पन्ना (मध्यप्रदेश)। मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर बेहद दिलचस्प और हैरत में डालने वाली खबर मिली है। यहां 10 माह के चार बाघ शावक जो ढाई माह पूर्व अनाथ हो गए थे, वे खुले जंगल में चुनौतियों और खतरों के बीच न सिर्फ जीवित हैं, बल्कि शिकार करने के अपने प्राकृतिक गुण में खुद ही पारंगत हो रहे हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने इन अनाथ शावकों का एक वीडियो जारी किया है, जिसमें चारों शावक खुले जंगल में निडर हो उछल कूद करते हुए शिकार खा रहे हैं।
इन अनाथ शावकों की मां (बाघिन पी 213-32) ढाई माह पूर्व अज्ञात बीमारी के चलते लगभग 6 वर्ष की उम्र में गुजर चुकी है। तभी से ये चारों शावक जंगल में चुनौतियों और खतरों का सामना करते हुए एक साथ रह रहे हैं। जब ये शावक महज 7 से 8 माह के थे, इनकी मां की 15 मई को मौत हो गई थी। उस समय इनको सहारे की जरूरत थी। तब इनके पिता (बाघ पी-243) ने अप्रत्याशित रूप से मां की भूमिका निभाते हुए शावकों को सहारा दिया, उनकी परवरिश की। इस तरह से चारों शावक 75 दिनों से खुले जंगल में न सिर्फ सुरक्षित हैं बल्कि अब वे खुद कुशल शिकारी बनने का पाठ सीख रहे हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं, “शावक 10 माह के हो चुके हैं। शावकों का आकार भी बढ़ा है, इनका वजन 60-70 किलोग्राम के आसपास होगा। आत्मविश्वास से लबरेज ये चारों शावक अब आसान शिकार पर हमला भी करने लगे हैं।”
पन्ना टाइगर रिजर्व (anna Tiger Reserve) के अधिकारियों के मुताबिक खुले जंगल में खतरनाक मांसाहारी वन्य प्राणियों से शावक न सिर्फ अपनी सुरक्षा कर रहे हैं बल्कि शिकार करने के हुनर में भी दक्षता हासिल कर रहे हैं। यहां तक का सफर तय करने में शावकों का पिता उनकी मदद करता रहा। लेकिन अब आगे की जिंदगी का सफर शावकों को खुद ही तय करना होगा।
शर्मा इसकी वजह बताते हैं, “नर बाघ पी-243 को जीवन संगिनी मिल गई है। अब नर बाघ Tiger शावकों के रहवास से काफी दूर बाघिन पी-652 के साथ नजर आता है।”
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शावक 14 माह की उम्र तक करने लगते हैं शिकार
वन अधिकारियों के मुताबिक आमतौर पर बाघ शावक 8 से 10 महीने की उम्र में अपनी मां और भाई बहनों के साथ शिकार करने का कौशल सीखने लगते हैं। इस उम्र में मां मुख्य रूप से अपने शावकों को शिकार करना व खुद की रक्षा करना सिखाती है। लेकिन इन शावकों की मां नहीं है, ऐसी स्थिति में 10 माह के हो चुके इन शावकों को अपने दम पर ही जंगल में जीवित रहने के लिए जरूरी हुनर सीखना होगा।
पन्ना टाइगर रिजर्व को बाघों से आबाद कराने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व क्षेत्र संचालक आर. श्रीनिवास मूर्ति ने गांव कनेक्शन को बताया कि आने वाले ढाई- तीन माह काफी महत्वपूर्ण हैं।
अनाथ बाघ शावकों (tiger cubs) को जंगल में ही रख कर उन्हें प्राकृतिक ढंग से रखने के निर्णय की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “अनाथ शावकों को खुले जंगल में रखकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसे सफलतापूर्वक किया जा रहा है। 14 माह की उम्र तक शावकों के दांत व जबड़ा मजबूत हो जाते हैं, जिससे वे शिकार करने में पूर्णरूपेण सक्षम हो जाते हैं। तब तक शावकों की सघन निगरानी जरूरी है।” श्रीनिवास मूर्ति के मुताबिक इन शावकों को अपने पिता से कोई खतरा नहीं है, लेकिन अन्य दूसरे बाघों से खतरा बना रहेगा।
शावकों के पास आता रहता है उनका पिता
शावकों को जंगल में शिकार करने का कौशल सिखाने में उनके पिता नर बाघ पी-243 क्या कोई भूमिका निभाता है? इस सवाल का जवाब देते हुए क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं, “निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन सेटेलाइट कॉलर से नर बाघ के मूवमेंट डेटा से पता चलता है कि वह शावकों के पास आता है। नर बाघ को पूरी रात शावकों के साथ रहते भी देखा गया है। पिछले डेढ़ माह के सेटेलाइट डाटा से पता चलता है कि बाघ पी-243 की आवाजाही उसकी अपनी टेरिटरी से बाहर के क्षेत्रों में भी होती है।”
