अरुणाचल का राजनीतिक संकट खत्म, प्रेमा खांडू होंगे नए सीएम

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गाँव कनेक्शन नेटवर्क (ईटानगर)। अरुणाचल प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस का संकट टल गया है। विधायक दल की बैठक में प्रेमा खांडू को नया नेता चुना गया। वो अब सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। पेमा के समर्थन में 44 विधायक है। मुख्यमंत्री नवाम तुकी ने इस्तीफा दे दिया है। पद छोड़ते हुए उन्होंने कहा ”नई पीढ़ी को आगे लाने का वक्त है। अरूणाचल प्रदेश विधानसभा के 58 सदस्यीय सदन में 40 विधायक कांग्रेस के हैं। खांडू पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अरुणाचल में आज का दिन गहमागहमी भरा है। कोर्ट के आदेश के बाद कांग्रेस के बागी कालिखो पुल की सरकार हटने के बाद आज दोपहर वहां बहुमत परीक्षण होना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फिर से बहाल हुए मुख्यमंत्री नवाम तुकी को बहुमत साबित करना था, लेकिन विधायक दल की बैठक के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। खांडू किसी भी वक्त राज्यपाल तथागत रॉय से मिल सकते हैं।

नवाम तुकी को शनिवार को एक बजे विधानसभा में बहुमत परीक्षण पास करना है। बहुमत परीक्षण को देखते हुए राजधानी ईटानगर में विधानसभा के आस पास धारा 144 लगा दी गई है। राज्यपाल कर्यालय की ओर से जारी प्रेस रिलीज लिखा है कि राज्यपाल ने नबाम तुकी से कहा कि वो कल यानी 16 जुलाई को ही बहुमत साबित करें। प्रेस रिलीज में ये भी लिखा है कि राज्यपाल को शक है कि विधानसभा में तुकी सरकार के पास बहुमत नहीं है . हालांकि तुकी का दावा है कि बहुमत अब भी कांग्रेस के पास है। नबाम तुकी का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने 15 दिसंबर 2015 वाली स्थिति बहाल कर दी है। जिसके चलते पार्टी छोड़कर जाने वाले विधायक भी अब फिर से कांग्रेस विधायक दल का हिस्सा बन गए हैं। 15 दिसंबर 2015 को अरुणाचल में कांग्रेस के 42 विधायक थे। बीजेपी का कहना है कि अरुणाचल में अब कोई कांग्रेस विधायक दल बचा ही नहीं है। सिर्फ 15 विधायकों का एक गुट है जो तुकी सरकार को बचा नहीं सकता।

अरुणाचल का राजनीतिक समीकरण

अरुणाचल प्रदेश में अभी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश यानी पीपीए के पास 30, कांग्रेस के पास 15 और बीजेपी के पास 11 विधायक हैं। सदन में दो विधायक निर्दलीय हैं, जबकि दो सीटें खाली हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत विधानसभा स्पीकर नेबाम रेबिया को भी कल अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ेगा। कोर्ट ने ये भी कहा है कि अगर स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लंबित है तो वो किसी विधायक को अयोग्य करार नहीं दे सकते। ऐसे में कांग्रेस के उन 14 बागी विधायकों की सदस्यता भी बहाल हो जाएगी जिन्हें 15 दिसंबर 2015 को स्पीकर ने अयोग्य करार दिया था, और अगर ऐसा हुआ तो कल के विश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती है।

 

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