मोबाइल फ़ोन से पेमेंट कहीं आपका भी अकाउंट खाली तो नहीं कर रहा?

यूपीआई यानी फोन से पेमेंट करने से लोगों की ज़िंदगी आसान तो हुई है, लेकिन लोगों में खर्च करने की आदत भी बढ़ गई है। ऐसा आईआईटी दिल्ली की एक सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है।
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पिछले सात साल से किराने की दुकान चला रहें हैं बब्लू यादव आज कल छुट्टे पैसो के लिए परेशान रहते हैं। हालाँकि उन्हें अब सिक्कों और नोटों की ज़रूरत कम ही पड़ती है; लेकिन गाँव के बुज़ुर्ग या भूले-भटके कोई नोट लेकर आ गया तो टूटे पैसे देने में परेशानी होती है। ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि बब्लू की दुकान में ज़्यादातर लोग फ़ोन से सीधा पैसा उनके अकाउंट में डाल कर सामान लेते हैं और ऐसा वो UPI (Unified Payments Interface) पेमेंट की सुविधा से कर पाते हैं।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 23 किमी दूर पिपरसंड गाँव के बब्लू गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “पाँच रुपए से लेकर 500 रूपए का सामान लोग अब नोट देकर नहीं करते; वो बस अपना मोबाइल निकालते हैं और पैसा देते हैं।”

“शुरुआत में हमने दुकान से QR हटवा दिया था; क्योंकि लोग मोबाइल पर पैसा देते थे, लेकिन जिससे हम सामान मँगवाते थे उसको नगद पैसा देना होता था, पिछले तीन साल से वो भी UPI से पैसा लेने लगा है तो अब कोई दिक़्कत नहीं होती, “बब्लू ने आगे कहा।

सिर्फ़ बबलू के पास ही नहीं बल्कि देश में लगभग 40 फीसदी पेमेंट डिजिटल तरीके से हो रहे हैं, साथ ही 30 करोड़ लोग और 5 करोड़ मर्चेंट डिजटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी की यूपीआई पेमेंट की सहूलियत की वजह से लोग ज़्यादा पैसा खर्च कर रहें। UPI पेमेंट की सुविधा आपकी जेब जल्दी खाली कर रहा।

आईआईटी दिल्ली की एक सर्वे रिपोर्ट ‘कैश से कैशलेस तक: भारतीय उपयोगकर्ताओं के बीच खर्च करने के व्यवहार पर यूपीआई का प्रभाव’ (From Cash to Cashless: UPI’s Impact on Spending Behavior among Indian Users) के अनुसार 74.2 प्रतिशत लोगों ने ये माना कि यूपीआई पेमेंट की वजह से वो ज़्यादा ख़र्च करने लगे हैं। 

इस सर्वेक्षण में 235 प्रतिक्रियाएँ मिलीं, जो विभिन्न जातिगत और पृष्ठभूमि वाले लोग थे। जवाब देने वालों में से 51.6 फीसदी छात्र थे, 42 फीसदी कामकाजी पेशेवर, और 4.7 प्रतिशत व्यापारी शामिल थे।

यूपीआई पेमेंट की वजह से आज भारत कैशलेस इकोनॉमी की तरफ़ बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा हैं। ये कहना गलत नहीं होगा कि यूपीआई पेमेंट ने भारत में लोगों का लेन-देन का तरीका पूरी तरह बदल दिया है। ग्लोबल डाटा रिसर्च के अनुसार 2017 के बाद से कैश के ज़रिये लेन-देन 90 प्रतिशत से घटकर 60 प्रतिशत से कम रह गया है।

यूपीआई ने लोगो के अंदर एक व्यवाहरिक परिवर्तन भी लाया हैं। UPI पेमेंट ने न सिर्फ़ नकद लेन-देन को ही कम किया, बल्कि दूसरे डिजिटल पेमेंट जैसे डेबिट कार्ड के ज़रिये पेमेंट या अन्य डिजिटल पेमेंट को भी कम कर दिया है।

कानपुर देहात के पुखरायाँ के 27 वर्षीय हर्षित सिंह गाँव कनेक्शन से बताते हैं, “जेब में रूपए अब रखना लगभग भूल ही गए हैं और कभी रखते भी हैं तो भी मैं मोबाइल से ही पेमेंट कर देता हूँ, अब कौन नोट दे फिर टूटे पैसे लेने का इंतज़ार करें।”

गाँव से लेकर शहरों तक, छोटी दुकानों से लेकर बड़े-बड़े शोरूम तक हर जगह यूपीआई पेमेंट की सुविधा उपलब्ध रहती है। लेकिन इस सुविधा से लोगों ने ज़्यादा ख़र्च करना शुरू कर दिया हैं। पेमेंट करना इतना आसान और सुविधाजनक हो गया है कि लोग अब अनियोजित खरीदारी करने लगे हैं।

बैंक ऑफ महाराष्ट्र में मैनेजर आकाशदीप गाँव कनेक्शन से कहते हैं, “यूपीआई आने से लोगों में एक व्यवाहरिक बदलाव आया है; पहले लोगों को नकद वेतन मिलता था, उसे खर्च करने के लिए बहुत से पैमाने थे नगद पैसों पर लोगों की नज़र रहती थी और जब पैसे खर्च होते थे तो एहसास भी होता था, लेकिन अब पैसे सीधा अकाउंट में आते हैं, और UPI पेमेंट की वजह से खर्च करने की सुविधा आसान हुई है।”

“यूपीआई से आप दुनिया भर से पेमेंट कर सकतें हैं और भारत में हर जगह UPI की सुविधा उपलब्ध है; उदाहरण के तौर पर अगर पहले आपको बच्चों की फीस जमा करनी होती थी तो फीस काउंटर सुबह 10 से दोपहर 3 बजे तक ही खुला रहता था और लाइन में भी लगना पड़ता था लेकिन अब ऐसा नहीं है,” आकाश ने आगे कहा।

इस बात का फायदा बड़ी-बड़ी कंपनी उठा रही हैं, और शायद यही वजह है कि वे लुभावने ऑफर देकर तो कभी नकली तात्कालिकता का माहौल बना कर ऐसी चीज़ें बेच रहें हैं जिसकी शायद खरीददार को हमेशा ज़रुरत भी नहीं होती। इन सब में एक बड़ी वजह यूपीआई से होने वाला लेन-देन ही हैं।

इस बात पर कोई शक नहीं कि यूपीआई पेमेंट ने देश की जीडीपी में एक बड़ा योगदान दिया है। Global Data and the Centre for Economics and Business Research (वैश्विक डेटा और अर्थशास्त्र और व्यवसाय अनुसंधान केंद्र) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार UPI ने साल 2021 में देश की GDP में USD 16.4 बिलियन का योगदान दिया है।

लेकिन हर सही चीज़ को ठीक तरह से इस्तेमाल करना एक ज़िम्मेदारी का काम हैं। वित्तीय अनुशासन बहुत ज़रूरी हथियार हैं जिसके ज़रिए आप फ़िज़ूल खर्चें से बच सकतें हैं और शायद यही वजह हैं की यूपीआई पेमेंट पर कुछ लिमिटेशन भी लगायी हैं।

भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने अनुसार यूपीआई पेमेंट से आप एक दिन में अधिकतम एक लाख तक का भुगतान कर सकते हैं, वहीं शैक्षणिक संस्थान और स्वास्थ्य सेवा के लिए ये लिमिट अधिकतम 5 लाख तक जाती है। अलग-अलग बैंक ने भी यूपीआई पेमेंट पर लिमिटेशन लगा रखी है जो कि 25000 से लेकर एक लाख तक है।

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