कई साल की मेहनत और परीक्षा रद्द; क्या हैं स्टूडेंट्स के लिए कानून और अधिकार?

चाहे पेपर लीक हो या पेपर रद्द, बच्चों से लेकर उनके अभिभावक तक सभी परेशान होते हैं। यही नहीं, इसका बच्चों के मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में एक स्टूडेंट अपने लिए क्या कर सकता है? आइए जानते हैं हमारे शो 'कानून जानिए, अधिकार जानिए' में अधिवक्ता ललित तिवारी से।

पिछले दो साल से मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहे यासिर को इस बार लगा था कि उनका किसी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन तो हो ही जाएगा, लेकिन जब चार जून, 2024 को रिजल्ट आया तो एक बार फिर उनका सपना टूट गया।

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के यासिर अहमद सिद्दीकी (18 साल) लखनऊ के हजरतगंज की एक कोचिंग में तैयारी कर रहे हैं, इस बार NEET-2024 की परीक्षा देने वाले 24 लाख छात्र-छात्राओं में ये भी शामिल थे।

ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब कोई परीक्षा कोई रद्द हुई या पेपर लीक हुआ। एक बच्चा बहुत मन से परीक्षा की तैयारी करता है, उसके साथ उसके माता-पिता भी जुड़े होते हैं। ऐसी परिस्थिति में बच्चों के साथ-साथ उनके माता-पिता के लिए भी यह एक मानसिक तनाव की स्थिति होती है, जिसमें वे अपना आत्मविश्वास खो देते हैं। ऐसे में एक बच्चा अपने लिए क्या कर सकता है? आइए जानते हैं हमारे शो ‘कानून जानिए, अधिकार जानिए‘ में अधिवक्ता ललित तिवारी से जानते हैं।

गाँव कनेक्शन: एक छात्र बहुत दिनों तक मेहनत करता है, फिर एग्जाम रद्द हो जाता है या तारीख कैंसिल हो जाती है, तो वह अपनी शिकायत कहाँ दर्ज कर सकता है?

ललित तिवारी: अब तक किसी कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिससे छात्रों को विशेष अधिकार मिले हों। अगर एग्जाम रद्द हो जाती है या परीक्षाएँ निरस्त हो जाती हैं, तो छात्रों के पक्ष में कोई मैकेनिज्म नहीं है।

गाँव कनेक्शन: अगर किसी कॉम्पिटिटिव (competitive) एग्जाम के बाद वह कैंसिल हो जाए या कुछ प्रश्न गलत होने के कारण ग्रेस मार्क्स दिए जाएं, तो क्या यह अन्याय नहीं होगा?

ललित तिवारी: प्रभावित व्यक्ति को अधिकार है कि वह माननीय हाई कोर्ट में बोल सकता है और अपनी याचिका वहाँ दायर कर सकता है। ग्रेस मार्क्स देने के संबंध में जो नियम पहले से तय होते हैं, अगर राज्य सरकार इसमें बाद में हस्तक्षेप (Interference) करती है, तो छात्र इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।

गाँव कनेक्शन: कैसे याचिका दायर कर सकते हैं?

ललित तिवारी: छात्र खुद माननीय कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं या फिर वकील के माध्यम से कर सकते हैं। वे ऑनलाइन भी याचिका दाखिल कर सकते हैं।

गाँव कनेक्शन: अगर कोई छात्र एग्जाम सेंटर में देर से पहुँचता है, क्यों कि वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करता है, तो वह क्या कर सकता है?

ललित तिवारी: छात्र को यह ध्यान रखना चाहिए कि जो समय निर्धारित किया गया है, उससे पहले ही सेंटर पर पहुँचे। राज्य सरकार का पब्लिक ट्रांसपोर्ट एग्जाम को ध्यान में रखकर नहीं बनाया गया है। अगर पिक एंड ड्रॉप की विशेष सुविधा दी जाती है, तो छात्र इसका दावा कर सकते हैं।

गाँव कनेक्शन: अगर एग्जाम सेंटर में पंखे नहीं चल रहे हों, तकनीकी दिक्कत के कारण कंप्यूटर काम न करें या एसी काम न कर रहा हो, तब एक छात्र क्या कर सकता है?

ललित तिवारी: एग्जाम से पहले सेंटर का निरीक्षण किया जाता है। अगर परीक्षा के दौरान कोई समस्या आती है, तो वहाँ अन्य विकल्प मौजूद होते हैं। यदि समस्या का समाधान नहीं हो पाता है, तो सेंटर मैनेजर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। एग्जाम सेंटर में 10% एक्स्ट्रा सिस्टम (Computer System) होता है, ताकि किसी भी समस्या की स्थिति में सिस्टम बदला जा सके। छात्रों को इस तरह के मामलों में अतिरिक्त समय भी दिया जाता है।

गाँव कनेक्शन: कॉलेज या स्कूल में, अगर छात्रों के साथ भेदभाव होता है, जिसमें काबिल छात्रों को सही मार्क्स नहीं मिलते, तो वे क्या कर सकते हैं?

