“पंछी को परवाज ही काफी है उड़ने के लिए,
जूनून होना चाहिए जमाने से लड़ने के लिए” !
इन दिनों राजस्थान के जयपुर में कुछ परिंदे अपना अस्तित्व, अपना घोंसला खोने वाले हैं, क्योंकि उनके आशियाने पर बुल्डोजर चलने वाला है। ये पक्षी तो विरोध नहीं कर सकते हैं, देशभर के पर्यावरण प्रेमियों ने इनके लिए आवाज़ उठाई है।
राजधानी जयपुर में टोंक रोड़ स्थित तरु छाया नगर के पास 40 हेक्टेयर में फैले वनक्षेत्र को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अपनी बजट घोषणा के अनुसार जल्द ही फिनटेक पार्क में बदलने जा रही है। 1000 पेड़ों और करीब 100 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों से आबाद यह वन क्षेत्र भाजपा सरकार के प्रोजेक्ट द्रव्यवती नदी और एयरपोर्ट के नज़दीक फैला हुआ है।
फिनटेक पार्क को लेकर अब राजस्थान में पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े लोग, सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्थानीय लोग “डोल का बाड़ बचाओ अभियान” के तहत विरोध जता रहे हैं। वहीं इस वन क्षेत्र को बचाने के लिए देश की 29 जानी-मानी हस्तियों ने मुख्यमंत्री गहलोत और रीको (राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम) के चैयरमैन कुलदीप रांका को पत्र भी लिखा है। खत लिखने वालों में पर्यावरण कार्यकर्ता मेधा पाटकर, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक अरुणा राय, इतिहासकार डॉ.रामचंद्र गुहा, नदी और पर्यावरण के लिए काम करने वाले हिमांशु ठक्कर, गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता और मैंग्सेसे से सम्मानित संदीप पांडे, जावेद अख्तर दिग्गज शामिल हैं।
विरोध प्रदर्शन करने वाले स्थानीय लोगों का एक सुर में कहना है कि फिनटेक पार्क बनने से डोल का बाड़ क्षेत्र में फैली पर्यावरणीय विविधता और पक्षियों के लिए सालों बाद बसा यह आशियाना उजड़ जाएगा इसलिए इसे किसी दूसरी जगह स्थानान्तरित किया जाए।
जयपुर के पर्यावरण प्रेमी और सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी गांव कनेक्शन से बातचीत में कहते हैं, “कुछ दिनों में हज़ारों पेड़ और लाखों जीव जन्तु इंसान की डेवलपमेंट की भूख के हत्थे चढ़ जायेंगे.किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा।”
कोरोना महामारी के दौरान जयपुर समेत देशभर में हुई ऑक्सीजन की किल्लत का हवाला देते हुए वो आगे कहते हैं, “थोड़े दिन पहले ऑक्सीजन के लिए दर-दर भटक रहे शहर को बिना बिना मांगे साफ हवा दे रहे डोल के बाग की जल्द मौत हो जाएगी, जिसे औद्योगिक पार्क कहकर विकास के क़सीदे पढ़े जाएंगे।”
पर्यावरण कार्यकर्ता और लेखक सन्नी सेबेस्टियन इस मामले पर एक अहम पहलू की ओर ध्यान खींचते हैं, वह कहते हैं, “डोल का बाड़ को बचाने के लिए हम इसलिए संघर्षरत है क्योंकि यह वन क्षेत्र सालों में भौगोलिक और वातानरणीय परिस्थितियों के कारण अपने आप विकसित हुआ है, ऐसे में इसे खत्म करना आस-पास के इलाके के पूरे इकोसिस्टम के लिए खतरा हो सकता है।” वह जोड़ते हैं कि मानिए हम इन पेड़ को काटकर 100 पेड़ लगाते भी हैं लेकिन प्रकृति की खुद की विकसितता नहीं बना सकते हैं, इसलिए हम डोल का बाड़ को बचाना चाहते हैं।
कहां बनने जा रहा है फिनटेक पार्क?
