लखनऊ। तीन दिन में करीब एक दर्जन नाम जो कि मुख्यमंत्री पद के लिए सामने आए, वे सारे सुबह एक संदेश के आगे हवा हो गए। संदेश के तौर पर एक निजी विमान दिल्ली से गोरखपुर भेजा गया। जिसमें बैठकर योगी आदित्यनाथ दिल्ली पहुंचे और उनको भाजपा नेतृत्व ने यूपी में सीएम पद की बागडोर संभालने के लिए कहा। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ के प्रस्ताव को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार की दोपहर हरी झंडी दिखा दी थी। जिसके बाद में नेतृत्व ने इस फैसले से योगी को भी अवगत करा दिया।
विधायक दल की बैठक मात्र एक औपचारिकता रही, जिसमें सबसे सीनियर विधायक सुरेश खन्ना के प्रस्ताव पर योगी आदित्यनाथ को यूपी को सीएम मनोनीत किया गया। हिंदुत्ववादी एजेंडा जिसके बल पर सभी जातियों ने भाजपा को वोट दिया, उसको कायम रखने के लिए योगी को सीएम पद के लिए संघ ने श्रेष्ठ माना। इसीलिए उनके नाम पर मुहर लगाई गई।
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11 तारीख को उप्र चुनाव का फैसला आने के बाद से ही सीएम पद को लेकर कयासबाजी होना शुरू हो गई थी। इन सात दिनों में कम से कम एक दर्जन नाम थे जो सीएम पद के दावेदार बताए जाते रहे। जिनमें योगी आदित्यनाथ भी एक नाम थे। उनके अलावा गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा, सुरेश खन्ना, सिध्दार्थनाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना, केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्रदेव सिंह, सूर्यप्रताप शाही ऐसे ही कुछ अन्य नाम भी सामने आए। विधायक दल की बैठक के ठीक एक दिन पहले जो सबसे बड़ा नाम सामने आया वह रेलराज्य मंत्री मनोज सिन्हा का । यहां तक की मनोज सिन्हा के नाम को लगभग कन्फर्म भी मान लिया गया था। मगर ऐसा नहीं हुआ।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि, शनिवार की दोपहर में बीजेपी की ओर से एक विशेष विमान गोरखपुर भेजा गया। जिसमें योगी आदित्यनाथ दिल्ली रवाना हुए। जहां उनको बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद संभालने के लिए कहा गया। जिसके बाद में वे लोकभवन में हुई विधायक दल की बैठक में पहुंचे। उनके पहुंचने से करीब आधा घंटा पहले ही ये खबर लगभग पुष्ट हो चुकी थी कि योगी ही उत्तर प्रदेश के आगामी सीएम होंगे।
40 फीसदी हिंदू वोट को साधने की कवायद
बीजेपी को इस चुनाव में प्रत्येक जाति का वोट मिला। इसलिए भाजपा ने फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ को चुना। उनको चुनने के बाद बीजेपी के पास साल 2019 में एक नेता होगा जो इन वोटों को वापस भाजपा के खाते में पहुंचाने की गारंटी हो सकता है। भाजपा सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में चुनाव से पहले हुए आंतरिक सर्वे में योगी आदित्यनाथ को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना गया था। जिसमें करीब 60 फीसदी लोगों ने कहा था कि वे अगर भाजपा की सरकार बनी तो योगी आदित्यनाथ को यूपी का सीएम बनता हुआ देखना चाहते हैं।