-देन बंद है। मुंबई के एक बैंकर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि नेरुल ब्रांच में 5 लोगों का स्टॉफ था, जिसमे से 3 लोग कोविड पॉजिटिव होने के बाद अस्पातल में भर्ती हैं। एक स्टॉफ के परिवार में मृत्यु होने पर वो छुट्टी पर हैं। एक अन्य स्टॉफ भी छुट्टी पर है, इस तरह बैंक पब्लिक के लिए वर्किंग कंडीशन में नहीं है। दूसरी ब्रांच का एक कर्मचारी आकर आधिकारिक कार्य करके वापस चला जाता है।
“हमारी ब्रांच में मेरे अलावा 5 लोग पॉजिटिव हो गए हैं। अगर बरेली जिले की बात करें तो यहां 327 ग्रामीण बैंकों के कर्मचारी हैं, जिनमें से 45 कॉविड पजिटिव हैं, कुल मिलाकर 87 लोग छुट्टी पर चल रहे हैं। यही स्थिति लगभग पूरे यूपी में है। ये गंभीर स्थिति है।” हरदासपुर स्थित बडौदा यूपी ग्रामीण बैंक के शाखा प्रबंधक संतोष तिवारी फोन पर बताते हैं।
संतोष बरेली जोन में सभी बैंककर्मियों-अधिकारियों के संगठन (AIBOC) के जोनल अध्यक्ष और ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के प्रदेश सचिव हैं। कर्मचारियों का ये संगठन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (AIBOC) से जुड़ा है।
संतोष आगे बताते हैं, “सरकार ने हम बैंकर को कोरोना वॉरियर्स घोषित तो कर दिया लेकिन सुविधाएं नहीं मिली। बैंक कर्मचारियों का काम पब्लिक डिलिंग का है। हम और जनता दोनों असुरक्षित हैं। बैंक कर्मचारियों का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर होना चाहिए, बैंकों को हर हफ्ते सैनेटाइजेशन किया जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ।”
अकेले बरेली जिले में सभी बैंकों (राष्ट्रीय और क्षेत्रीय) के 3900 कर्मचारी हैं, बैंक यूनियन के मुताबिक जिनमें से 4 की मौत (7 मई तक) हो चुकी है। वहीं अगर पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो सिर्फ 18000 कर्मचारी ग्रामीण बैंकों के हैं। संतोष के मुताबिक उनके संगठन ने 27 अप्रैल को बैंकों की स्टेट लेवल बैंकर कमेटी (SLBC) और यूपी के मुख्य सचिव को खत लिख कई मांगे रखी थीं। जिसके बाद बैंकिंग का समय 2 बजे तक किया गया था। लेकिन बाकी चीजों पर ध्यान नहीं दिया गया।” एसएलबीसी वो राज्य स्तरीय कमेटी जो तय करती है कि राज्य में बैंक कैसे काम करेंगे।
कोरोना की दूसरी लहर में जब रोजाना 3 लाख से 4 लाख रोज नए मरीज मिल रहे हैं, बैंक कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर परेशान हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर का टीकाकरण नहीं हुआ।
RIP & Salute to Covid Warriors & Economic Soldiers of our Country 🙏🙏🙏💐💐💐#BankerLivesMatters#VaccinationForBankers pic.twitter.com/IG56eXyiUk
— WeBankersOfficial® (@Bankers_We) May 2, 2021
इंडियन बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन ( IBOF) के मुताबिक पूरे देश में 12 सार्वजनिक बैंकों (public sector banks) और ग्रामीण बैंकों (rural regional banks) के 10 लाख के करीब कर्मचारी हैं। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने 22 मार्च को एक पत्र जारी कर कहा कि संसद की स्टैंडिंग कमेटी ने कोविड- महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक बैंकिग क्षेत्र के कार्यों की सराहना की है। इस दौरान कई बैंक कर्मचारियों की मृत्यु भी हो गई है। उनके कार्यों को देखते हुए बैंक कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स घोषित किया जाता है।”
कोरोना वॉरियर्स घोषित होने के बाद बैंक कर्मचारियों का फ्रंट लाइन हेल्थ वर्कर की तरह टीकाकरण होना चाहिए था लेकिन हुआ नहीं, जिसे लेकर बैंक कर्मचारी और कर्मचारियों के संगठन लगातार आवाज उठा रहे हैं।
