महिलाओं से जुड़े कानूनी अधिकार, जिनकी जानकारी सभी को होनी चाहिए

कई बार महिलाओं को पता ही नहीं होते कि उनके कानूनी अधिकारी क्या होते हैं? जिसका खामियाज़ा भी उन्हें भुगतना पड़ता है। गाँव कनेक्शन के ख़ास कार्यक्रम 'कानून जानिए, अधिकार जानिए' में अधिवक्ता प्रियांशी अग्रवाल ऐसे कई कानूनी अधिकारों के बारे में बता रही हैं।

गाँव कनेक्शन: शादी तय होने के बाद भी अगर कोई महिला उस रिश्ते से खुश नहीं है, लेकिन परिवार की इज्जत के चलते मजबूरी में हाँ कर देती है, तो ऐसी स्थिति में वह क्या कर सकती है?

प्रियांशी अग्रवाल: “इस स्थिति में महिला को अपने परिवार और रिश्तेदारों से खुलकर बात करनी चाहिए। अनचाही शादी में खुश रहना मुश्किल होता है। अगर महिला की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है, तो भी उसे कोई कदम उठाने में दिक्कत हो सकती है। भारत सरकार की कई योजनाएं महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए बनाई गई हैं, जैसे कि ‘वन स्टॉप सेंटर’, जिनके 700 से अधिक केंद्र देशभर में मौजूद हैं।”

गाँव कनेक्शन: क्या है ‘वन स्टॉप सेंटर’?

प्रियांशी अग्रवाल: महिलाएं किसी भी प्रकार की प्रताड़ना का सामना कर रही हों, चाहे वह निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में हो, वे 181 नंबर पर कॉल करके शिकायत दर्ज कर सकती हैं। वन स्टॉप सेंटर कानूनी सहायता, मेडिकल सहायता, और अस्थायी शेल्टर प्रदान करता है। महिलाएं यहां परामर्श भी प्राप्त कर सकती हैं और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अपने लिए मुफ्त कौशल विकास कोर्स कर सकती हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं।

गाँव कनेक्शन: क्या आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद भी वे शादी से इंकार कर सकती हैं?

प्रियांशी अग्रवाल: “आर्थिक स्वतंत्रता से महिलाओं को अपने फैसले लेने का अधिकार मिल जाता है, जिससे वे अपने माता-पिता को भी सहयोग कर सकती हैं।”

गाँव कनेक्शन: ग्रामीण क्षेत्रों में कम उम्र में शादी और उसके बाद बच्चे पैदा होने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

प्रियांशी अग्रवाल: “कानून के अनुसार, 21 साल से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम उम्र की लड़की की शादी को चाइल्ड मैरिज माना जाता है। ऐसी स्थिति में महिलाएं पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती हैं या वन स्टॉप सेंटर की मदद ले सकती हैं। कम उम्र में शादी और बच्चे के जन्म से महिला और बच्चे, दोनों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।”

गाँव कनेक्शन: क्या माता-पिता या ससुराल वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है?

प्रियांशी अग्रवाल: “हाँ, चाइल्ड मैरिज में शामिल माता-पिता या ससुराल वालों के खिलाफ पांच साल तक की जेल हो सकती है।”

गाँव कनेक्शन: पढ़ाई में अच्छी होने के बावजूद माता-पिता लड़कियों को आगे पढ़ने से क्यों रोकते हैं?

प्रियांशी अग्रवाल: “यह समस्या मानसिकता की है। पढ़ी-लिखी लड़कियां अपने माता-पिता का सहारा बनती हैं, न कि उन्हें छोड़ती हैं। हमारा संविधान भी शिक्षा के अधिकार की गारंटी देता है और सरकार लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करती है।”

गाँव कनेक्शन: अगर सास-ससुर काम के लिए समर्थन नहीं करते, तो महिलाएं क्या कर सकती हैं?

प्रियांशी अग्रवाल: “महिलाओं को अपने परिवार को समझाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा, वे कानूनी प्रावधानों का भी सहारा ले सकती हैं।”

गाँव कनेक्शन: अगर महिलाएं प्रताड़ित हो रही हैं, तो उन्हें क्या कदम उठाने चाहिए?

प्रियांशी अग्रवाल: “ऐसे मामलों में महिलाएं किसी भरोसेमंद सदस्य से बात कर सकती हैं और वन स्टॉप सेंटर की मदद ले सकती हैं। कार्यस्थल पर उत्पीड़न की शिकायत PoSH एक्ट के तहत लोकल कमेटी से कर सकती हैं।”

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