पंजाब में गेहूं-धान की खरीद आढ़तिया (कमीशन एजेंट) के माध्यम से होती है। यही आढ़तिया किसानों को उनकी फसल का भुगतान भी करते हैं। केंद्र सरकार ने बाकी राज्यों की तरह किसानों को भुगतान सीधे बैंक खातों (डीबीटी) के जरिए की बात की थी, जिस पर लंबी जद्दोजहद के बाद 8 अप्रैल को पंजाब सरकार राजी हुई लेकिन अब आढ़तियों ने मोर्चा खोल दिया है। आढ़तियों ने नए सिस्टम से गेहूं खरीद से इनकार कर दिया है। पंजाब में 10 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होनी है।
आढ़तिया एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष रविंदर सिंह चीमा गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “पंजाब में आढ़तिया गेहूं नहीं खरीदेंगे। हमने राज्य सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया है। मुख्यमंत्री (कैप्टन अमरिंदर सिंह) के साथ बैठक में संघ ने अपनी बात रखी है। लेकिन हम किसान को परेशान नहीं करेंगे तो जो माल मंडी में आएगा उसे हम उतारेंगे, मंडी में खुला लंगर लगाएंगे। जब मंडियां भर जाएंगी 2-4 दिन में फिर हम ट्रैक्टर-ट्राली लेकर सड़कों पर उतरेंगे।”
आढ़तिया एसोसिएशन पंजाब के मुताबिक पंजाब में गेहूं की खरीद के लिए करीब 32,000 कमीशन एजेंट (आढ़ती) रजिस्टर्ड हैं जबकि धान के लिए 28,000 अढ़तिया रजिस्टर्ड हैं। (कई जगहों पर धान के मौसम में कपास की खेती होती है, इसलिए गेहूं के अढतियों की संख्या ज्यादा है) जो धान, गेहूं, कपास, बासमती, बाजरा, मक्का आदि की ख़रीद करते हैं। यहां 1,850 बड़ी मंडियां हैं, जिनमें से 152 अनाज की मंडियां हैं।
पंजाब में आढ़तियों के दो बड़े संगठन हैं- आढ़तिया एसोसिएशन पंजाब और फेडरेशन ऑफ पंजाब आढ़तिया एसोसिएशन, चीमा के मुताबिक दोनों संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को नहीं माना है। चीमा ने गांव कनेक्शन को बताया, “पंजाब सरकार कह रही है कि वो दोबारा केंद्र से बात करेगी, देखते हैं क्या होता है। रही बात पैसे की तो हम लोग पहले से ही आरटीजीएस (बैंक ट्रांसफर) कर रहे हैं फिर नए नियम की क्या जरूरत है।”
केंद्र सरकार और पंजाब सरकार के बीच लंबी जद्दोजहद के बाद पंजाब में गेहूं खरीद 10 अप्रैल से शुरू हो रही है। ये पहली बार होगा जब पंजाब में किसानों को गेहूं का पैसा आढ़तिया नहीं बल्कि भारत खाद्य निगम (एफसीआई) सीधे खातों में भेजेगा। एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का पैसा बैंक खातों में भेजने (डीबीटी) के लिए पंजाब सरकार और वक्त चाहती थी लेकिन केंद्र इसके लिए राजी नहीं हुआ।
केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इस वर्ष (विपणन वर्ष 2021-22) 427.363 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं खरीद का अनुमान लगाया है। इसमें से 130 एलएमटी पंजाब की खरीद पंजाब से होनी है। पंजाब सरकार के मुताबिक कोविड-19 की गाइडलाइंस को ध्यान रखते हुए राज्य सरकार ने 1872 खरीद केंद्रों की बजाए 4000 केंद्रों के जरिए खरीद करेगी।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल के साथ लंबी वार्ता के बाद पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने कहा कि राज्य सरकार के पास चालू रबी खरीद सीजन (RKMS 2021-22) में एमएसपी पर खरीदी जाने वाली फसलों का भुगतान सीधे बैंक खातों (डीबीटी) करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। हमने डीबीटी लागू करने के केंद्र सरकार से आग्रह किया था लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया।
किसानों को देना होगा जमीन का ब्यौरा
पंजाब में इस बार गेहूं की खरीद नए नियमों के साथ होगी। किसानों को अपनी जमीन के कागजात देने होंगे, जिसके बाद मंडी में किसी भी माध्यम (आढ़तिया या कोई खरीद एजेंसी) से गेहूं की तौल होगी और उसके एवज में 1975 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से पैसा सीधे किसानों के खातों में भेजा जाएगा। पंजाब इस बार सेंट्रल पूल के लिए गेहूं की खरीद 50 किलो के बोरी में करेगी।
पंजाब में गेहूं और धान की खरीद आढ़तिया के माध्यम से होती है। साल 2020 से पहले आढ़तिया किसी भी माध्यम से किसानों को पैसा दे सकते थे लेकिन पिछले गेहूं और साल धान के सीजन के बाद से आढ़तिया भी एमएसपी के पैसों को आरटीजीएस (ऑनलाइन ट्रांसफर) किया था, लेकिन केंद्र सरकार का कहना था आढ़तिया सिर्फ खरीद का काम करें, उसके बदले कमीशन लें लेकिन किसान का पैसा सीधे एफसीआई भेजेगी, जैसा की और राज्यों में होता है। उस वक्त पंजाब के आढ़तियों ने कहा था कि ये कमीशन एजेंट को मंडी से बाहर करने की साजिश हैं हालांकि केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने फरवरी 2021 में साफ किया था कि आढ़तिया अपना काम करते रहेंगे, खरीद उन्हीं के जरिए होगी, उन्हें कमीशन भी मिलेगा लेकिन पारदर्शिता और कालाबाजारी रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भुगतान जरुरी लागू किया जा रहा है। इस संबंधित विस्तृत खबर यहां पढ़ें-
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उत्तर प्रदेश ने एक कदम और बढ़ते हुए खरीद केंद्रों पर ई-पॉप मशीनें लगाई हैं। पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर चुके किसान को खरीद केंद्र पर पहुंचकर मशीन में अपना अंगूठा लगाना होता है, सत्यापन के बाद ही गेहूं की खरीद होती है। यूपी सरकार के मुताबिक ई-पॉप मशीन का उपयोग बिचौलियों और कारोबारियों को एमएसपी खरीद से दूर रखने के लिए किया गया है।
देश के कई राज्यों में एक अप्रैल से गेहूं की खरीद जारी है। लेकिन पंजाब में 10 अप्रैल से खरीद शुरु हो रही है। प्रदेश में हार्वेस्टिंग तेजी से जारी है। किसान भी मंडी खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मोका जिले के किसान मलकीत सिंह के पास 10 एकड़ में इस बार गेहूं था वो मंडी खुलने का इंतजार कर रहे हैं। मलकीत गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “किसानों का आढ़तियों के एक नाता है जैसा है। और पैसा तो वो भी ऑनलाइन ही ट्रांसफर करते थे लेकिन इसलिए हमें उसमें ज्यादा बुराई नजर नहीं आती है और खातों में कोई और भी भेजे तो क्या फर्क पड़ता है। हमारी तो फसल बिके।”