दावोस (भाषा)। दिग्गज बैंकर और ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय विकास बैंक के प्रमुख के वी कामत ने उपभोग चालित अर्थव्यवस्था के मद्देनजर भारत में निरंतर वृद्धि को लेकर भरोसा जताया है। उन्होंने कहा है कि विश्व अनिश्चित समय से गुजर रहा है, लेकिन भारत पर इसका बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है।
साथ ही कामत ने अत्यधिक लोकलुभावन चीजों को लेकर आगाह किया और कहा कि देश को वही करना चाहिए जो जरुरी है। पहला जोर आर्थिक वृद्धि को गति देना होना चाहिए और उसके बाद यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका लाभ अन्य तक पहुंचे ताकि वृद्धि समावेशी हो।
पिछले सप्ताह विश्व आर्थिक मंच की बैठक में भाग लेने के लिये यहां आये कामत ने यह भी कहा कि भारत में नोटबंदी का अल्पकालीन प्रभाव पड़ेगा, उसके बाद भारत को वृद्धि के स्पष्ट रास्ते पर वापस आना चाहिए।
डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने और हाल में नोटबंदी एवं दुनिया में अनिश्चित माहौल के बीच इसके प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘स्पष्ट रुप से विश्व में आज काफी अनिश्चितता है। लेकिन इस अनिश्चितता का भारत पर बहुत अधिक प्रभाव पडने की आशंका नहीं है।” कामत ने कहा, ‘‘हम अभी भी खपत आधारित अर्थव्यवस्था हैं। हमें खपत करना और वृद्धि करनी है। यह बात हमें दुनिया के अन्य देशों में अनिश्चितता से बचाती है।”
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा, नोटबंदी के संदर्भ में मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस समयसीमा के भीतर कदम की घोषणा की थी, ज्यादातर चीजें पहले ही सामान्य हो चुकी है। संभवत: सरकार चाहती है कि चीजें डिजिटल हों, क्योंकि इससे हम पूर्व की कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।”
केवी कामत ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यह अच्छा कदम है। हम अल्पकाल में कुछ समस्या देखेंगे और उसके बाद हमें वृद्धि के स्पष्ट रास्ते पर होना चाहिए।” समावेशी वृद्धि तथा डब्ल्यूईएफ समेत विभिन्न रिपोर्ट में भारत के काफी नीचे होने के बारे में पूछे जाने पर कामत ने कहा, ‘‘समावेश का पूरा मामला इस संदर्भ में देखने की जरुरत है कि हमें कहां से शुरु करना चाहिए। अंतत: आपको लगेगा कि प्रमुख चीज वृद्धि को गति देना है।”
उन्होंने कहा, ‘‘जब वृद्धि होती है, तब आपको यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि यह समावेशी वृद्धि हो।” एक सवाल के जवाब में कामत ने अत्यधिक लोकलुभावन चीजों को लेकर आगाह किया और कहा, ‘‘देश को वही करना चाहिए जो जरुरी है। और जरुरी चीज वृद्धि की आवश्यकता है। इसमें कोई प्रश्न नहीं है और जब हम वृद्धि करते हैं, हमें यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि उसका लाभ सभी लोगों तक पहुंचे।”