सूरतगंज (बाराबंकी)। ज्यादातर किसान फसलों में कितनी और कौन की उर्वरक डालनी है या फिर कीड़े और रोग लगने पर कौन सा कीटनाशक डालना है, इसके लिए खुद की मर्जी या फिर स्थानीय दुकानदारों की सलाह लेते हैं। लेकिन ये कई बार उन्हें ना सिर्फ काफी नुकसान पहुंचाता है बल्कि पैसे खर्च करने के बावजूद फसल को फायदा नहीं होता। जानकारों की माने तो किसानों को चाहिए कि वो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर ही इनका इस्तेमाल करें।
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पिछले महीनों बाराबंकी के सूरतगंज ब्लॉक में कई किसानों के खेत में खतपरवारनाशक दवा का ज्यादा इस्तेमाल करने से मेंथा की पूरी फसल चौपट हो गई। ऐसा कई किसानों के साथ तमाम जिलों में होता रहा है। बाराबंकी जिले के बेलहरा निवासी किसान राम चन्द बताते हैं, “खरीफ की फसल के बुआई का समय है। धान में कीटनाशक ज्यादा मात्रा में प्रयोग होता है। हम सभी बाजार से कीटनाशक लाते हैं, लेकिन हमें सटीक ज्ञान नहीं होने के कारण कई बार दुकानदार गलत तो कई बार लोकल दवा दे देते हैं। जिससे फसल बर्बाद हो जाती है और हमे नुक्सान उठाना पड़ता है।”
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हालांकि कृषि विभाग कहते रहे हैं कि किसानों को लाइसेंस वाली दुकान से ही खाद, बीज और कीटनाशक लेनी चाहिए और इससे पहले जानकारों की राय जरुर लें। बाराबंकी के जिला कृषि उपनिदेशक ड़ॉ. एसपी सिंह कहते हैं, “सरकार की तरफ से जगह पर एग्री जंक्शन शुरु किए गए हैं, जहां पर सही जानकारी मिल जाती है। साथ ही ब्लॉक में काम कर रहे कृषि पर्यवेक्षकों से भी सही जानकारी मिल जाती है कि कब और कैसे उर्वरक या फिर कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं। अगर कोई जानकार नहीं मिलता है कृषि विभाग में फोन से जानकारी ले सकते हैं।”
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सरकार की कोशिश है कि सिर्फ अधिकृत विक्रेता ही खाद और बीज बेंचे। इसके लिए ये कवायद चल रही है सिर्फ कृषि स्नातकों को ही ये लाइसेंस दिया जाए। एग्री जंक्शन उसी का हिस्सा हैं।
सहकारी समिति अथवा लाइसेंस वाली दुकान से खरीदें कीटनाशक, इनका रखें ध्यान
1.रासायनिक बैग, बीज के बैग या कीटनाशक की बोतल सीलबंद है, यह चेक करके ही खरीदें, यह भी जांच लें कि वस्तु की अवधि समाप्त तो नहीं हुई है।
-खरीद की वस्तु का पक्का बिल लें, बिल में लाइसेन्स नंबर, पूरा नाम, पता और हस्ताक्षर होने चाहिए। बिल मे उत्पाद का नाम, लॉट नंबर, बेन्च नंबर, और दिनांक दर्शाया गया हो उससे वस्तु के साथ मिला के देख ले।
ज्यादातर किसानों को कीटनाशनक के दुरुप्रयोग पर फसल चौपट होने के बावजूद कोई मुआवजा नहीं मिल पाता क्योंकि किसान के पास उक्त कंपनी या दुकान से सामान खरीदने की पक्की रसीद नहीं होती है।
-पक्की रसीद के हैं कई फायदे- उदाहरण के लिए अगर आप इफको की यूरिया लेकर घर जा रहे हैं और रास्ते में कोई हादसा हो जाए तो किसान के परिवार को साढ़े चार लाख तक की सहायता राशि मिल सकती है।
2.उर्वरक बैग पर फर्टिलाईजर, बायोफर्टीलाईजर, ओर्गेनिक फर्टीलाईजर या नॉन-एडीबल, डी-ओइल्ड केक फर्टीलाइजर जैसे शब्द लिखे होते हैं, अगर यह शब्द न लिखे हों तो ऐसी बैग न खरीदे।
3.वृद्धी कारक (ग्रोथ हार्मोंस) समेत जंतुनाशक दवाई पर सेन्ट्रल इन्सेक्टीसाइड बोर्ड के द्वारा दिए गये सीबीआई रजिस्ट्रेशन नंबर और उत्पादन लाइसेन्स पर 45 अंश के कोने मे हीरे (डायमंड) के आकार मे बने वर्गों के दो त्रिकोण में लाल, पीला, नीला या हरे रंग में उसके जहरीलेपन की निशानी की चेतावनी लिखी होती है। अगर बोतल,पाउच, पैकेट या बैग पर यह न दर्शाया हो तो उसको कभी न खरीदें।
4.अगर, बीज, कीटनाशक या उर्वरक की गुणवत्ता मे कोई संदेह हो तो नजदीकी ग्राम सेवक, विस्तरण अधिकारी (कृषि), कृषि अधिकारी का या कृषि नियामक (विस्तरण) के कार्यालय से संपर्क करें।
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