भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने शुरू की किसान संपर्क यात्रा, किसानों से जानेंगे उनके अनुभव

आईसीएआर-आईएआरआई के वैज्ञानिक किसानों से उनके अनुभव जानने के लिए निकले हैं, किसान संपर्क यात्रा में किसानों से बासमती की नई किस्मों के बारे में बात करेंगे।
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भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने 27 सितंबर से किसान संपर्क यात्रा शुरू की है, इस यात्रा दिल्ली से होते हुए पंजाब और हरियाणा के किसानों तक पहुंचेगी।

आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के निदेशक डॉ अशोक कुमार सिंह ने इस यात्रा के बारे में बताया, “27 सितंबर से हम निकल रहे हैं किसान संपर्क यात्रा पर, दिल्ली होते हुए हम जिंद, इसके बाद संगरूर, फिर भटिंडा, उसके बाद मुक्तसर और फिर वहां से रानिया, सिरसा, फतेहाबाद और हिसार होते हुए दिल्ली वापस आएंगे।”

डॉ सिंह ने आगे, “इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है कि इस वर्ष जो पूसा बासमती को जो नई किस्में हमने किसान भाईयों को दी थीं, जिनमें 1887 और 1886 जैसे किस्में हैं। उनका एक-एक किलो बीज किसानों को दिया था, वो किस्में किसानों के खेत में कैसा कर रही हैं, वो खुद मैं देखने के लिए जा रहा हूं और किसानों से बातचीत करूंगा।

धान की नई किस्मों की क्या हैं खासियतें

पूसा बासमती-1847 को पूसा बासमती-1509 में सुधार कर विकसित किया गया है। यह नई 125 दिनों में विकसित हो जाती है और अन्य विशेषताएं पूसा बासमती-1509 जैसी ही हैं। यह नई विकसित किस्म पूसा बासमती-1509 की तुलना में 5 क्विंटल प्रति एकड़ अधिक उपज देती है।

पूसा बासमती-1886 को पूसा बासमती 1401 को बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट और ब्लास्ट के लिए प्रतिरोधी बनाकर विकसित किया गया है और यह अच्छी गुणवत्ता का है और 155 दिनों में परिपक्व होता है। यह यूरोपीय संघ को निर्यात के लिए एक पसंदीदा गुणवत्ता वाला धान भी है।

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