18-44 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के लिए कोविड-19 से बचने के लिए टीकाकरण को शुरू हुए 19 दिन हो गए हैं, जिससे भारत की आबादी के बड़े हिस्से को टीका लगाया जा सकता है। हालांकि, देश में बढ़ती टीकाकरण की रफ्तार के बीच आधिकारिक आंकड़े पिछले एक महीने में टीकाकरण में भारी गिरावट दिखा रहे हैं।
को-विन (Covid Vaccine Intelligence Network) वेबसाइट पर दिए केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार देश में टीकाकरण (दोनों खुराक) की रफ्तार में पिछले एक महीने में 50.8 प्रतिशत की गिरावट आई है (ग्राफ देखें)।
19 अप्रैल (सोमवार) को देश भर में कुल 3,065,254 से अधिक खुराक दी गई। लगभग एक महीने बाद, 17 मई (सोमवार) को यह घटकर 1,505,750 हो गई।
पिछले 50 वर्षों से देश के टीकाकरण कार्यक्रम से जुड़े बेंगलुरू निवासी सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के. के. सुरेश किशन राव ने गांव कनेक्शन को बताया, “हां, टीके की कमी के कारण इसमें 50.8 फीसदी की गिरावट आई है।”
वहीं 19 अप्रैल को दूसरी खुराक लेने वालों की संख्या 980,405 थी, जो 75.8 फीसदी घटकर 17 मई को 237,619 रह गई। ऐसे ही 19 अप्रैल को 2,084,849 लोगों ने पहली खुराक ली, जो 39.2 फीसदी घटकर 17 मई को 1,268,131 दर्ज की गई।
किशन राव ने आगे कहा, “टीकाकरण में घटती रफ्तार के पीछे की वजह वैक्सीन की कमी है। सरकार ने 18 से 44 साल के लोगों के लिए टीकाकरण की घोषणा की, लेकिन उनके पास दूसरी खुराक देने के लिए भी पर्याप्त स्टॉक नहीं है।”
टीके को लेकर हिचकिचाहट से भी आगे नहीं आ रहे लोग
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के नवाबगंज कस्बे में रहने वाले शुभम चौहान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तीसरे चरण के टीकाकरण अभियान के तहत टीकाकरण के लिए पात्र हैं, लेकिन जिले में अभी तक 18 से 44 की उम्र वालों के लिए टीकाकरण शुरू नहीं हुआ है।
27 साल के शुभम ने गांव कनेक्शन को बताया. “जो लोग टीकाकरण के इच्छुक हैं, उन्हें C0-WIN पर टीकाकरण के लिए स्लॉट नहीं मिल रहे हैं। हमारे जिले में 45 से ऊपर वाले ही पात्र हैं, लेकिन वे टीका लगवाने से हिचकिचाते हैं। “
“टीकों को लेकर बहुत सारी अफवाहें हैं। ग्रामीणों को लगता है कि अगर वे टीका लगवाते हैं तो उनकी मौत हो सकती है। मेरे परिवार में भी मेरे पिता टीकाकरण के लिए नहीं गए थे। उन्हें डर है कि अगर बुखार हो गया और वह बीमार हो गए तो अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है और अस्पताल पहले से ही खराब स्थिति में हैं, “शुभम ने आगे कहा।
बिहार के औरंगाबाद के कैथी बनकट गाँव के निवासी मारुत नादर शरण ने गाँव कनेक्शन को बताया कि “हाल ही में मेरे गाँव में सौ से अधिक लोगों को टीका लगाया गया था, लेकिन टीकाकरण के बाद कुछ लोगों को बुखार आया। इसे देख अन्य ग्रामीण डर गए। अगले दिन केवल 35 लोग ही टीकाकरण के लिए पहुंचे।”
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शरण ने ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया को ग्रामीण क्षेत्रों में कम लोगों के टीकाकरण का कारण बताया। उन्होंने कहा, “चूंकि वैक्सीन पंजीकरण प्रक्रिया थोड़ी जटिल है। इसलिए ग्रामीणों को स्लॉट बुक करना थोड़ा मुश्किल लगता है।”
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण अभियान में बाधा उत्पन्न करने के लिए ऑनलाइन स्लॉट बुकिंग प्रक्रिया को भी दोषी मानते हैं। बिहार की राजधानी पटना निवासी सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ विकास आर. केशरी ने गांव कनेक्शन को बताया, “45 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लोग केंद्रों में जाते थे और टीकाकरण करवाते थे। 18 से 44 साल के लोगों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं है। उन्हें एक जटिल स्लॉट बुकिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।”
उन्होंने आगे कहा, “गांवों में कई लोगों के पास स्मार्टफोन नहीं है। वे अपना पंजीकरण कैसे कराएंगे? ग्रामीण क्षेत्रों में वैक्सीन की खुराक का समान वितरण नहीं है। सरकार को गांवों के लिए अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है।”
केंद्र ने दिया आश्वासन, लेकिन राज्यों ने कही वैक्सीन खत्म होने की बात
केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री यह आश्वासन देते रहे हैं कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। इस बीच कई राज्यों ने खुराक खत्म होने की बात भी कही। 11 मई को केंद्र सरकार ने राज्यों से अपील की कि वे कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने वालों के कारण टीकाकरण को प्राथमिकता दें। क्योंकि दूसरी खुराक प्रशासन की प्राथमिकता में है इसलिए राज्य 18 से 44 वर्ष के लोगों के टीकाकरण पर रोक लगा रहे हैं।
यही वजह रही कि 13 मई से कर्नाटक सरकार ने 18-44 आयु वर्ग के लोगों का टीकाकरण अभियान रोक दिया। इससे पहले 11 मई को महाराष्ट्र सरकार ने भी टीके की कमी के कारण 18-44 आयु वर्ग के लिए COVID-19 टीकाकरण को रोक दिया। उधर, दिल्ली सरकार ने भी 18-44 आयु वर्ग के लोगों को कोवैक्सिन देने वाले लगभग सौ टीकाकरण सेंटर को वैक्सीन की कमी के कारण बंद कर दिया था।
17 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार के पास वैक्सीन स्टॉक है, जो 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए चार दिनों तक चलेगा, जबकि 18-44 साल के लोगों के लिए केवल तीन का स्टॉक है।
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— Manish Sisodia (@msisodia) May 17, 2021
इस बीच ओडिशा भी वैक्सीन की कमी की बात सामने आई है। 12 मई को राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को सूचित किया कि ओडिशा में लगभग 2.2 मिलियन लोग कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक का इंतजार कर रहे हैं।
12 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के साथ एक बैठक में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री एन. के. दास ने बताया कि ओडिशा टीकों की भारी कमी का सामना कर रहा था और लोग दूसरी खुराकका इंतजार कर रहे हैं। दास ने आगे कहा कि इस जरूरत को पूरा करने के लिए राज्य को तुरंत कम से कम 2.5 मिलियन कोविशील्ड टीकों की आवश्यकता है।
ओडिशा के मलकानगिरी जिले के खैरापाली गांव की एक आशा कार्यकर्ता अपर्णा सरकार ने गांव कनेक्शन को बताया कि टीकों की कमी के कारण उनके गांव में टीकाकरण केंद्र पिछले तीन-चार दिनों से बंद है।
अपर्णा सरकार ने गांव कनेक्शन को बताया, “केंद्रों में कोई खुराक नहीं है। हमारे केंद्रों में टीकाकरण पिछले एक सप्ताह से बंद है। लोगों में कोई हिचक नहीं है, लेकिन वैक्सीन नहीं है। वे क्या कर सकते हैं ? आज (18 मई) स्टॉक आ सकता है, लेकिन मुझे अभी तक केंद्र से कोई सूचना नहीं मिली है। “
मलकानगिरी से 1568 किलोमीटर दूर मौजूद राजस्थान के सिरोही जिले में भी यही हालात हैं। सिरोही जिले के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी राजेश कुमार ने 13 मई को गांव कनेक्शन को बताया, “टीके की भारी कमी है। हमारे पास 18 से 44 साल के लोगों के लिए 5 हज़ार खुराकें थीं, जिसे दो दिन में खत्मा किया गया, जबकि 45 साल से ऊपर के लोगों के लिए सात हजार खुराक दी गई हैं, जो कल (मई 14) तक के लिए हैं।”
राजेश कुमार ने आगे बताया, ” आज (13 मई) से 18 से 44 साल के लोगों का टीकाकरण बंद कर दिया गया है। हमें नहीं पता कि और खुराक कब मिलेगी। कोई निश्चित मापदंड नहीं है।
पिछले हफ्ते 11 मई को कोवैक्सिन (Covaxin) बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक ने कहा था कि “हमारे टीके की काफी मांग रही है और हर महीने उत्पादन बढ़ाने के बावजूद हम मांग को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।”
आने वाले महीनों में उत्पादन बढ़ेगा
11 मई को एक बैठक में स्वास्थ्य मंत्री वर्धन ने कहा कि भारत का वैक्सीन उत्पादन मई में 80 मिलियन खुराक और जून में 90 मिलियन खुराक तक पहुंचने की संभावना है।
भारत बायोटेक जुलाई में कोवैक्सिन के उत्पादन को बढ़ाकर 33.2 मिलियन और अगस्त में 78.2 मिलियन करने के लिए तैयार है। कोविशील्ड वैक्सीन के निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट का लक्ष्य अगस्त में उत्पादन को 100 मिलियन खुराक तक पहुंचाने का है।
अंत में राव ने बताया, “सरकार ने दोनों ब्रांडों को पैसा दिया है। इसके निर्माण के लिए समय की आवश्यकता होगी। यह बाजार से सब्जियां खरीदने जैसा नहीं है। वैक्सीन उत्पादन में एक सीमा है। अन्य ब्रांडों को भी लाइसेंस दिया गया है, लेकिन इनकी वैक्सीन को बाजार में आने में कुछ महीने लगेंगे।”