आपके आसपास ठिकाना बना रहे खतरनाक आतंकी संगठनों के 1000 सदस्य

terrorist in Lucknow

यूपी में कुछ अहम आतंकी वारदातें

  • लखनऊ में हाईकोर्ट ब्लास्ट
  • फैजाबाद कचहरी बम विस्फोट
  • वाराणसी कचहरी बम विस्फोट
  • साबरमती एक्सप्रेस में विस्फोट
  • वाराणसी में संकटमोचन हनुमान मंदिर में प्रेशर कुकर बम विस्फोट
  • रामजन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले की कोशिश की गई।

लखनऊ। सामान्य से दिखने वाले लोग जो मोहल्लों के नुक्कड़ के मकान में किराये पर आकर रहते हैं। बहुत कम बाहर निकलते हैं तो अचानक कई-कई दिन के लिए गायब हो जाते हैं। बहुत कम लोगों से बातचीत करते हैं। अपने ही में रहते हैं। कभी कुछ और लोग आते हैं। जिनके पास में कई बैग होते हैं। फिर अचानक ये लोग उन मकानों से गायब हो जाते हैं। ऐसा अगर आपके आसपास हो रहा है तो सचेत हो जाएं। विभिन्न आतंकी संगठनों के स्लीपर माड्यूल कुछ इसी तरह से काम करते हैं।

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लखनऊ में आईएसआईएस का माड्यूल सामने आया, ये पहली बार हुआ है। मगर पहले भी कई बार विभिन्न आतंकी संगठनों के नुमाइंदे लखनऊ से अपना नेटवर्क चला चुके हैं। इंटेलीजेंस इनपुट के मुताबिक आतंकी संगठनों के माड्यूल और पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के करीब 1000 सदस्य लखनऊ के गलियों और मोहल्लों में डेरा डाले हुए हैं। जिनमें से कुछ एक्शन करते हैं तो कुछ केवल सूचना तंत्र का हिस्सा हैं। सैफुल की मौत के बाद अब ये लखनऊ से अपना ठिकाना कुछ समय के लिए बदलेंगे। मगर एटीएस इन पर काबू पाने के लिए राजधानी की सीमाओं को सील कर चुकी है।

साल 2000 के बाद हुए सबसे ज्यादा सक्रिय

साल 1990 के बाद आईएसआई ने यूपी में जड़े जमाना शुरू की थीं। तब पुलिस की जद में अनेक ऐसे लोग आए थे जो इस जासूसी संगठन के लिए काम किया करते थे। मगर आतंकी माड्यूल यूपी में इसके 10 साल बाद आए। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह बताते हैं कि, साल 2000 के बाद से इस तरह के स्लीपर माड्यूल लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में फैलना शुरू हो गए थे। जिसके बाद एक एक कर के आतंकी गतिविधियां बढ़ने लगी थीं।

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सबसे पहले पाकिस्तान परस्त आंतकियों का संगठन स्टुडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) सक्रिय हुआ। जिनसे शुरुआत एक स्टुडेंट आर्गेनाइजेशन की तरह की थी। मगर उनकी पाकिस्तान परस्ती ने धीरे धीरे आतंकी संगठन की सूची में डाल दिया। लखनऊ में साल 2001 में पुराने शहर के तंबाकू मंडी इलाके में सिमी के दफ्तर पर छापा मार कर पुलिस ने पांच संदिग्धों को उठाया था। जिसके विरोध में पुराने शहर के अकबरी गेट पर पुलिस और उपद्रवियों के बीच टकराव हुआ था। जिसमें पुलिस की गोली लगने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद में लश्कर ए तोइबा और इंडियन मुजाहिदीन ने भी यूपी में पैर पसारने शुरू कर दिये थे। इनसे जुड़े माड्यूल ने कई बड़ी आतंकी वारदातों को अंजाम दिया। लखनऊ में हाईकोर्ट ब्लास्ट, फैजाबाद कचहरी बम विस्फोट, वारणसी कचहरी बम विस्फोट, साबरमती एक्सप्रेस में विसफोट, वाराणसी में संकटमोचन हनुमान मंदिर में प्रेशर कुकर बम विस्फोट और रामजन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले की कोशिश की गई।

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लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश में एक हजार देश के दुश्मन

इंटेलीजेंस सूत्रों की माने तो लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में 1000 माड्यूल और आईएसआई के एजेंट सक्रिय हैं। जिनमें स्थानीय, दूसरे प्रदेशों के और विदेशी आतंकी भी सक्रिय हैं। जिनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से जुड़े आतंकी संगठन काम कर रहे हैं। अब इस्लामिक इस्टेट के आतंकी भी सामने आ रहे हैं। जिससे आतंक का खतरा उत्तर प्रदेश में बढ़ता जा रहा है।

ऐसे अपने पहचाने अपने मोहल्ले में माड्यूल को

  • एक अजनबी चेहरा जो अचानक आपके इलाके में आकर रहने लगा हो। किसी से बात न करता हो।
  • ज्यादातर समय घर में ही रहता हो मगर जब जाता हो तो कई कई दिन तक गायब रहता हो।
  • बिना कोई काम किये दुकानों पर जाता हो तो बिना मोलतोल के महंगे खाद्य पदार्थ खरीदता हो।
  • कद काठी में आपके प्रदेश का न लगे, आंखें निश्चेत और भूरे या नीले रंग की हों।
  • उसके कपड़ों की च्वाइस मौसम से मेल न खाती हो, जैसे गर्मी में गर्म और जाड़े में हल्के कपड़े पहने।
  • बीच बीच में अनजाने लोग उससे मिलने के लिए आएं। जिनके पास कुछ बैग वगैरह हों।

आईएसआईएस ने यूपी को बनाया नार्थ जोन सेंटर

आईएसआईएस को उत्तर प्रदेश इतना मुफीद लगा कि राजधानी में नार्थ जोन का हेडक्वाटर बना लिया। एटीएस को सूत्रों से पता चला कि सिर्फ हेडक्वाटर ही नहीं बनाया बल्कि तमाम आतंकवादी घटनाओं की ट्रेनिंग और कंट्रोल यहीं से हुआ करता था। भारत के महत्वपूर्ण स्थानों की रेकी करके सीरिया भेजा जाता था। ये आईएसआईएस का खुरासान मॉड्यूल है जो पूर्वी देशों में इस्लामिक राज्य की स्थापना के उद्देश्य से गठित किया गया है। जब यहाँ के ट्रेनिंग प्राप्त आतंकवादी मध्यप्रदेश में पकड़े गए और उन्होंने लखनऊ के हेडक्वाटर का पता बताया तब यह कार्रवाई की गई।

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