मध्य प्रदेश के इंदौर में कचरे से निपटने के लिए एशिया के सबसे बड़े बायो गैस प्लांट का उद्घाटन किया गया। इस संयंत्र का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले दो वर्षों में देश के 75 बड़े नगर निकायों में इस प्रकार के गोबरधन बायो सीएनजी प्लांट बनाने पर काम किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अपने शहरों को प्रदूषण मुक्त रखने, और गीले कचरे के निस्तारण के लिए आज का ये प्रयास बहुत अहम है। शहर में घरों से निकला गीला कचरा हो, गांव में पशुओं-खेतों से मिला कचरा हो, ये सब एक तरह से गोबरधन ही है। शहर के कचरे और पशुधन से गोबरधन, फिर गोबरधन से स्वच्छ ईंधन, फिर स्वच्छ ईंधन से ऊर्जाधन, ये श्रृंखला जीवनधन का निर्माण करती है। इस श्रृंखला की हर कड़ी कैसे एक दूसरे से जुड़ी हुई है, उसके प्रत्यक्ष प्रमाण के तौर पर इंदौर का ये गोबरधन प्लांट अब दूसरे शहरों को भी प्रेरणा देगा।”
अपने शहर को प्रदूषण मुक्त रखने और गीले कचरे के निस्तारण के लिए इंदौर का गोबरधन Bio CNG Plant एक बहुत ही अहम प्रयास है। मुझे खुशी है कि आने वाले दो वर्षों में देश के 75 बड़े नगर निकायों में इस प्रकार के Plant बनाने पर काम किया जा रहा है। pic.twitter.com/XXNgySygog
— Narendra Modi (@narendramodi) February 19, 2022
पीएम ने आगे कहा, “अभियान भारत के शहरों को स्वच्छ बनाने, प्रदूषण रहित बनाने, क्लीन एनर्जी की दिशा में बहुत मदद करेगा। और अब तो शहरों में ही नहीं, बल्कि देश के गांवों में भी हजारों की संख्या में गोबरधन बायोगैस प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनसे हमारे पशुपालकों को गोबर से भी अतिरिक्त आय मिलनी शुरु हुई है। हमारे गांव-देहात में किसानों को बेसहारा जानवरों से जो दिक्कत होती है, वो भी इस तरह के गोबरधन प्लांट्स से कम होगी। ये सारे प्रयास, भारत के क्लाइमेट कमिटमेंट को भी पूरा करने में मदद करेंगे।”
गोबरधन बायो गैस प्लांट की क्या हैं खासियतें
यह प्लांट एशिया में जैविक अपशिष्ट से बायो BIO CNG बनाने का बसे बड़ा और देश का पहला प्लांट है। यहां हर दिन 550 मीट्रिक टन गीले कटरे का निपटान किया जाएगा।
बायो सीएनजी प्लांट पीपीपी मॉडल पर आधारित है, इस प्लांट की स्थापना पर जहां एक ओर नगर निगम, इन्दौर को कोई वित्तीय भार वहन नहीं करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्लांट को स्थापित करने वाली एजेंसी IEISN नई दिल्ली द्वारा नगर निगम, इन्दौर को हर साल ढाई करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में दिये जाएंगे।
इस प्लांट में हर रोज 550 मीट्रिक टन गीले कचरे का निपटान किया जाएगा, इससे 17 हजार 500 किलो बायो CNG गैस और 100 टन जैविक खाद बनायी जाएगी।
इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली बायो सीएजी में से 50 प्रतिशत गैस नगर निगम, इन्दौर को लोक परिवहन की संचालित बसों के उपयोग के लिए उपलब्ध होगी।
बाकी 50 फीसदी गैस अलग-अलग इंडस्ट्रीज और कमर्शियल कस्टमर को बेची जा सकेगी।
इस प्लांट में जो सीएनजी बनेगी उससे इंदौर शहर में हर रोज करीब-करीब 400 बसें चलाई जा सकेंगीं। इस प्लांट से सैकड़ों युवाओं को किसी ना किसी रूप में रोज़गार भी मिलने वाला है, यानि ये ग्रीन जॉब्स को बढ़ाने में भी मददगार होगा।