उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद का कांग्रेस ने किया सबसे खराब प्रदर्शन

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लखनऊ। कांग्रेस के सपा के गठबंधन से भी इस चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ उल्टे इस चुनाव में पार्टी दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई। आजादी के बाद कांग्रेस का ये उत्तर प्रदेश में सबसे खराब प्रदर्शन है। कभी कांग्रेस का सबसे बड़ा गढ़ रहे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति पिछले तीन दशक में इतनी कमजोर हो गई है कि हर चुनाव में इस पार्टी की सीटें घट रही हैं।

इस बार के विधानसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके 101 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस पार्टी को मात्र 9 सीटों पर जीत मिली जबकि पिछले चुनाव में पार्टी को 28 सीटें मिली थी। इस बार यूपी का किला फतह करने के लिए विधानसभा चुनाव के बहुत पहले की राहुल गांधी ने किसान यात्रा और खाट सभा की थी लेकिन उसके बाद चुनाव के समय सपा से गठबंधन करके चुनाव में उतरती थी, लेकिन चुनाव परिणामों ने कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कांग्रेस की हार पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा ” चुनाव में हार से झटका लगा है लेकिन हम पूरी तरह निराश नहीं है। आगे कार्यकर्ताओं को लेकर पार्टी का मजबूत करने का संघर्ष करते रहेंगे। ” पिछले दो दशक से चुनाव में कांग्रेस ने कभी भी दहाई का आंकडा पार नहीं कर पाई है। 1996 में कांग्रेस केा जहां 33 सीटें यूपी में मिली थी वहीं 2002 के चुनाव में पार्टी 25 सीटों पर सिमट गई थी।

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प्रदेश में कांग्रेस की हार का सिलसिला जारी रहने से कांग्रेस के सामने अपने कार्यकर्ताओं को अपने साथ बनाए रखना भी चुनौती है। क्योंकि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद से ही यूपी कांग्रेस को छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो रहे हैं। 14 सालों बाद प्रदेश की सत्ता में भारी बहुमत से लौट रही बीजेपी कांग्रेस के सामने और भी बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है। कांग्रेस के लिए राहत की खबर सिर्फ इतनी है कि इस पार्टी ने पंजाब में जहां सत्ता में वापसी की है वहीं गोवा और मणिपुर में भी अपनी साख् बरकरार रखने में सफलता पाई है।

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