सीतापुर (उत्तर प्रदेश)। सीतापुर जिले में कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के साथ ही टीकाकरण का ग्राफ भी अपने तय लक्ष्य से पीछे चल रहा है। आम लोगों के साथ ही यहां हेल्थ वर्कर और फ्रंट लाइन वर्कर को भी तय लक्ष्य से कम वैक्सीन लग पाई है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि लोग टीकाकरण के लिए आना ही नहीं चाह रहे। ऐसे में उन्हें जबरदस्ती नहीं लाया जा सकता। सीतापुर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बात करें तो पिछले 24 घंटे में 61 नए मामले सामने आए। इससे जिले में एक्टिव केसों की संख्या 430 पहुंच गई है। वहीं अगर उत्तर प्रदेश में पिछले रविवार को 15,353 मामले सामने आए, देश की बात करें तो पिछले 24 घंटे में 1.69 लाख नए मामले सामने आए हैं।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ पी के सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि सीतापुर जिले में 45 वर्ष से अधिक के आयु वाले लोगों का लक्ष्य 332,603 है। वही हेल्थ केयर वर्कर का लक्ष्य 16,237 है, जबकि फ्रंट लाइन वर्करों का लक्ष्य 15,225 है। 8 अप्रैल तक जिले में 45 वर्ष से अधिक की आयु वाले 104,191 व्यक्तियों को पहली खुराक दी जा चुकी है, जो तय लक्ष्य का 31 फीसदी है।
हेल्थकेयर वर्करों की बात करें तो अब तक 13,668 वर्करों ने पहली खुराक ली है, जो तय लक्ष्य से 16 फीसदी पीछे है। वहीं 12,692 फ्रंट लाइन वर्करों ने पहली खुराक ली है। इसमें भी स्वास्थ्य विभाग 17 प्रतिशत पीछे है।
दूसरी खुराक में और घटे आंकड़े
कोविड-19 की दूसरी खुराक लेने में हेल्थ केयर वर्कर और फ्रंट लाइन वर्कर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसके आंकड़ों पर नजर डाले तो 10,713 हेल्थ केयर वर्करों ने ही दूसरी ख़ुराक ली। वहीं फ्रंट लाइन वर्कर की बात करें तो महज 8,592 कर्मियों ने दूसरी खुराक ली, जो क्रमशः 66 और 56 प्रतिशत है। वैक्सीनेशन न लगवाने की वजह के बारे में जब कोविड-19 टीकाकरण को लेकर सीतापुर जिले के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. पीके सिंह से पूछा तो उन्होंने कहा, कोई अगर वैक्सीन नहीं लगाना चाहता है तो उसको जबरदस्ती नहीं लगा सकते है।
पिसावां के समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की एक आशा वर्कर ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया, “आंगनबाड़ी वर्करों को टीकाकरण करने के लिए बुलाने जाते हैं तो वो बहाना बनाने लगती है कि मुझे ब्लड प्रेशर की दिक़्क़त है। तो कुछ हार्ट की समस्या बता कर वैक्सीन लगवाने से बच रही हैं। इनमें से कुछ जैसे तैसे पहला टीका लगवा लेती हैं वो दोबारा वापस लगवाने नहीं आती है।”
वहीं इसी सीएचसी पर तैनात एक अधिकारी ने बताया, “जिनको पहली डोज लगाई गई है, उनमें से कई लोगो को जब दोबारा दूसरी खुराक लेने के लिए फोन किया गया तो उन्होंने बताया कि मैंने दोनों डोज लगवा ली है। इसके साथ ही जो लोग ऑनलाइन डेटा एंट्री का काम करते है वो भी गलतियां कर जाते है, जिसकी वजह से भी दिक्कतें आ रही है।”
लोगों को समझाना हो रहा मुश्किल
पिसावां सीएचसी के अधीक्षक डॉ. संजय श्रीवास्तव ने गांव कनेक्शन को बताया, “कोविड-19 का टीकाकरण कराने के लिए ग्रामीणों को काफ़ी समझाना पड़ रहा है। लोग कहते हैं टीकाकरण कराने के लिए गाड़ी भेजिए। हम ऐसे में गाड़ी कहा से उपलब्ध करा पायेंगे।”
एनएच 24 के किनारे स्थित सीतापुर जिले के पिसावां ब्लॉक के कारीपाकर गांव निवासी 52 वर्षीय झब्बूलाल से जब कोरोना के टीकाकरण के बारे में पूछा तो मुस्कुराते हुए बोले दिनभर भैंस चराते हैं, यहाँ कोरोना कहां है। वहीं जब उनसे पूछा कि आपने टीका क्यों नहीं लगाया तो अंगड़ाई लेते हुए बोले, यहां कारीपाकर में तो कोरोना है नहीं। यहां तो किसी भी प्रकार की खबर ही नहीं है। वैसे हमारे यहां कोई बताने ही नहीं आया कि टीका लगाया जा रहा है। इसके अलावा जब गांव कनेक्शन की टीम ने महोली स्थित सीएचसी पर पहुंची तो यहां नर्स लोगो का टीकाकरण कर रही थी। तो वहीं कुछ लोग बग़ैर मास्क के घूमते नज़र आए।
वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण का ख़तरा होता है कम
गोंदलामऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ. धीरज कुमार मिश्र ने बताया कि जो भी लोग कोविड-19 की वेक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं। उनमें संक्रमण का ख़तरा ना के बराबर रह जाता है, लेकिन अगर संक्रमण हो भी जाता है तो वो मनुष्य पर ज्यादा प्रभावी नहीं हो पायेगा। दरअसल कोरोना संक्रमण में सबसे पहले गले मे दिक्क़त होती है और निमोनिया हो जाने से फेफड़ों में ब्लॉकेज हो जाता है। संक्रमण जब ज्यादा हो जाता है तो फिर मरीज की मौत हो जाती है। वैक्सीन लगवाने के बाद बुखार आने से लोग बिल्कुल न घबराएं, हल्का बुखार आ जाता है, लेकिन परेशान होने वाली बात नही है। कोविड वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है।