बिहार के दरभंगा जिले में प्रस्तावित प्रदेश के दूसरे एम्स के लिए बिहार के सैकड़ों युवाओं ने एक मुहिम शुरु की है। वो घर-घर जाकर लोगों से ईंट मांग रहे हैं। बिहार में छात्रों-युवाओं के संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) ने ऐलान किया है कि अगर घोषणा के इतने वर्षों बाद भी सरकार शिलान्यास नहीं कर सकी तो बिहार की जनता ये काम खुद करेगी।
मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) के कोर सदस्य और निवर्तमान राष्ट्रीय महासचिव आदित्य मोहन गांव कनेक्शन से इस मुहिम, एम्स की अड़चने, सियासी पैंतरेबाजी, बिहार के लोंगों की जरुरत के बारे में बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।
“केंद्र सरकार ने 2015 के बजट में बिहार के लिए एम्स की घोषणा की। इसी पर विधानसभा और लोकसभा चुनावों में वोट मांगे गए। लेकिन आज तक शिलान्यास तक नहीं हो सका है। जबकि इसी अवधि के दौरान दूसरे राज्यों के लिए जो एम्स के ऐलान हुए थे उनमें ईलाज शुरु हो गया है। इसीलिए हम लोगों ने तय किया है जिस तरह से मंदिर के लिए घर-घर से ईंट मांगी गई वैसे ही ईंट जमाकर करके 8 सितंबर को जनता इसका शिलान्यस करेगी।”
2015 के केंद्रीय बजट में बिहार के लिए दूसरे एम्स की घोषणा हुई थी। लेकिन काफी समय तक बिहार सरकार जमीन पर फैसला नहीं कर पाई। केंद्र और राज्य के बीच लंबा पत्राचार हुआ। केंद्र ने 11 चिट्ठियां लिखी, 12वीं चिट्ठी के बाद दरभंगा में जगह तय हुई की दरभंगा मेडिकल कॉलेज परिसर में ही एम्स बनेगा, क्योंकि उसके बाद ये किसी और राज्य को स्थांतरित हो सकता था। दरभंगा नाम तय होने के बाद 15 सितंबर 2020 को बिहार चुनाव से पहले केंद्रीय कैबिनेट 1264 करोड़ रुपए के 750 बेड वाले इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी।
एम्स को लेकर देरी के सवाल पर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने फोन पर गांव कनेक्शन से कहा, “कोरोना के चलते कुछ परेशानियां आईं हैं। एम्स को लेकर केंद्र और बिहार सरकार दोनों गंभीर हैं। एम्स को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी है। बिहार सरकार को कुछ काम करने थे, जिसमें प्रारंभिक कार्य मिट्टी भराई था, उसके लिए 13.1 करोड़ रुपए को मंजूरी दे दी है। अब टेंडर होगा, कुछ और काम हमें (बिहार सरकार) को करने थे वो हम कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, एम्स को लेकर कोई अडचन नहीं है। कोरोना में प्राथमिकताएं बदल गईं थी, सरकार का ध्यान कोविड पर हो गया, तो कई प्रोजेक्ट डिले हुए हैं। क्योंकि जिंदगी बचाना अहम था।”
प्रोजेक्ट में देरी पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “प्रोजेक्ट की घोषणा 2015 में हुई थी। सरकार के काम में घोषणा होती है फिर जब कैबिनेट की मंजूरी मिलती है उसके बाद प्रशासनिक अनुमति के बाद वित्तीय आवंटन होता है, तो कई सारी प्रक्रियाएं होती हैं, जिनका पालन करना होता है।” उन्होंने ये भी कहा कि इस प्रोजेक्ट में आप या बहुत सारे लोगों को तकनीकी पहलुओं की जानकारी नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसका शिलान्यास कब होगा ये भारत सरकार तय करेगी।
क्या जनता द्वारा होने का रहे 8 सितंबर #DarbhangaAIIMS के शिलान्यास हेतु आप अपने तरफ से ईंट हमें देंगे ?