जयपुर में टोंक रोड पर तरु छाया नगर के पास एयरपोर्ट से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर फिनटेक पार्क विकसित किया जाना है। इस इलाके के उत्तर में कई आवासीय कॉलोनियां हैं जबकि दक्षिण में राजधानी का बड़ा रिहायशी इलाका सांगानेर है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अक्टूबर 2018 में यहां 16 किलोमीटर क्षेत्र में द्रव्यवती नदी सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट का फीता काटा था, जिसके बाद इसके आस-पास का यह इलाका वनाच्छादित क्षेत्र बनता गया।
वहीं बीते 3 सालों में यहां बागों और नर्सरियों के जरिए एक प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो गया जहां कई दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी और जीव-जंतु बसने लगे और यह एक वनक्षेत्र में बदल गया।
फिनटेक पार्क की मुख्यमंत्री ने की बजट में घोषणा
24 फरवरी 2021 को राजस्थान सरकार का 2021-2022 बजट पेश करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि “मैं जयपुर को देश में एक फिनटेक सिटी के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से एक फिनटेक पार्क (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी पार्क) की घोषणा करता हूं”।
सीएम गहलोत ने कहा था कि, राज्य के कई चार्टर्ड एकाउंटेंट और आईटी प्रोफेशनल देश भर में काम कर रहे हैं जो नोएडा, मुंबई, हैदराबाद, बैंगलोर, कोलकाता जैसे शहरों में बस गए हैं उन्हें हम उनके प्रदेश में ऐसा वातावरण देना चाहते हैं।
वहीं उस दौरान राज्य के उद्योग सचिव और रीको के एमडी आशुतोष पेडनेकर ने कहा था कि फिनटेक पार्क 4.8 लाख वर्गमीटर के क्षेत्र में विकसित किया जाएगा जिसमें 55% भूमि क्षेत्र होगा।
राज्य सरकार की आईटी कंपनियों को लुभाने के लिए समर्पित इस योजना के तहत 106 करोड़ रुपये की लागत बताई गई जिससे राज्य में 3000 करोड़ रुपये का निवेश लाने का दावा भी किया गया।
जमीन के इस टुकड़े की है सालों पुरानी कानूनी लड़ाई
जयपुर में सांगानेर तहसील के डोल का बाड़ (Dol ka Badh) क्षेत्र सम्मिलित भूमि को राजस्थान भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1953 की सेक्शन 4(1) के तहत 1979 में औद्योगिक विकास एवं इंडस्ट्रीज की स्थापना के उद्देश्य से अधिसूचित किया गया था।
भूमि अधिग्रहण अधिनियम के सेक्शन 6 के मुताबिक उस दौरान इस भूमि को 591 बीघा और 17 बिस्वा में नापा गया जिसके बाद भूमि पर सरकार ने अधिग्रहण कर लिया और फिर 1982 में रीको (राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम) को सौंप दिया गया।
भूमि अधिग्रहण कलेक्टर ने 105 एकड़ इस भूमि को बाद में 1988 में डायमंड एंड जेम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड को जेम इंडस्ट्री स्थापना के लिए आवंटित किया।
डायमंड एंड जेम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इस प्रोजेक्ट को समय पर पूरा करने में असफल रहा जिसके बाद रीको ने 1996 में आवंटन रद्द कर दिया। कंपनी ने आवंटन रद्द करने के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय का रूख किया और हाईकोर्ट ने उक्त जमीन पर कंपनी का कब्जा बहाल करने के आदेश जारी किए।
इसके बाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ रीको ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और 2013 हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने उलट दिया और जमीन का अधिग्रहण फिर रीको को मिल गया।
“डोल का बाड़ बचाओ” अभियान की शुरुआत
