लखनऊ। किसान, व्यापारी और उपभोक्ता दोनों के लिए बनाई गई कृषि उत्पाद मंडियों में सरकार को ही चूना लगाया जा रहा है। मंडियों के गेट पर छोटे किसानों और कारोबारियों से वसूली होती है, तो बड़े कारोबारी मंडी शुल्क में हेर-फेर कर विभाग को लाखों के राजस्व का नुकसान पहुंचाते हैं।
दुबग्गा मंडी के एक प्याज आढ़ती ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “मंडी शुल्क की चोरी नहीं करें तो हमें क्या बचेगा। यहां आने वाले फल, सब्जी या अनाज सभी आवाक का वजन और रेट दर्ज किया जाता है, नियमत: उसी पर कर देना चाहिए। लेकिन हम लोग रेट तो आधे लिखवाते ही हैं साथ ही आधा सामान खराब बता कर थोड़े पैसे बचा लेते हैं।”
लखनऊ की दो प्रमुख थोक मंडियों दुबग्गा और नवीन मंडी सीतापुर रोड पर रोजाना 10 ट्रक मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से प्याज की आपूर्ति होती है। बंगलुरु से अंगूर, दक्षिण भारत के राज्यों से नींबू, दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता गोदी से विदेशी फल आते हैं। इसके अलावा दूसरे राज्यों से सब्जियां और अन्य कृषि उत्पाद की आपूर्ति होती है। इतनी ज्यादा आवक के बीच आढ़ती और मंडी कर्मचारी मिलीजुल कर मंडी शुल्क की चोरी करते हैं और सरकार को करोड़ों की चपत लगाते हैं।
दरअसल मंडी की आवाक पर 2.5 फीसदी का कर देना होता है। इसी आढ़ती के पास खड़े एक व्यापारी ने बताया, अभी पिछले दिनों एमपी से एक ट्रक (15 टन करीब) प्याज आया था, जो 1200 रुपये प्रति क्विंटल में बेची गई।
तो हम लोग कुछ बिक्री वास्तविक कीमत पर मंडी शुल्क दस्तावेज में दर्ज कराते हैं बाकि कर्मचारियों को ले-देकर 400-700 तक रेट दिखाते हैं। इसमें कई टन माल खराब दिखा देते हैं। इस तरह वास्तविक 4000 की टैक्स की जगह 2000-3000 तक ही टैक्स देते हैं।”प्रदेश में करीब 392 मंडियां है। इनमें 217 मुख्य मंडी, 92 उपमंडी स्थल, 72 फल सब्जी मंडी, पांच-पांच मत्स्य बाजार व दूग्ध बाजार और एक किसान बाजार है।
यूपी में मध्य प्रदेश और नासिक से प्याज की आपूर्ति होती है। लखनऊ में रोजाना इन दिनों औसतन 10 ट्रक प्याज आ रही है। पूरे प्रदेश में 100 ट्रक की रोजाना आवक होती है। इस तरह अगर अगर औसत लिया जाए तो प्रदेशभर में सिर्फ प्याज पर ही रोजाना एक से डेढ़ लाख रुपये के मंडी शुल्क का सरकार को चूना लगाया जा रहा है। सीजन की सब्जियां और फल मसलन मौजूदा समय बंगलुरु से 15 ट्रक अंगूर से आ रहा रहा है। मिक्सचर विदेशी फलों सेब, संतरा, खरबूजा और किवी को मिलाकर 10 ट्रक पूरे प्रदेश में पहुंच रही हैं, जिनमें अच्छा-खासा घालमेल किया जाता है।
मंडी में हो रही धांधली को लेकर अधिकारी भी अनभिज्ञ नहीं हैं। मंडियों की व्यवस्था को सुधारने में लगे मंडी निदेशक, डॉ. अनूप यादव ने बताया, “मंडी में उत्पादों की बिक्री का भाव और आवक की पादर्शिता के लिए मंडी समितियों को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत भ्रष्टाचार रोकने के लिए प्रवेश पर्ची, प्रपत्र संख्या छह और नौ को ऑनलाइन किया जा रहा है। 257 मंडियों में इलेक्ट्रानिक तौल मशीन लगाई गई है।” निदेशक ने आगे बताया, “ऑनलाइन होने से सभी मंडियों में उत्पादों की बिक्री के भाव और उत्पादों की आवक में पता चल जाएगा। पायलट बेस पर सहारनपुर और पीलीभीत में शुरू किया गया है। मौजूदा समय में यह कार्य प्रदेश की 30 मंडियों में कराया जा रहा है। इससे मंडियों में भ्रष्ट्राचार थमेग।
रिपोर्टर – जसवंत सोनकर