घर-घर से ईंटा लाएंगे,
दरभंगा एम्स बनाएंगे ✊ pic.twitter.com/srUJuD2752— Aditya Mohan (@AdityaJhamohan) August 3, 2021
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के मुताबिक उनके देशभर में 3 लाख सदस्य हैं और 5000 से ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं। अभी सिर्फ 5 फीसदी लोग मैदान में उतरे हैं आने वाले 5-6 दिनों में हजारों कार्यकर्ता ईंट मांगने और लोगों को जागरुक करने के उतरेंगे। फिर 37दिन बाद दरभंगा में 5000 लोग बुलाकर शिलान्यास किया जाएगा।
8 साल के अनीश चौधरी बीए के छात्र हैं वो एक और कार्यकर्ता के साथ साइकिल से ईंट मांगने निकले हैं। अनीश अपने दो दिन के अनुभव के बारे में बताते हैं, “दरभंगा के बेनीपुर प्रखंड में हम लोग ईंट मांग रहे थे, इसी दौरान एक युवक से मुलाकात हुई उनके दादा (पिता के भाई) बहुत बीमार हैं। डॉक्टरों ने कहा कि 10-5 दिन के मेहमान हैं। उन्होंने कहा हम एक नहीं 10 ईंटें देंगे, क्योंकि आसपास इलाज की अच्छी सुविधा नहीं। और दिल्ली जाने के उनके पास पैसे नहीं है।”
अनीश दरभंगा जिले के निवासी हैं। एक अगस्त से इस अभियान की शुरुआत के साथ ही वो यात्रा पर निकले हैं। वो 3 दिनों में 175 किलोमीटर का सफर करके 40 के करीब ग्राम पंचायतों में पहुंच चुके हैं। उन्हीं की तरह मिथिला स्टूडेंट यूनियन (MSU) के सैकड़ों युवक उत्तरी बिहार के अलग-अलग जिलों में या तो ईंट मांगने निकल चुके हैं या निकलने वाले हैं।
उत्तरी बिहार में हर साल बाढ़ तबाही मचाती है। इस बार भी 14 जिलों के 16 लाख लोग प्रभावित हैं। गरीबी से जूझ रहे इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। उत्तर बिहार में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगुसराय, सररसा सुपौल समेत कई जिले आते हैं, जो ज्यादातर बाढ़ प्रभावित हैं, मिथिला यूनियन इन्हीं जिलों की 800 ग्राम पंचायतों में ईंट जुटाएगी।
आदित्य मोहन आगे कहते हैं, “उत्तर बिहार की स्थिति कितनी दयनीय है किसी से छिपी नहीं है। बाढ़ प्रभावित इलाका है। हर साल तबाही मचती है। एक बार दिल्ली के एम्स जाकर देखिए 30-35 फीसदी लोग आप को बिहार के मिलेंगे। दरभंगा मेडिकल कॉलेज (DMCH) की हालत भी बदतर है। ये एम्स उत्तर बिहार की 6 करोड़ जनता के लिए बहुत जरुरी है।”
संगठन मिथिला स्टूडेंट यूनियन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप मैथिल गांव कनेक्शन को फोन पर बताते हैं, “एम्स पहला प्रोजेक्ट नहीं है, जिसमें देरी हो रही है। कोसी ब्रिज को अटल बिहारी बाजपेई सरकार में मंजूरी मिली थी उद्घाटन मोदी जी ने किया है। अगर ये एम्स 2024 तक नहीं बन पाया तो 2030 में भी नहीं बन पाएगा। इसलिए अब जनता ही आगे तय करेगी।”
इसी तरह से घर-घर जाएंगे
इंटा मांगकर एम्स बनाएंगे।#DarbhangaAIIMS पर डबल इंजन सरकार की सच्चाई सबके समक्ष लाएंगे।एक प्रोजेक्ट के दम पर 5 चुनाव में वोट लेती है और जबतक वो प्रोजेक्ट खत्म नही होता कोई दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट सरकार नही देती है।@iamnarendranath@umashankarsingh pic.twitter.com/XxOMLWbN28
— Anup Maithil (@MaithilAnup) August 3, 2021
अनूप मैथिल बताते हैं, “एम्स को बनने में कई तकनीकी पक्ष होते हैं। 200 एकड़ जमीन चाहिए। फोर लेन हाईवे और रेलवे ओवरब्रिज होने चाहिए। बिहार सरकार को इस जमीन के लिए एक रुपए नहीं खर्च करना पड़ा है। दरभंगा महराज ने जो जमीन डीएमसीएच को दो थी वो बहुत बड़ी है उसी में इसे बनाया जाना है। लेकिन वो जमीन लो लैंड (जलभराव) वाली है। बिहार सरकार ने जमीन के समतलीकरण के लिए 13 करोड़ रुपए मंजूर किए थे, वो काम भी नहीं शुरु हुआ है तो ये आखिर बनेगा कब?”