राजस्थान के जोधुपर जिले के फलोदी कस्बे के खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर भाटी ने केशव नगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी को एक कारण बताओ नोटिस जारी दिया।
इस नोटिस में लिखा है, “24 अप्रैल 2021 को आपके संस्थान पर आयोजित कोविड वैक्सीनेशन सत्र के दौरान बैंक कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर (FLW) मानते हुए टीका लगाया गया जबकि बैंक कर्मियों की फ्रंट लाइन वर्कर नहीं माना गया है।” नोटिस में आगे लिखा गया है कि इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण दें अन्यथा विपरीत कार्यवाही हेतु आप स्वयं जिम्मेवार होंगे।” गांव कनेक्शन ने इस संबंध में खंड मुख्य चिकित्साधिकारी,फलोदी से बात करने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो सका है।
“सिर्फ यहीं नहीं कई जगह बैंकर वैक्सीनेशन को लेकर समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कोरोना वॉरियर्स का मतलब यही है कि पूरे देश में बैंकर को वैक्सीनेशन पहले होना चाहिए। लेकिन ऐसा है नहीं। कई बैंकों ने अभी तक ये तय नहीं किया है कि अगर किसी बैंकर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को क्या मिलेगा। कोरोना वॉरियर को 50 लाख मिलना चाहिए लेकिन कुछ तय नहीं। ” संदीप अखौरी मुंबई से गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, अखौरी इंडियन बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन और ऑल इंडिया इलाहाबाद बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (All India Allahabad Bank Officers Federation) के संयुक्त संयोजक हैं।
वे आगे कहते हैं, “बैंकों में 50 फीसदी वर्कफोर्स के साथ काम करने के आदेश हैं लेकिन वो हो नहीं पा रहा क्योंकि स्टॉफ की कमी हर जगह पहले से है। अब लोग बीमार हो रहे हैं, या उनके परिजनों को समस्या है। लेकिन सब काम जारी है।” बैंक यूनियन किसी कर्मचारी की मृत्यु की दशा में उसके योग्य परिवारजन को नौकरी देने की भी मांग कर रहे हैं। इसके साथ उनकी मांग है कि जोनल स्तर पर बैंक का नियंत्रण कक्ष बनें और हर शाखाओं का साप्ताहिक सैनेटाइजेशन होना चाहिए।
बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोशिएन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के महामंत्री और बैंकर सौरभ श्रीवास्तव बैंकों से जुड़े और मुद्दे की तरफ ध्यान दिलाते हैं, वो कहते हैं, “ज्यादातर बैंकों में सुरक्षा की दृष्टि से खिड़की और दरवाजे बहुत कम होते हैं। ऐसे में अगर कोई ग्राहक या बैंक कर्मी पॉजिटिव होता है तो वायरस बाहर जा पाता होगा इसकी आशंका बहुत कम होती है। ऐसे में अगर कोई केस निकलता है तो बैंक को जनता की सुरक्षा की दृष्टि से तीन दिन बंद रखा जाना चाहिए।”
गुड़गांव स्थित मैक्स हॉस्पिटल की सीनियर सर्जन और मैक्स आईकेयर की निदेशक और विभागाध्यक्ष डॉ. पारुल शर्मा ने एक ट्विट में लिखा, “बैंक में काम करने वाले लोग बंद एसी स्थानों के कारण कोविड के लिए उच्च जोखिम में हैं।” उन्होंने सुझाव दिया कि दरवाजे और खिड़कियां खुली रखें, एसी ऑन करें। डबल मास्क (ऊपर एक कपड़ा मास्क के नीचे सर्जिकल या दो कपड़े मास्क) पहने। सहकर्मियों के साथ भोजन न करें।”
People working in Banks r at high risk for covid due to closed AC spaces. Keep doors n windows open,AC on, use pedestal fans full speed faced away from face.Wear double mask ( surgical below n cloth mask above or two cloth mask). Do not eat together with colleagues indoors.