बाघों के संबंध में यह एक स्थापित तथ्य है कि नर बाघ अपनी टेरिटरी स्थापित करने के बाद जीवनसंगिनी (बाघिन) की खोज करेगा। इसके लिए उसे अपने इलाके से बाहर भी निकलना पड़ेगा। फल स्वरुप नए क्षेत्रों में दूसरे नर बाघों से संघर्ष की स्थिति भी बनती है। नर बाघ पी-243 के मूवमेंट के आंकड़े बताते हैं यह बीते एक माह से बाघिन की तलाश कर रहा है। इस नर बाघ की मुलाकात बाघिन पी213-63 से भी हुई लेकिन करीब आने के बावजूद भी रिश्ता आगे नहीं बढ़ा। इसके बाद नर बाघ पी-243 को बाघिन पी-652 व पी-653 के क्षेत्रों में भी घूमते हुए देखा गया। दोनों ही बघिनें ढाई साल से अधिक उम्र की हैं तथा अभी तक उन्होंने किसी भी नर बाघ के साथ जोड़ा नहीं बनाया। संबंधित खबर
शावकों का पिता अब नई बाघिन से बना रहा रिश्ता
अनाथ शावकों का पिता नर बाघ पी-243 अपने लिए जीवन संगिनी की खोज में जुटा है। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा बताते हैं, “22 जुलाई को ट्रैकिंग दल ने नर बाघ पी-243 को एक बाघिन के साथ देखा है। बाघ के दोनों कंधों में मामूली चोट के निशान भी नजर आए हैं। जिससे प्रतीत होता है कि बाघिन पर आधिपत्य जमाने को लेकर किसी दूसरे बाघ से इसकी जंग हुई है। दूसरे दिन नर बाघ पी-243 की खोज में जब हाथी दल निकला तो बाघ को बाघिन पी-652 के साथ देखा। जाहिर है कि लड़ाई में बाघ पी-243 ने जीत दर्ज की है नतीजतन बाघिन उसके साथ है।”
उन्होंने आगे बताया कि दूसरे नर बाघ जिसके साथ लड़ाई हुई, अभी उसकी पहचान नहीं हो सकी है। इस बाघिन से निकटता बढ़ने पर अब बाघ पी-243 शावकों के क्षेत्र में दिखाई नहीं देता। सेटेलाइट डाटा से पता चला है कि 16 जुलाई के बाद से नर बाघ पी-243 शावकों के इलाके में नहीं गया। मौजूदा समय दोनों बाघिन पी-652 और पी-653 अपने इलाके में हैं। लेकिन यहां नर बाघ पी-243 की एंट्री होने के बाद इस बात की संभावना है कि भविष्य में दोनों बाघिनों में से कोई एक शावकों के इलाके में जा सकती है।”
चुनौतियों से भरा होगा आने वाला समय
चारों अनाथ शावक बिना मां के जंगल में पूरे 75 दिनों तक सुरक्षित रहे, यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। क्षेत्र संचालक शर्मा के मुताबिक शावकों का संघर्ष व उनकी जिंदगी के लिए खतरे अभी कम नहीं हुए। जब तक शावक स्वतंत्र रूप से शिकार करने में सक्षम नहीं हो जाते, तब तक सघन निगरानी जरूरी है। शावकों की जिंदगी में अब नई तरह की चुनौतियां सामने आएंगी, जिनका उन्हें मुकाबला करना होगा।
वे कहते हैं, “शिकार करने का कौशल व शातिर शिकारियों से अपने को बचाना सीखना होगा। यदि नर बाघ पी-243 जोड़ा बनाकर बाघिन के साथ शावकों के इलाके में आता है तो क्या स्थिति बनेगी? क्या शावकों के प्रति नर बाघ के व्यवहार में बदलाव आएगा? क्या नई बाघिन शावकों के लिए खतरा साबित होगी? इस तरह के अनेकों सवाल हैं, जिनका फिलहाल कोई सटीक जवाब नहीं है।”
शावकों के साथ-साथ ये नई चुनौतियां पार्क प्रबंधन के लिए भी परीक्षा की घड़ी साबित होंगी। शर्मा बताते हैं कि प्रबंधन इससे वाकिफ है। हर नया दिन अधिक चुनौतियां लेकर आता है, जो हमें सिखाने के साथ-साथ बाघों के व्यवहार को लेकर नई अंतर्दृष्टि भी प्रदान करता है।”
पन्ना में बढ़ रहा है टाइगर का कुनबा
टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। यह वन क्षेत्र पन्ना, छतरपुर व दमोह जिले के 1598 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसका कोर क्षेत्र 576 वर्ग किलोमीटर व बफर क्षेत्र 1022 वर्ग किलोमीटर है। मौजूदा समय यहां पर शावकों सहित 64 से अधिक बाघ स्वच्छंद रूप से खुले जंगल में विचरण कर रहे हैं। इस बात का खुलासा 13 जुलाई को पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने जारी समीक्षा रिपोर्ट में किया था।