‘डोल का बाड़’ वन बचाओ समूह से जुड़ी मिताली देसाई कहती हैं कि हम डोल का बाड़ को बचाने के लिए ऐतिहासिक चिपको आंदोलन भी करेंगे, लेकिन इस वन क्षेत्र को नष्ट नहीं होने देंगे।
वह आगे कहती हैं, “हमें स्थानीय लोगों का भी समर्थन मिल रहा है और सरकार से हम हर स्तर पर बातचीत कर फिनटेक पार्क को रीलोकेट करवाएंगे।”
जयपुर की सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव के मुताबिक वनक्षेत्र में बीते शनिवार (3 जुलाई -2021) को कुछ जेसीबी मशीन देखी गईं जो लेबलिंग का काम कर रही थी, जिसको देखकर ऐसा लगता है कि सरकार इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।
सरकार से बातचीत को लेकर श्रीवास्तव कहती है, “हमने रीको और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपनी मांगे सरकार के सामने रखी हैं, फिलहाल रीको के एमडी से भी हमारी मुलाकात तय है, उनसे बातचीत के बाद ही आगे के अभियान की दिशा तय होगी।”
29 जानी मानी हस्तियों ने मुख्यमंत्री गहलोत को लिखा पत्र
डोल का बाड़ को बचाने की मुहिम के तहत देश के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, पर्यावरण कार्यकर्ता, कला, साहित्य और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े 29 लोगों ने जयपुर स्थित डोल का बाड़ वन क्षेत्र को बचाने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है।
पत्र में कहा गया है कि जहां एक तरफ जयपुर विकास प्राधिकरण अधिक पेड़ लगाने की योजना बना रहा है, वहीं रीको इस वन क्षेत्र को नष्ट करने के की योजना बना रहा है।
आगे पत्र में सरकार से पूछा गया है कि फिनटेक पार्क की योजना कहीं और क्यों नहीं बनाई जा सकती जबकि जयपुर में चार औद्योगिक क्षेत्रों में 40 से अधिक औद्योगिक क्षेत्र हैं।
इन लोगों ने लिखा है अशोक गहलोत को लेटर
डोल का बाड़ को बचाने के पर्यावरण प्रेमी, अधिवक्ता, छात्र, मानवाधिकार कार्यकर्ता, फिल्म से जुड़े लोग, राजनीतिक कार्यकर्ता, गृहणी और आम लोग तक शामिल हैं। 23 जून मिताली देसी समेत 302 लोगों ने रीको के चेयरमैन को खत लिखा था जबकि 4 जुलाई 2021 को मेधा पाटकर, वंदना शिवा, अरुणा राय, हर्ष मंदर, डॉ. रामचंद्र गुहा, जावेद अख्तर, बेला भाटिया, हिमांशु ठक्कर, अनिल चमाड़िया, संदीप पांडे समेत देश के जानेमाने पर्यावरण कार्यकर्ता, लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता, इतिहासकार, कवि, संगीतकारों, और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस वन क्षेत्र को बचाने की मांग की है।
फिलहाल रीको का इस पर क्या कहना है?
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रीको के एक अधिकारी ने बताया कि जमीन निजी खातेदारी जमीन है, जिसे औद्योगिक विकास के लिए रीको ने खरीदा है। उन्होंने कहा कि यह जमीन वन विभाग के अंतर्गत नहीं आती है।
उन्होंने एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार इस भूमि का उपयोग औद्योगिक कार्यों के लिए किया जा सकता है।
रीको चेयरमैन को खत लिखने वाले 302 लोगों में प्रमुख नाम
मिताली देसी, लायला फ्रीचाइल्ड, आन्या गुप्ता, इज्जः मेमन, विजया गुप्ता, मेघा गोयल, आराध्य चुधारी, कोमल श्रीवास्तव, अनीता चौधरी, स्वाति वशिष्ठ, अमित गुप्ता, हर्षवर्धन, शम्मी नंदा, पीएन मंडोला, सनी सेबेस्टियन, राजन महँ, किशन मीना, उपेन्द्र, कविता श्रीवास्तव, अशोक गुप्त, विक्रम जोशी, आशीष जोशी, उषा गुप्त, डी.डी गुप्ता, सतीश गोयल, अभिमन्यु गोयल, हीन सुखानी, अग्रिमा बलाना, रविन्द्र सिंह, विपुल शर्मा, मोहित बंसल, हरेन्द्र नागवंशी, उगाराम, विजय सिंह, नमन गुप्ता एवं 300 अन्य दोल का बाग वन बचाओ समूह की और से I