— Dr Parul M Sharma (@DrParulSharma1) May 7, 2021
बैंक कर्मचारियों की मुताबिक एक तरफ जहां उनका टीकाकरण नहीं किया जा रहा है, बैंकों का साप्ताहिक सैनेटाइजेशन नहीं हो रहा है। वहीं उन्हें छुट्टियां तक मिलने में दिक्कत आ रही है।
मुंबई में रहने वाले बैंकर अलंकृत शुक्ला सोशल साइट्स पर काफी सक्रिय हैं, वे कोविड महामारी में लगातार लोगों को न सिर्फ बैकिंग बल्कि दूसरे लोगों के लिए बेड, ऑक्सीजन और कोविड की दवाओं के इंतजाम में मदद कर रहे हैं।
अलंकृत फोन पर बताते हैं, “पूरे देश में कम से कम 1 लाक बैंक कोविड से संक्रमित हो चुके होंगे। हम बैंकर ने मिलकर 14 व्हाटस्एप ग्रुप बनाए हैं जिनके जरिए एक दूसरी मदद करते हैं। इसमें रोजाना 80 से 100 बैंकर या उनके परिजनों के संक्रमित होने, उन्हें मेडिकल हेल्प की जरूरत की खबरें आ रही हैं। सरकार और बैंक यूनियन दोनों इस तरफ से आंखें मूंदे हुए हैं।”
कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते बैंक कर्मचारियों के लिए कई तरह के ऐलान हुए थे, जिनमें 10 बजे से 2 बजे तक वर्किंग, कई जगह अल्टर्नेट-डे (एक दिन काम एक दिन छुट्टी) पर काम आदि शामिल थे। कई राज्यों में इन्हें लागू भी कर दिया गया है लेकिन कई जगह कर्मचारी लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। एक बैंक यूनियन के मुताबिक केरल में अल्टर्नेट-डे पर बैंकिंग 7 मई से शुुरु की गई है लेकिन गोवा में अभी 10-2 बजे वाली टाइमिंग भी लागू नहीं है।
#AIBEA letter to @ChairmanIba IBA Chairman :
Compassionate Ground Appointments to the Family of COVID 19 victims – need for fast tracking and Special Dispensation pic.twitter.com/IcBQfXmeBy— CH VENKATACHALAM (@ChVenkatachalam) May 6, 2021
झारखंड के एक ब्रांच मैनेजर ने कोविड जैसे लक्षणों के बाद छुट्टी मांगी, लेकिन उनके सीनियर मैनेजर ने उस मेल का जो जवाब दिया वह सोशल मीडिया में वायरल है।
झारखंड के जमशेदपुर रीजन में बैंक ऑफ इंडिया की भोया शाखा प्रबंधक सोमा मुंडा ने सीने में दर्द, बुखार, खांसी जैसे कोविड के लक्षणों के जैसी समस्या के बाद 26 अप्रैल को 10 दिन की छुट्टी के लिए आवेदन किया। 28 को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें भर्ती कराया गया और 30 को उऩकी मौत हो गई।
सोमा मुंडा की छुट्टी वाले के जवाब में सीनियर मैंनेजर संजीव कुमार चौधरी ने पूछा कि आपको कैसे पता कि आपकी तबीयत 7 मई से पहले ठीक हो जाएगी? ऐसा लगता है कि आप अपनी मेडिकल लीव लेना चाहते हैं, बिना किसी मौजूदा स्वास्थ्य समस्या के।
सोमा मुंडा की मौत के बाद देशभर के बैंक कर्मचारियों ने सीनियर मैंनेजर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अलृंकत शुक्ला से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल उन्हें दूसरी जोन भेज दिया गया है लेकिन बैंक कर्मचारी चाहते हैं उन पर केस किया जाए।
अलंकृत आगे बताते हैं, “बैंकों के बहुत सारे कर्मचारी बीमार हो रहे हैं। इसलिए बैंक प्रबंधन ने ग्राहकों से भी कहा है कि वो बिना वजह के ब्रांच न जाएं। ऑनलाइन लेनदेन करें। साथ ही बैंक पासबुक प्रिंट जैसे काम बंद है, बावजूद कई ग्राहक नहीं मानते हैं। ऐसे में मुश्किल वक्त में ग्राहकों से भी सहयोग चाहिए।”
ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के सचिव भोलेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं, “कोविड महामारी के बीच समस्या तो सभी बैंकों के सामने है लेकिन ग्रामीण बैंक सबसे ज्यादा परेशान हैं। स्टॉफ हमारा पहले से कम है। पिछली बार तमाम योजनाओं के चलते बैंकों के पास काम ज्यादा था लेकिन तब कोरोना गांव में नहीं था। इसलिए इस तरह तुरंत ध्यान दिया जाने की जरूरत है।”