नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों से सड़कें खाली कराने के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के वकीलों से कहा, सड़कें साफ होनी चाहिए। हम बार-बार कानून तय करते नहीं रह सकते। आपको (किसान) आंदोलन करने का अधिकार है लेकिन सड़क जाम नहीं कर सकते।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में किसान संगठनों से जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 7 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने साफ किया कि जब संगठनों का जवाब आएगा तो तय करेंगे कि आगे आदेश जारी करें या फिर मामले को अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ें।
Bench: reply to be filed in 3 weeks, list after 6 weeks
Justice Kaul: we’d thought its the first day there would be pleasant atmosphere
Dave: Mr Mehta’s presence brings the best out of me
J Kaul: Both of you need to learn to bear each other. #SupremeCourt #FarmersProtest
— Live Law (@LiveLawIndia) October 21, 2021
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के किसान 300 से ज्यादा दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलनरत हैं। सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर समेत कई शाहजहांपुर समेत कई नाकों पर किसान डेरा डाले हुए हैं। इस दौरान कई बार किसानों द्वारा सड़कों पर आंदोलन के चलते राहगीरों और स्थानीय लोगों की परेशानी का मुद्दा उठा है। इस संबंध में एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी।
दिल्ली की सड़कों को खोलने की मांग संबंधी याचिका पर 4 अक्टूबर को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 43 किसान नेताओं या संगठनों (Farm unions) को नोटिस जारी किया था। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस एसके कौल ने कहा कि नोटिस के जवाब में 2 ही संगठन यहां पहुंचे हैं। हम आपके विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं। लेकिन सड़क बंद करना सही नहीं है। जिसके जवाब में किसान संगठन के वकील दुष्यंत दवे ने कहा, “सड़क को पुलिस ने बंद किया है। हमने नहीं। बीजेपी को रामलीला मैदान में रैली करने दी, हमें भी आने दीजिए।
जिस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले के कई गंभीर पहलू भी हैं। इस प्रदर्शन के पीछे कुछ छिपे हुए उद्देश्य भी हैं। जिसके जवाब में किसान संगठनों के वकील दवे ने कहा कि किसानों को बदनाम करने के लिए गढ़ी गई बातें हैं। लाल किला मामले में सभी आरोपियों को जमानत मिल गयी है। उन्होंने कहा कि कानून पास करने से पहले किसानों से बात नहीं की। अब उन पर आरोप लगा रहे हैं। दवे ने कोर्ट में कहा कि सड़क खाली हो जाएगी। प्रदर्शनकारियों को रामलीला मैदान आने दीजिए।
दवे ने कहा- पुलिस की व्यवस्था से सड़क जाम
दवे ने कहा कि मैंने 6 बार इस सड़क की यात्रा की है मुझे लगता है कि पुलिस द्वारा बेहतर व्यवस्था की जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसानों को रामलीला मैदान आने की अनुमति मिल जाए को कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। जिसके जवाब में सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि कुछ लोगों के लिए रामलीला मैदान में स्थायी निवास बना देना चाहिए। इस दौरान किसानों ने वकील ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार नागरिकों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रही है।
Bench: Notices have been served but only 2 have appeared
Dave:4 have appeared. I’m surprised Government is firing on shoulders of citizens rather than doing their work.
Bench:41 parties were to impleaded, which numbers do you represent Mr Bhushan? #SupremeCourt #FarmersProtest
— Live Law (@LiveLawIndia) October 21, 2021
किसानों ने दिया है ‘चलो दिल्ली’ का नारा
सिंघु बॉर्डर पर एक एक व्यक्ति की हत्या और कोर्ट में आंदोलन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के मुद्दे के चलते किसान संगठनों को लगता है कि ये आंदोलन खत्म करने की साजिश है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सिंधु की घटना एक साजिश लगती है। किसी तरह जबरन बॉर्डर खाली कराने की आशंका को देखते हुए किसान संगठनों ने कई दिनों से ज्यादा से ज्यादा किसानों को दिल्ली बुलाने की मुहिम चला रखी है। “चलो दिल्ली” नारे के साथ किसानों से दिल्ली के बॉर्डर पर पहुंचने को कहा गया है।
गाजीपुर बॉर्डर खाली करने की अफवाह
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के मीडिया इंचार्ज धर्मेंद्र मलिक ने सोशल मीडिया पर लिखा कि किसानों यह अफवाह फैलाई जा रही है कि गाजीपुर बॉर्डर खाली किया जा रहा है। किसान बॉर्डर से कहीं नहीं जा रहे हैं।