ललित तिवारी: इसके लिए स्क्रूटनी का प्रावधान है, जिसमें आप अपनी Answer Sheet (उत्तर पुस्तिका) की दोबारा जाँच के लिए आवेदन कर सकते हैं। ऐसा नहीं हो सकता कि आपने सही लिखा हो और आपको अंक न मिले हों।

गाँव कनेक्शन: अगर OMR शीट में प्रिंटिंग गलत हो जाए या मिट जाए, तो छात्र क्या कर सकता है?

ललित तिवारी: घबराने की जरूरत नहीं है, इसलिए बच्चों की काउंसलिंग की जाती है। बच्चों को समझाया जाता है कि घबराना नहीं चाहिए, पहले पूरा पेपर ध्यान से पढ़ें और गलतियों को नोट करें।

गाँव कनेक्शन: अगर परीक्षा के परिणाम गलत हों, तो?

ललित तिवारी: कभी-कभी प्रश्न गलत होते हैं और उनके सही उत्तर नहीं होते, ऐसे में उस प्रश्न के अंक सभी छात्रों को दे दिए जाते हैं।

गाँव कनेक्शन: दिव्यांग छात्रों को परीक्षा में आने-जाने के लिए क्या कोई सुविधा दी जाती है?

ललित तिवारी: दिव्यांग छात्रों के लिए 2016 का ‘Persons with Disabilities Act’ है, जिसमें उन्हें आरक्षण का अधिकार दिया गया है। परीक्षा केंद्र में उनके लिए सभी व्यवस्थाएं जैसे व्हीलचेयर और विशेष सीढ़ियों की सुविधा उपलब्ध होती हैं।

गाँव कनेक्शन: अगर परीक्षा रद्द हो जाती है, तो क्या एप्लीकेशन फॉर्म फीस वापस मिल सकती है?

ललित तिवारी: ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि एप्लीकेशन फॉर्म फीस वापस की जाए। हाल ही में UGC NET और NEET की परीक्षाएं रद्द हुईं, जो दुर्भाग्यपूर्ण था। इसके लिए केंद्र सरकार ने ‘The Public Examinations (Prevention of Unfair Means) Act, 2024’ पास किया है, जो 21 जून, 2024 से लागू हो चुका है। इसमें अनुचित साधनों का प्रयोग करने पर 3 से 5 साल तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर इसमें शामिल होता है, तो उसे 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना देना पड़ेगा।

गाँव कनेक्शन: एग्जाम खत्म होने के कितने दिनों बाद परिणाम आ जाना चाहिए?

ललित तिवारी: “प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ऐसा कोई तय समय नहीं है। इसमें सारी डिसिजन केंद्र और राज्य के हाथों में है।”

गाँव कनेक्शन: अगर एग्जाम की तारीख बदल जाए या एग्जाम रद्द हो जाए, तो क्या इसके संबंध में छात्रों के पास कोई अधिकार हैं?

ललित तिवारी: अगर किसी छात्र ने अपना फॉर्म भरा है, तो उसकी सारी जानकारी एप्लिकेशन फॉर्म में होती है। अगर परीक्षा रद्द हो जाती है और छात्र मुआवजे के लिए दावा करना चाहें, तो उन्हें ‘Prevention of Unfair Means Act’ के तहत ही अपील करनी होगी। राज्य सरकार ने अगर कोई वेलफेयर का निर्णय लिया है, तो उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती।

गाँव कनेक्शन: अगर किसी छात्र की तबीयत परीक्षा केंद्र में खराब हो जाए या कोई टीचर उसे मारे, तो छात्र क्या कर सकता है?

ललित तिवारी: कोई भी टीचर किसी छात्र को मार नहीं सकता। टीचर को छड़ी लेकर घूमने की अनुमति नहीं है। अगर एग्जाम सेंटर में कुछ हो जाता है, तो वहां प्राथमिक चिकित्सा किट (First Aid Kit) होती है, जिससे उसका इलाज किया जाएगा, या उसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) भेजा जाएगा। हालांकि, इसमें लगे समय के लिए अतिरिक्त समय नहीं मिलेगा।

गाँव कनेक्शन: क्या छात्रों के पास बहुत कम अधिकार हैं?

ललित तिवारी: इसी वजह से छात्रों का बहुत नुकसान हो रहा है। UGC NET और NEET जैसी परीक्षाएं रद्द हो गईं, लेकिन इसका परिणाम यह होता है कि जिस तैयारी में छात्र आज मेहनत कर रहे हैं, वे कल वैसी मेहनत नहीं कर पाते। कड़ी मेहनत तीन चीजों पर निर्भर करती है – लक, लेबर और Circumtances (परिस्थितियाँ)। और सबसे ज्यादा नुकसान छात्रों को ही होता है।

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