पोलैंड से गाँव कनेक्शन
जलवायु परिवर्तन वार्ता में दुनिया के अलग अलग देशों के बीच सहमति बनना मुश्किल होता है। कई बारीकियों यहां तक कानून के ड्राफ्ट की कुछ लाइनों को लेकर या शब्दों को लेकर भी बात अटक जाती है। अमीर देशों के गरीब और विकासशील देशों के साथ टकराव का ये सबसे बड़ा मंच है..
ऐसे में आपस में सहमति बनाने के लिये पिछले साल जर्मनी में हुई बॉन वार्ता के दौरान तलानोवा डायलॉग यानी तलानोवा वार्ता का सहारा लिया गया। तलानोवा फिजी की संस्कृति से लिया गया शब्द है। फिजी की कबीलाई संस्कृति में जब बात नहीं बनती को फिर अलग अलग कबीलों के लोग साथ बैठकर झगड़ों को सुलझाते हैं।
ये भी पढ़ें : जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कोयले और तेल के खतरे से आगाह करता डायनासोर
इसी के तहत तलानोवा डायलॉग का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन वार्ता में हो रहा है। इस बात विकसित और विकासशील देशों के एक एक मंत्रियों को लेकर कई समूह बना दिये गये हैं जो बारीक मुद्दों पर देर रात या अल सुबह तक बात कर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जलवायु परिवर्तन सम्मेलन स्थल पर इन कलाकारों ने तलानोवा की इसी भावना और संस्कृति का दिखाने की कोशिश की।
ये भी पढ़ें : जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत कर रहा गैर परंपरागत ऊर्जा के प्रयोग का प्रदर्शन
जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 196 देश हिस्सा ले रहे हैं। इस सम्मेलन की वार्ता काफी जटिल होती है और इसमें देशों ने अपने हितों और क्लाइमेट चेंज के खतरों की समानता के हिसाब से कई गुट बनाये हैं। मिसाल के तौर पर बहुत गरीब देशों का ग्रुप लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज यानी LDC कहा जाता है तो एक जैसी सोच वाले विकासशील देशों का समूह लाइक माइंडेड डेवलपिंग कंट्रीज LMDC कहा जाता है। लेकिन सबसे बड़ा समूह G-77+China है जिसमें भारत और चीन समेत करीब 135 देश हैं।