पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ ही मैरिज रजिस्ट्रेशन भी क्यों है ज़रूरी?

भारत में शादी का सर्टिफिकेट एक कानूनी प्रमाण पत्र है जो आपकी शादी को वैधानिक बनाता है। ये सभी धर्म की शादियों के लिए ज़रूरी भी है।
#marrige

शादियों में जितना ज़रूरी रीति-रिवाज होते हैं, उतना ही ज़रूरी होता है उस शादी को कानूनी तौर पर मान्यता दिलाना। अगर आपको भी यही लगता है कि रजिस्टर्ड मैरिज ज़रूरी नहीं तो आगे आपको परेशानी हो सकती है।

चार साल पहले 30 साल की सुधा की मुलाकात दिल्ली में जस्टिन से हुई थी, आपसी जुड़ाव बढ़ा तो दोनों ने शादी करने का फैसला किया लिया। मुसीबत ये थी कि दोनों तरफ से इस शादी के लिए घर वाले तैयार नहीं थे। घरवालों की मर्जी के बगैर उन्होंने शादी कर ली।

सुधा बताती हैं, “सब अच्छा चल रहा था, बेमन घरवालों ने भी औपचारिकता के तौर पर इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, लगभग चार साल बाद मेरे पति की दुर्घटना में मौत हो गई; उनकी मौत के बाद ससुराल वालों ने मुझे अपशकुन मानते हुए घर से निकाल दिया और मेरे पति की प्रॉपर्टी में भी मुझे हिस्सा नहीं दिया गया, मुझे अपने हक़ के लिए ससुराल पक्ष के ख़िलाफ केस फ़ाइल करना पड़ा, करीब दो साल से मामले की सुनवाई चल रही है।”

विवाह और तलाक से जुड़े मामलों के जानकार और अधिवक्ता दिवेंद्र मिश्रा बताते हैं, “अगर यही शादी रजिस्टर्ड रूप से हुई होती, तो इसमें महिला संबंधी अधिकार अधिक सुरक्षित माने जाते, ऐसे कई प्रकरण हैं जिनमें शादी हुई या नहीं हुई, अगर हुई तो वह वैधानिक है या नहीं, जैसे सवाल मुद्दा बनते हैं और पीड़ित को लम्बे समय तक कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने पड़ते है। “सात फेरो के बंधन” के साथ मैरिज रजिस्ट्रेशन भी महत्वपूर्ण है और अब तो ये ज़रूरी भी है।

पटना की रहने वाली 34 साल की प्रियंका बताती हैं, “शादी के कुछ समय बाद मेरे पति को कनाडा में जॉब का ऑफर मिल गया’ उधर सेटल होने के बाद उन्होंने मुझे भी बुलाने का प्लान किया; वीजा, पासपोर्ट के टाइम हमसे मैरिज प्रमाण पत्र माँगा गया लेकिन हमने तो हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार विवाह किया था, प्रमाण पत्र तो था नहीं, ऐसे में विवाह के फोटोग्राफ्स जैसे प्रूफ लगाकर रजिस्टर्ड मैरिज के लिए आवेदन किया और मैरिज सर्टिफिकेट बनवाया।“

आमतौर पर आज भी देश में शादी-ब्याह पारंपरिक रीति-रिवाजों से संपन्न होते हैं। धर्म, भौगोलिक विविधताओं के आधार पर हर समुदाय की अपनी-अपनी परंपराएँ हैं; जिनके अनुसार हुए विवाह को सामाजिक मान्यता मिलती है। लेकिन वर और वधू दोनों पक्षों की सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा, विवाद से निपटारा और रिकॉर्ड के नजरिए से पारंपरिक विवाह के साथ-साथ देश के सभी धर्मों, संप्रदायों के लिए एक समान रजिस्टर मैरिज का प्रावधान सरकार की तरफ से किया गया है।

कब हुई भारत में रजिस्टर्ड मैरिज की शुरुआत

भारत में रजिस्टर्ड मैरिज की शुरुआत 1954 में हुई जो विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act, 1954) लागू हुआ। इस अधिनियम ने अंतर-धार्मिक और अंतरजातीय विवाह को कानूनी मान्यता दी और विवाह को पंजीकृत करने का प्रावधान प्रदान किया।

साल 2006 में आया महत्वपूर्ण बदलाव

साल 2006 में, सर्वोच्च न्यायालय ने भारत में विवाह को वैध बनाने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य किया। यह फैसला विवाह को कानूनी मान्यता देने और विवाहित जोड़ों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।

