वाशिंगटन (भाषा)। बृहस्पति के बर्फीले उपग्रह के सागर पर पृथ्वी की तरह ही रासायनिक उर्जा का संतुलन संभव है, जो जीवन के लिए आवश्यक होता है। हालांकि, उपग्रह पर ज्वालामुखी जलतापीय गतिविधियों का अभाव है।
माना जाता है कि यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे खारे पानी का गहरा सागर छिपा हुआ है। बृहस्पति के उपग्रह पर कच्चे पदार्थों और रासायनिक उर्जा का सही अनुपात में होना गहन वैज्ञानिक रुचि का विषय है। हालांकि यह प्रश्न अब भी इस बिंदु पर आकर ठहर जाता है कि क्या यूरोपा का वातावरण जैविक प्रक्रिया के लिहाज से अनुकूल है। पृथ्वी पर जीवन के लिहाज से ये जरुरी होता है।
कैलिफोर्निया में नासा के जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों के एक नये अध्ययन में यूरोपा पर हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के पैदा होने की संभावना के लिए पृथ्वी से उसकी तुलना की गयी। हालांकि इस प्रक्रिया में सीधे तौर पर ज्वालामुखीय घटना को शामिल नहीं किया गया।
इन दो तत्वों का संतुलन जीवन के लिए आवश्यक उर्जा का अहम संकेत है। अध्ययन में पाया गया है कि दोनों स्थानों पर हाइड्रोजन की तुलना में दस गुना अधिक ऑक्सीजन पैदा होती है। इस अध्ययन का प्रकाशन जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में हुआ है।