लखनऊ। “अप्रैल 2016 का महीना था। मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रही थी। अचानक से मुझे लगा कि मेरे बाएं स्तन में कुछ कड़ापन है। मैं डर गई थी। कुछ दिन बाद जांच कराने अस्पताल पहुंची तो पता चला कि मुझे स्तन कैंसर है। ”
“ज्यादातर लोगों को लगता है कि कैंसर का इलाज नहीं है, क्योंकि उन्हें इसके बारे में सही जानकारी नहीं होती। महिलाओं को स्तन कैंसर को लेकर जागरूक होना चाहिए, क्योंकि मुझे लगता है कि स्तन कैंसर आपको मारे या ना मारे लेकिन कैंसर का डर आपको जरूर मार सकता है।” बीना आगे कहती हैं।
यह कहना है उत्तर प्रदेश के फैजाबाद की रहने वाली शिक्षिका बीना मिश्रा (40 वर्ष) का। बीना परिवार की मदद, दृढ़ इच्छा शक्ति और बेहतर इलाज के दम पर स्तन कैंसर को मात देकर आज एक खुशहाल जीवन जी रही हैं। बीना उन महिलाओं के लिए एक उदाहरण हैं जिन्हें लगता है कि स्तन कैंसर लाइलाज बीमारी है।
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इलाज के बारे में अपना अनुभव साझा करते हुए बीना कहती हैं, “फैजाबाद में स्तन कैंसर का इलाज नहीं था। मैं अपने मम्मी-पापा के साथ लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग पहुंची। यहां पर डॉक्टर आनंद मिश्रा ने मेरी रिपोर्ट देखने के बाद बताया कि मेरे बाएं स्तन में ट्यूमर है, जिसकी वजह से पूरे स्तन को हटाना होगा। डॉक्टर की यह बात सुन मेरी मां के आंखों में आंसू आ गए। मेरे पापा ने तो यह कह दिया कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ है हम लोग ऑपरेशन नहीं कराएंगे। लेकिन मैंने उन लोगों को संभाला और अपना इलाज जारी रखा।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अुनसार, भारत में हर साल पांच लाख लोग कैंसर से अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। कैंसर रोगियों की संख्या इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो 2025 में यह मृत्युदर सात लाख तक पहुंच जाएगी। पॉपुलेशन बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री (पीबीसीआर) के अनुसार भारत में एक साल में करीब 1,44,000 नए स्तन कैंसर के रोगी सामने आ रहे हैं। गलत जीवनशैली और जागरुकता की कमी के चलते भारत में स्तन कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
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लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर आनंद मिश्रा बताते हैं, “स्तन कैंसर होने की वजह क्या है, यह अभी तक स्पष्ट पता नहीं चल सका है। लेकिन देखने में आया है कि कुछ अनुवांशिक कारण भी इसके होते हैं। कई मामलों में देखने को मिला है कि जिनके परिवार में किसी सदस्य को स्तन कैंसर की बीमारी है तो उनमें यह बीमारी होने का खतरा बाकी से ज्यादा बढ़ जाता है।”
“ब्रेस्ट कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन 40 साल की उम्र के बाद इसका खतरा ज्यादा रहता है। कई मामलों में 20 साल की महिलाओं में भी स्तन कैंसर के मामले सामने आते हैं। महिलाओं को सचेत रहने की आवश्यक्ता है। महिलाएं स्वयं समय-समय पर अपने स्तनों की जांच करती रहें। अगर कभी स्तन में कोई गांठ महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। कैंसर पता करने के लिए एफएनएसी की जांच की जाती है।” डॉक्टर आनंद आगे बताते हैं।
वे आगे कहते हैं, “वैसे तो स्तन कैंसर बढ़ती उम्र की महिलाओं को ज्यादा होता है लेकिन यह पुरुषों को भी हो सकता है। पुरुषों में एक प्रतिशत ही स्तन कैंसर होता है, जिसका कारण यह है कि पुरुषों में स्तन का विकास नहीं होता। स्तन का मुख्य काम स्तनपान होता है। पुरुष और महिलाओं में स्तन के विकास के हार्मोन्स अलग-अलग होते हैं। पुरुषों में स्तन कैंसर बहुत ही एडवांस होता है और ये बहुत तेजी से फैलता है। स्किन से तेजी से फैलकर छाती से चिपक जाता है, इसलिए पुरुषों को भी इसके लिए प्रति सजग रहना चाहिए।”
“जब मेरी कीमोथेरेपी चल रही थी तो उस समय मेरे बाल गिर गए थे। मैं स्कार्फ लगाकर स्कूल जाती थी। मेरे चेहरे पर स्कार्फ बहुत सुंदर लगता था। स्कूल में सभी कहते थे कि तुम स्कार्फ में बिल्कुल कश्मीरी लगती हो। मुझे लोगों की बातें बहुत अच्छी लगती थीं। कभी किसी ने मेरे बालों को लेकर मजाक नहीं बनाया। धीरे-धीरे नए बाल आने लगे। एक समय जब बाल छोटे थे तो लोग मुझे इंदिरा गांधी बुलाने लगे। आज आप खुद देख रहे हैं मेरे बालों को। अब पहले से ज्यादा खूबसूरत हैं। लोग तो ये भी कहने लगे हैं कि सर्जरी के बाद तुम और सुंदर लगने लगी हो। अब तो मुझे भी ऐसा लगने लगा है। ” इतना कहते-कहते बीना खिलखिला के हंसने लगीं।
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