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के मुताबिक जो लोग एम्स प्रोजेक्ट की तकनीकी पक्ष को समझते हैं वो ये जानते हैं कि अगर जल्द इसका काम नहीं शुरु कराया गया, फिर प्रोजेक्ट कहीं लटक ही न जाए।
अनूप मैथिल कहते हैं, “दरभंगा का सारा पानी प्रस्तावित जमीन की तरफ आता है। बिना मिट्टी भराए काम नहीं होगा और मिट्टी भरवा दी गई तो थोड़ी सी बरसात में दरभंगा शहर पानी-पानी हो जाएगा क्योंकि वहां सीवर, ड्रेनेज नहीं है। फोन लेन कनेक्ट्विटी चाहिए और इन सब पर कुछ भी काम नहीं हुआ। इसलिए जनता को जोर लगाना पड़ेगा।”
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आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में, मिथिला के केंद्र दरभंगा में 1264 करोड़ की लागत से बनने वाले एम्स के प्रस्तावित स्थल के लो लैंड पर मिट्टीकरण हेतु 13 करोड़ 23 लाख 42 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की गई।https://t.co/swpUu0kutb pic.twitter.com/wLczuIaGjP— Gopal Jee Thakur (@gopaljeebjp) July 30, 2021
मिट्टी के लिए 13 करोड़ मंजूर हुए
दरभंगा से बीजेपी सांसद गोपालजी ठाकुर ने 30 जुलाई को बताया कि दरभंगा एम्स की लो लैंड पर समतलीकरण के लिए बिहार सरकार ने 27 जुलाई 2021 को 13 करोड़ 23 लाख 42 हजार रुपए की स्वीकृति दी है। उन्होंने आगे लिखा कि, “पीएम मोदी के नेतृत्व में मिथिला के केंद्र दरभंगा में 1264 करोड़ की लागत से बनने वाले एम्स के प्रस्तावित स्थल के लो लैंड पर मिट्टीकरण हेतु 13 करोड़, 23 लाख 42 रुपए की राशि स्वीकृति की गई है।” संसद के मानसून सत्र के दौरान उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से भी मुलाकात कर एम्स निर्माण में देरी पर अपनी चिंता जताई थी। गोपाल जी ठाकुर के मुताबिक एम्स के बनने से 8 करोड़ मिथिलावासियों के अलावा, पश्चिम बंगाल और नेपाल के लाखों लोगों को फायदा मिलेगा। मार्च 2021 में केंद्रीय टीम
दरभंगा एयरपोर्ट के लिए मुहिम चला चुकी है MSU
मैथिल के मुताबिक वो लोग आंदोलनकर ट्वीटर पर ट्रेंड चलाकर कई चीजें करवा चुके हैं। मैथिल कहते हैं, “आंदोलन करके,ट्वीटर पर ट्रेंड चलवाकर हम लोगों ने एयरपोर्ट को चालू करवा है। हमारे एक ट्रेंड के बाद तत्कालीन नागरिक उड्यन मंत्री हरदीपपुरी ने ट्वीटर कर हम लोगों को बताया था कि अक्टूबर 2020 तक एयरपोर्ट शुरु होगा। हम लोग इसके लिए लगातार लगे रहे। बिहार चुनावों में मेगा कैंपेन चलाई, “नो वोट विदाउट दरभंगा एयरपोर्ट”, इस तरह नवंबर 2020 में एयरपोर्ट चालू हुआ। तो इलाके के लोग जानते हैं कि हम लोग बिहार, इलाके, क्षेत्र के विकास के लिए काम करते हैं, हमें उनका पूरा समर्थन मिल रहा है।”
मिथिला स्टूडेंट यूनियन एक गैर राजनीतिक युवा आधारित संगठन है, जिसकी स्थापना 2015 में हुई थी। आदित्य मोहन बताते हैं, “हमारे ज्यादातर कार्यकर्ता युवा हैं। हम लोग क्षेत्र के विकास, पलायन, चमकी, गरीबी, बाढ़ आदि के मुद्दे पर काम करते हैं। बिहार ही नहीं देश के 12 राज्यों में, दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में हमारे हजारों साथी हैं। हमारा सारा काम क्राउंड फंडिंग के जरिए होता है।”
बिहार में ही लंबा इंतजार क्यों?
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के मुताबिक नागपुर एम्स 2014 में घोषित हुआ था, मात्र 4 साल के अंदर 2018 में बनकर तैयार हो गया और अब सेवा में है। गोरखपुर एम्स 2014 में घोषित हुआ, 2016 में पीएम मोदी ने शिलान्यास किया, मात्र 3 साल के अंदर 2019 में ओपीडी शुरू हो गई है और अब सेवा में है। 2018 में तेलंगाना में एम्स घोषित हुआ, पार्शियली फंक्शनल है। 2017 में देवघर, राजकोट में एम्स घोषित हुआ, दोनों जगह कक्षाएं जारी हैं। 2015 में विजयपुर, विलासपुर, गुवाहाटी में घोषित हुआ, वहीं भी पढ़ाई शुरु हो चुकी है।
वहीं दरभंगा एम्स आजतक इंतजार कर रहा है। सरकार, नेता और पार्टियां बार-बार घोषणाएं करती है लेकिन अबतक कोई अपडेट नहीं है। इसलिए MSU ने तय किया कि अब खुद जनता दरभंगा एम्स का शिलान्यास करेगी।
आदित्य मोहन आगे कहते हैं, ” हमें पता है कि हमारी राह में कई मुश्किलें आएंगी, हो सकता है एफआईआर हो, प्रसाशन रोके लेकिन करोड़ों लोगों के लिए हम लोग सब सहने को तैयार हैं।”