विश्व में रजिस्टर्ड मैरिज का चलन

आज, लगभग सभी देशों में रजिस्टर्ड मैरिज का चलन है। हर देश के अपने नियम और कानून होते हैं, लेकिन रजिस्टर्ड मैरिज का मकसद लगभग सभी जगह एक ही होता है – विवाह को क़ानूनी मान्यता देना और पति-पत्नी दोनों के अधिकारों की रक्षा करना।

एक नहीं कई फायदे हैं रजिस्टर्ड मैरिज के

कानूनी सुरक्षा: रजिस्टर्ड मैरिज वर और वधू दोनों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करती है। अगर कभी भविष्य में कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो विवाह प्रमाणपत्र एक ठोस सबूत के रूप में काम आता है। यह संपत्ति विवाद, बच्चे की कस्टडी और अन्य कानूनी मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

महिला अधिकार: रजिस्टर्ड मैरिज महिला के अधिकारों की रक्षा करती है। यह सुनिश्चित करता है कि महिला को उसकी शादीशुदा स्थिति से जुड़े सभी क़ानूनी अधिकार मिलें, जैसे कि पति की संपत्ति में अधिकार, गुजारा भत्ता, आदि।

सरकारी लाभ और सुविधाएँ: रजिस्टर्ड मैरिज के बाद सरकारी योजनाओं और लाभों का फायदा मिलता है। सरकारी नौकरियों में स्पाउस कोटा, स्वास्थ्य बीमा, और अन्य सामाजिक योजनाओं में प्राथमिकता मिलती है।

अंतर्राष्ट्रीय मान्यता: अगर दंपति विदेश यात्रा करते हैं या बसते हैं, तो उनके रजिस्टर्ड मैरिज को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होती है। यह उनके जीवन को आसान और परेशानी मुक्त बनाता है।

सामाजिक सुरक्षा: रजिस्टर्ड मैरिज से दोनों परिवारों को एक सामाजिक सुरक्षा का अहसास होता है। यह विवाह को केवल एक धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि एक कानूनी बंधन बनाता है, जो समाज में स्थिरता और सम्मान बढ़ता है।

उपनिबंधक चतुर्थ लखनऊ शिवेंद्र सिंह बताते हैं, “पिछले दस साल में लोगों में जागरूकता बढ़ी है और पहले की अपेक्षा लगभग दस गुना रजिस्टर्ड मैरिज का चलन बढ़ा है।“

वो आगे बताते हैं, “रजिस्टर्ड मैरिज की प्रक्रिया काफी सरल है और सिर्फ दस रूपये का शुल्क जमा करके रजिस्टर्ड मैरिज की जा सकती है। विवाह के एक साल के अन्दर अगर रजिस्टर्ड मैरिज के लिए आवेदन किया जाता है तो दस रूपये का शुल्क जमा करना होता है, लेकिन अगर एक वर्ष से अधिक होता है तो प्रति वर्ष पचास रूपये के हिसाब से शुल्क जमा करना पड़ता है।

कैसे करें विवाह पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन

1. आधिकारिक वेबसाइट igrsup.gov.in पर जाएं।

2. साईट में रजिस्ट्रेशन फॉर्म पर क्लिक करें और सभी ज़रूरी जानकारी जैसे कि वर और वधू का नाम, पता, आयु प्रमाण पत्र, और अन्य विवरण भरें।

3. फॉर्म भरने के बाद विवाह के फोटोग्राफ्स, पहचान पत्र, आयु प्रमाण पत्र, और निवास प्रमाण पत्र अपलोड करें।

4. ऑनलाइन पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें। अगर विवाह के एक साल के अंदर आवेदन कर रहे हैं तो शुल्क कम होता है।

5. दो साक्षियों का नाम और उनके पहचान पत्र अपलोड करें।

6. भरे गए फॉर्म को सब्मिट करने से पहले चेक ज़रूर का लें और उसका एक प्रिंट निकाल लें।

रजिस्टर्ड मैरिज के लिए, वर और वधू का पहचान प्रमाण पत्र (आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस आदि), आयु प्रमाण पत्र (जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल सर्टिफिकेट आदि), निवास प्रमाण पत्र (राशन कार्ड, वोटर आईडी आदि), विवाह के फोटोग्राफ्स, दो साक्षियों के पहचान पत्र दस्तावेजों का होना ज़रूरी है।

आवेदन के बाद, सभी मूल प्रमाण पत्रों के साथ आवेदन की तिथि से 30 दिन के भीतर चयनित कार्यालय में जाकर विवाह पंजीकरण कराना आवश्यक है।

यूपी से इतर देश के अन्य राज्यों में भी ऑनलाइन विवाह पंजीकरण के लिए सम्बंधित वेबसाइट पर जाकर आवेदन किया जा सकता है।

Recent Posts



More Posts

popular Posts