लाख की खेती किसानों के लिए एक सशक्त विकल्प बनकर उभर रही है, जिसमें कम लागत में अधिक उत्पादन और लाभ मिलता है। यह प्राकृतिक खेती पद्धति किसानों को पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाए रखते हुए आर्थिक समृद्धि की ओर ले जाती है। लाख उत्पादन की प्रक्रिया सरल और लागत प्रभावी होने के कारण यह ग्रामीण किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस खेती से प्राप्त प्राकृतिक राल, जिसे लाख कहा जाता है, औद्योगिक उपयोग के साथ-साथ घरेलू और व्यावसायिक क्षेत्रों में भी व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है।
बायोवेद कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान के निदेशक डॉ बीके द्विवेदी लाख की खेती के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
लागत और उच्च आय
लाख एक प्राकृतिक राल है, जिसे कैरिया नामक कीट की मादा उत्पन्न करती है। इस राल का उपयोग कई उद्योगों जैसे दवा, कॉस्मेटिक, और चमड़ा उद्योग में किया जाता है। लाख की खेती का प्रमुख लाभ यह है कि इसमें लागत बेहद कम होती है और किसानों को सात से आठ गुना अधिक आय प्राप्त होती है। इसे जीरो बजट फार्मिंग की श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि इसमें न तो महंगे रासायनिक उर्वरकों की जरूरत होती है और न ही पानी की अधिक आवश्यकता होती है।
भारत में लाख का उत्पादन पारंपरिक रूप से कुसुम, बेर, पीपल, गूलर, बबूल, और जंगल जलेबी जैसे पेड़ों पर किया जाता है। इन पेड़ों पर कैरिया कीट को छोड़ा जाता है, जो लाख का उत्पादन करते हैं। इस उत्पादन से किसान हर छः महीने में एक फसल काट सकते हैं और एक साल में दो बार लाख बेचकर लाभ कमा सकते हैं।
लाख का ऐतिहासिक महत्व
लाख की खेती भारत में सदियों पुरानी है और ब्रिटिश शासनकाल में भी इसे प्रोत्साहन मिला था। ब्रिटिश सरकार ने लाख की खेती के महत्व को समझते हुए 1913-1917 के दौरान भारतीय लाख अनुसंधान संस्थान की स्थापना की थी। उस समय से ही लाख की खेती ने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाई है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लाख उत्पादक देश है और यहां का 80 प्रतिशत लाख उत्पादन वैश्विक बाजारों में निर्यात किया जाता है।
लाख की खेती से रोजगार के अवसर
लाख की खेती से किसानों को न केवल आर्थिक लाभ होता है बल्कि यह रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करती है। लाख उत्पादन में न केवल किसान बल्कि कई अन्य लोग भी शामिल होते हैं, जैसे कि लाख को इकट्ठा करने, साफ करने और पैकेजिंग करने वाले लोग। यह पूरी प्रक्रिया किसानों और मजदूरों के लिए रोजगार के अवसरों का सृजन करती है। इसके अलावा, लाख की खेती से जुड़े उद्योग जैसे कि दवा, कॉस्मेटिक, और पेंट उद्योग भी इससे लाभान्वित होते हैं।
लाख के औद्योगिक उपयोग
लाख का उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है। इसका इस्तेमाल दवा उद्योग में टैबलेट और कैप्सूल के कवर के रूप में किया जाता है। कॉस्मेटिक उद्योग में लाख का उपयोग लिपस्टिक और नेल पॉलिश बनाने में होता है। चमड़ा उद्योग में लाख का उपयोग चमड़े को चमकाने और उसे टिकाऊ बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, लाख का उपयोग चूड़ियां, सजावटी वस्तुएं, और फर्नीचर की पॉलिशिंग में भी किया जाता है।
पर्यावरणीय लाभ
लाख की खेती पर्यावरण के अनुकूल होती है और जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याओं के समाधान के लिए भी उपयोगी मानी जाती है। लाख के उत्पादन में न तो ज्यादा पानी की जरूरत होती है और न ही किसी तरह के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक की आवश्यकता होती है। यह खेती जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक होती है और सतत कृषि विकास के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प साबित हो रही है।
किसानों के लिए भविष्य की संभावनाएं
लाख की खेती इस लक्ष्य को प्राप्त करने में किसानों के लिए एक मजबूत विकल्प हो सकती है। जिन किसानों ने इस खेती को अपनाया है, वे परंपरागत फसलों की तुलना में कई गुना अधिक आय कमा रहे हैं। लाख की खेती एक बार निवेश के बाद लंबे समय तक मुनाफा देती है। यह कृषि पद्धति न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधार रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रही है।
लाख की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली एक उत्कृष्ट कृषि पद्धति है। यह न केवल किसानों को आर्थिक समृद्धि की ओर ले जा रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता को बढ़ावा देने और सतत विकास को प्रोत्साहित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। लाख की खेती से जुड़ी अपार संभावनाएं हैं और यह भारतीय ग्रामीण किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत करती है। लाख का उत्पादन और इसके उद्योगों से जुड़े रोजगार के अवसरों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक नई जान फूंक दी है, जिससे किसानों की आय कई गुना बढ़ रही है।