गरीबी से जुड़े कारणों के चलते हर साल 1.8 करोड़ लोगों की मौत

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न्यूयॉर्क (भाषा)। गरीब देशों के कंधों पर बोझ न डालने की अपील करते हुए भारत ने कहा कि गरीब देशों को ‘विकास की कमी’ की समस्या को दूर करने के लिए जगह दी जानी चाहिए। भारत ने कहा कि वो जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं जबकि उनका योगदान सबसे कम होता है।

संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन के काउंसलर अमित नारंग ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय जलवायु परिवर्तन की समस्या का तब तक समाधान नहीं कर सकता जब तक ये विशेष तौर पर अमीर देशों के खपत और जीवनशैली पर लगाम नहीं लगाता। संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए नारंग ने एक रिसर्च का ज़िक्र करते हुए कहा कि सालाना जितने लोगों की मौत होती है उनमें से एक तिहाई, लगभग 1.8 करोड़ लोगों की मौत गरीबी से जुड़े कारणों से होती है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए ये साफ होना चाहिए कि अगर हम सतत विकास चाहते हैं तो पहली और आवश्यक शर्त है इस ‘विकास की कमी’ की समस्या का समाधान करना।’ ऐसी व्यापक गरीबी और भूख के बीच सतत विकास नहीं हो सकता। नारंग ने कहा, ‘आप तटीय इलाकों में छोटे शहरों में रह रहे करोडों लोगों से यह नहीं कह सकते कि उनके परिवारों के लिए कॉन्क्रीट के घर बनाने से उत्सर्जन पैदा होगा। आप अंधेरे में पढ़ रहे बच्चे या लकड़ी और उपले से खाना बना रही महिला से यह नहीं कह सकते कि उन्हें उर्जा के आधुनिक तरीके प्रदान करना पृथ्वी के लिए अच्छा नहीं है। दूसरे शब्दों में वहनीयता बोझ गरीबों के कंधों पर नहीं डाला सकता।’

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