करनाल में किसान संगठनों की प्रशासन से वार्ता विफल, लघु सचिवालय का घेराव कर रहे किसानों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल

हरियाणा एसडीएम की बर्खास्तगी की मांग को लेकर किसान संगठनों की महापंचायत के बाद प्रशासन से 3 राउंड की वार्ता हुई लेकिन बेनतीजा रही। जिसके बाद किसानों ने लघु सचिवालय की तरफ मार्च शुरु किया, जहां पहुंचने के बाद उन पर वाटर कैनन का इस्तेमाल हुआ है।
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पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में लाखों का हुजूम जुटाने के दूसरे दिन किसान नेताओं ने हरियाणा के करनाल में किसान महापंचायत की। ये पंचायत एसडीएम आयुष सिन्हा को बर्खास्त करने, शहीद किसान सुशील काजल के परिवार को 25 लाख का मुआवजा देने समेत कई मांगों को लेकर थी। लेकिन वार्ता विफल हो गई, जिसके बाद किसानों ने लघु सचिवालय तक पैदल मार्च निकाला। लघु सचिवालय पर प्रदर्शन कर रहे किसानों पर पुलिस-प्रशासन ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। प्रदर्शन जारी है।

वार्ता बेनतीजा रहने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेता योगेंद्र यादव ने मीडिया से कहा कि हरियाणा सरकार ने बिल्कुल वैसा ही किया था जैसा महाभारत में हुआ था कि पांच गांव भी देने को राजी नहीं हुए थे। उन्होंने कहा, “प्रशासन से 3 राउंड बात हुई। हमारे 15 प्रतिनिधि शामिल हुए। करनाल में आईएएस अफसर ने जो कृत्य किया वो अक्षम्य है। हमने मुआवजे समेत बाकी सभी मांगों को छोड़ दिया था। हमने कहा कि आप जांच कराइए तब तक संस्पेंड तो करिए लेकिन प्रशासन इसके लिए भी तैयार नहीं हुआ। इसलिए बातचीत विफल रही। हम लघु सचिवालय तक जाएंगे, बाकी फैसला बाद में होगा।”

इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आरोप लगाया कि वार्ता विफल होने के बाद करनाल प्रशासन ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, “किसानों के भारी दबाव और प्रदर्शन के चलते पुलिस ने सभी किसान नेताओं को बस से उतार दिया है सभी पैदल आगे बढ़ रहे हैं। “

खबर लिखे जाने तक हजारों हजार किसान करनाल के लघु सचिवालय के सामने पहुंच गए थे और नारेबाजी कर रहे थे। जय किसान आंदोलन के वाइस प्रेसिडेंट दीपक लांबा ने बताया कि सभी किसान लघु सचिवालय करनाल के सामने पहुंच गए हैं। किसान नेता किसान भाइयों से संयम और अनुशासन बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।

दरअसल, हरियाणा के करनाल में 28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के मामले में विवादों में आए एसडीएम को बर्खास्त करने से सरकार के इनकार के बाद करनाल की अनाज मंडी में किसानों ने बड़ी पंचायत की। संयुक्त किसान मोर्चा का दावा है कि इसमें 2 लाख के करीब किसान शामिल हुए हैं। 28 अगस्त को लाठीचार्ज में एक किसान की मौत हो गई थी जबकि कई घायल हुए थे।

संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप है कि सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उनके कार्य का खुलकर समर्थन किया। जहां किसानों ने मांग की कि अधिकारी को बर्खास्त किया जाए, सरकार ने इसके बजाय उन्हें पदोन्नत किया। किसानों ने अधिकारी को बर्खास्त करने और उस पर हत्या का मामला दर्ज करने की मांग के अलावा शहीद सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की थी। ऐसा न करने पर करनाल लघु सचिवालय का घेराव करने की चेतावनी दी गई थी। जब हरियाणा सरकार ने किसानों की मांग को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

मुजफ्फरनगर में किसान-मजदूर महापंचायत में किसानों की संख्या को देख, हरियाणा प्रशासन ने करनाल में धारा 144 लागू कर दी और पांच जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद कर दीं थी। करनाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 10 कंपनियों समेत सुरक्षा बलों की 40 कंपनियों की टुकड़ी तैनात कर दी गई। 

एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, राकेश टिकैत सुबह करनाल पहुंचे थे। प्रशासन ने यहां महापंचायत की अनुमति दी थी लेकिन लघु सचिवालय तक मार्च के लिए मना कर दिया था। प्रशासन से बातचीत के लिए 11 किसानों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि किसान बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। हालांकि, जैसा कि प्रशासन ने मांगों को स्वीकार करने या मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया, बातचीत फिर विफल रही। जिसके बाद किसानों ने अनाज मंडी से लघु सचिवालय तक 3.5 किलोमीटर लंबा मार्च निकाला।

एसकेएम ने कहा, “किसान दृढ़ संकल्प के साथ खड़े हैं, और सरकार हत्या के दोष से नहीं बच नहीं सकती। हम आंदोलन के पीछे मजबूती से खड़े हैं और हरियाणा सरकार के कार्रवाई की निंदा करते हैं। किसान मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को सबक सिखाएंगे।”

भारत बंद की तैयारियां तेज

इस बीच 27 सितंबर को होने वाले भारत बंद की तैयारियां जोरों पर हैं। देशभर में तैयारी बैठकें हो रही हैं। बिहार में किसान संगठन 11 सितंबर को पटना में एक सम्मेलन आयोजित करेंगे। मप्र में, सभी जिलों में तैयारी बैठकें 10 सितंबर तक पूरी कर ली जाएंगी, जिसके बाद बंद के लिए समर्थन जुटाने के लिए किसान संगठन अभियान चलाएंगे। उत्तर प्रदेश में एसकेएम के मिशन उत्तर प्रदेश कार्यक्रम के लिए 9 सितंबर को लखनऊ में बैठक होगी।

पंजाब सरकार को भी अल्टीमेटम

इस बीच, पंजाब के किसान संगठन शांतिपूर्ण विरोध कर रहे किसानों पर लगाए गए झूठे मुकदमों को कल तक वापस लिए जाने का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा न करने पर जल्द ही आगे की कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा।

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