नई दिल्ली (आईएएनएस)| 68वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को हवलदार हंगपन दादा को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया, जिसे दादा की पत्नी नासेन लोवांग ने पति की याद में रोते हुए ग्रहण किया।
दादा को जम्मू एवं कश्मीर में पिछले साल मई में आतंकवादियों से लड़ते हुए अदम्य साहस और आत्मबलिदान के लिए सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
अबू धाबी के युवराज और मुख्य अतिथि मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान मौन खड़े थे, जब राष्ट्रपति ने असम रेजीमेंट के इस जवान के अदम्य साहस को सलाम किया।
अरुणाचल प्रदेश के तिरप जिले के बोरदुरिया गांव में 2 अक्टूबर 1979 में जन्मे दादा स्पेशल फोर्स के 3 पारा में शामिल हुए थे, इसके बाद उन्हें 2008 की जनवरी में मातृ इकाई असम राइफल्स में भेज दिया गया था।
सेना द्वारा जारी बयान में बताया गया कि दादा हमेशा मृदुभाषी, दृढ़ इच्छाशक्ति और वीरतापूर्ण कौशल वाले सैनिक के रूप में जाने जाते थे।
उन्होंने 2016 के मार्च में 35 राष्ट्रीय राइफल्स में स्वेच्छा से सेवाएं दी थीं। दादा ने कश्मीर के नौगाम सेक्टर में घुसपैठ का प्रयास कर रहे आतंकवादियों से लड़ते हुए तीन आतंकवादियों को मार गिराया था और घायल होने के बाद चौथे आतंकवादी से उनकी हाथापाई हुई, जिसके बाद उन्होंने उसे भी मार गिराया। इस दौरान उन्हें गले और पेट में गोली लगी, जिससे वह शहीद हो गए।
उन्हें मरणोपरांत भारत के शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से 15 अगस्त, 2016 को भी सम्मानित किया गया था।