हरारे। जिम्बाब्बे के एक कैबिनेट मिनिस्टर ने कहा है कि जिन अभिभावकों के पास बच्चों की फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं वो स्कूलों के लिए कोई काम करके या अपनी किसी चीज को देकर भी फीस भर सकते हैं, फीस के रूप में दी हुई ये चीज बकरी भी हो सकती है।
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जिम्बाब्बे के स्कूलों द्वारा फीस भरने के लिए इस तरह की छूट देना वाकई काबिल-ए-तारीफ है। जिम्बाब्बे के प्रमुख अखबार संडे मेल से वहां के शिक्षा मंत्री लाजर डकोरा ने इस हफ्ते कहा है कि जिसके पास फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं वह स्कूल के लिए कोई काम कर सकता है जैसे कि अगर कोई ठेकेदारी का काम करता है तो फीस के रूप में इससे जुड़ा कोई काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों को न सिर्फ बकरी जैसे पालतू पशु को फीस के रूप में स्वीकार करना चाहिए बल्कि फीस के रूप में अभिभावकों की सेवाएं या उनके हुनर का भी इस्तेमाल करना चाहिए।
फीस जमा न कर पाने की स्थिति में बच्चों को नहीं निकाल सकते। इसकी जगह ऐसे बच्चों के अभिभावक पशुधन का उपयोग करके भी फीस जमा कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अभिभावक फीस भरने के लिए पशुधन का उपयोग कर सकते हैं और कस्बों व शहरों में रहने वाले लोग किसी और तरह से भी फीस भर सकते हैँ, जैसे कि विद्यालय के लिए कुछ काम करके।
डॉ. सिल्विया उताते मसांजो, मंत्रालय के स्थायी सचिव
अभिभावकों के द्वारा फीस के रूप में दिए गए पशुओं का मूल्यांकन विद्यालय विकास समिति, प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्रालय के साथ स्कूल के शिक्षक और अभिभावक मिलकर करेंगे। वे संयुक्त रूप से पशुधन के मूल्य का निर्धारण करेंगे, और फिर स्कूल के बुनियादी ढांचे के उन्नयन या कृषि के साथ सहायता के लिए इस पैसे का उपयोग किया जा सकता है।
पिछले हफ्ते ही जिम्बाब्वे ने लोगों को बैंक लोन चुकाने के लिए भी गाय, भेड़, बकरी जैसे पालतू पशु स्वीकार करने की इजाजत दी थी।
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