नई दिल्ली। अगर आपको कोरोना महामारी के बाद अब तक दौरान 5 किलो मुफ्त अनाज मिल रहा था तो मार्च तक आगे भी मिलता रहेगा। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह पांच किलो मुफ्त अनाज देने की योजना को मार्च 2022 तक के लिए बढ़ा दिया है।
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को कैबिनेट में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि भारत दुनिया का वो पहले देश है जिसने इतने लंबे समय तक 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन दिया है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को मार्च 2020 में शुरु किया था खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत आने वाले लोगों को 5 किलो मुफ्त अतिरिक्त राशन मिल रहा था। करीब 15 महीने से ये लागू इस योजना के तहत इसमें अब तक 600 लाख मीट्रिक टन मंजूर किया गया है, जिसमें से 541 लाख मीट्रिक टन अब तक वितरित किया जा चुका है। योजना को अब दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. जिस पर करीब 53344 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। वहीं 19 महीने के दौरान योजना पर कुल मिला 2 लाख 60 हजार करोड़ का खर्च होगा।
मुफ्त राशन योजना के 4 चरण हो चुके हैं, पांचवें को मिली मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात जून, 2021 को राष्ट्र के नाम सम्बोधन में लोकहित में की गई घोषणा तथा कोविड-19 के संदर्भ में आर्थिक पहलों के हिस्से के रूप में मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई-चरण पांच) को और चार महीने, यानी दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक विस्तार देने को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अन्त्योदय अन्न योजना एवं प्राथमिकता प्राप्त घरों) के दायरे में आने वाले सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का प्रावधान किया गया था।
इस योजना का पहला और दूसरा चरण क्रमशः अप्रैल से जून 2020 और जुलाई से नवंबर, 2020 में पूरा हुआ था। योजना का तीसरा चरण मई से जून, 2021 तक वहीं चौथा चरण जुलाई-नवंबर, 2021 के दौरान जारी है।
पीएजीकेएवाई योजना का पांचवां चरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक चलेगा, जिसमें अनुमानित रूप से 53344.52 करोड़ रुपये की अतिरिक्त खाद्य सब्सिडी दी जायेगी। पांचवें चरण में 163 लाख मीट्रिक टन खाद्यान का उठान अनुमानित है।
कोविड महामारी के दौरान मार्च 2020 में शुरु हुई थी योजना
कोविड-19 महामारी फैलने उपजी स्थितियों में गरीब लोगों को भोजन में दिक्कत न हो इसलिए सरकार ने मार्च 2020 में घोषणा की थी कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत प्रति व्यक्ति, प्रति माह के हिसाब से पांच किलोग्राम अतिरिक्त रूप से निःशुल्क अनाज (चावल/गेहूं) दिया जायेगा, जो नियमित मासिक एनएफएसए खाद्यान्न, यानी उनके राशन कार्ड पर नियमित रूप से देय खाद्यान्न से अधिक होगा, ताकि गरीब, जरूरतमंद और जोखिम वाले घरों/लाभार्थियों को आर्थिक संकट के दौरान भूखे न रहना पड़ा। PMGKAY के तहत 4 चरणों में अब तक लगभग 600 लाख मीट्रिक टन का आवंटन किया है, जो लगभग 2.07 लाख करोड़ रुपये की खाद्यान्न सब्सिडी के बराबर है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक योजना के पांचों चरणों में 2.60 लाख करोड़ का खर्च आएगा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत दो तरह से मिलता है राशन
पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारक: इस तरह के कार्ड धारक को 5 किलो राशन प्रति यूनिट मिलता है। जिसमें चावल, गेहूं दोनों या फिर एक हो सकते हैं। चावल के लिए राशन कार्ड धारक 3 रुपए प्रति किलो है जबकि गेहूं के लिए 2 रुपए का रेट कोटेदार (सरकारी राशन कार्ड दुकानदार) को देने होते हैं।
अंत्योदय कार्ड धारक: इस तरह के कार्डधारक लाभार्थी परिवार को 35 किलो राशन मिलता है। परिवार में लोग कितने हैं इससे फर्क नहीं पड़ता है। ऐसे कार्ड धारकों को गेहूं 1 रुपए किलो के रेट पर मिलता है। Antyodaya Anna Yojana के तहत भी गेहूं का रेट 2 रुपए किलो और चावल का रेट 3 रुपए निर्धारित है। उदाहरण के लिए सामान्य दिनों में उत्तर प्रदेश में अंत्योदय कार्ड धारक को 15 किलो चावल (रेट 3 रुपए) और 20 किलो गेहूं (2 रुपए किलो) 85 रुपए में मिलता है, लेकिन राजस्थान में सिर्फ गेहूं मिलता है जिसके लिए उसे सिर्फ 35 रुपए देने होते हैं।