जब गाड़ी की सर्विसिंग समय पर कराते हैं, तो अपने शरीर की जाँच से क्यों कतराते हैं?

अपने शरीर के संकेतों को समझिए, साल में एक बार रूटीन जाँच कराइए, और डॉक्टर से मिलने में संकोच मत कीजिए।
Importance of Regular Health Check-Ups for Healthy Life

हममें से कई लोग तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते, जब तक हालात बिगड़ न जाएं। छोटी-छोटी परेशानियों को नज़रअंदाज़ करते रहते हैं, और जब तक इलाज की बारी आती है, तब तक बीमारी गंभीर हो चुकी होती है। 

‘नमस्ते डॉक्टर’ में डॉ मृदुल मेहरोत्रा ने यही बात जोर देकर कही—बीमारी से पहले जाँच ही असली इलाज है।

“जैसे हम अपनी गाड़ी की सर्विसिंग समय पर कराते हैं, चाहे वो स्कूटर हो या बाइक, वैसे ही साल में एक बार शरीर की भी ‘सर्विसिंग’ होनी चाहिए,” — डॉ. मृदुल मेहरोत्रा

वे बताते हैं कि पश्चिमी देशों में एक सामान्य कहावत है—“I have to see my doctor”, यानी साल में एक बार डॉक्टर से मिलना उनकी आदत में शामिल है, चाहे वे बीमार हों या नहीं। वहां फैमिली डॉक्टर दिल, फेफड़े, ब्लड प्रेशर, ईसीजी और जरूरी टेस्ट करके यह सुनिश्चित करता है कि कुछ गड़बड़ तो नहीं।

मधुमेह का में रखें खास ध्यान

डॉ. मेहरोत्रा कहते हैं, “अगर किसी को पहले से पता चल जाए कि उसे मधुमेह हो सकता है, तो समय रहते उसे रोका जा सकता है।” इसके लिए जरूरी टेस्ट है ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट (HbA1c), न कि सिर्फ फास्टिंग या पीपी शुगर टेस्ट।

हड्डियों की सेहत पर भी दें ध्यान

आजकल युवाओं से लेकर बुज़ुर्गों तक, घुटनों और रीढ़ की समस्याएं आम हो गई हैं। जबकि पहले की पीढ़ियों को ये परेशानियाँ कम होती थीं।
डॉ. मेहरोत्रा बताते हैं, “अगर महिलाएं 35 की उम्र तक दो-तीन बार अपनी हड्डियों की जांच करा लें, तो आगे की बीमारियों को पहले ही रोका जा सकता है।”

वो एक गंभीर केस का ज़िक्र करते हैं जिसमें मरीज की रीढ़ की हड्डी की डिस्क बाहर निकल आई थी। इलाज में लाखों रुपये खर्च हुए, पर अगर पहले ही जाँच करा ली जाती तो मामूली दवाओं से ही सब ठीक हो जाता।

शरीर देता है संकेत, उन्हें पहचानिए

जैसे गाड़ी में खड़खड़ की आवाज आती है और हम समझ जाते हैं कि सर्विसिंग का समय आ गया है, वैसे ही शरीर भी दर्द या थकान के जरिए संकेत देता है। लेकिन हम बहाना बना लेते हैं—मौसम बदला है, पुरवाई चल रही है या ठंडी हवा लग गई है।
डॉ. मेहरोत्रा कहते हैं, “दर्द महज बहाना नहीं, शरीर का अलार्म होता है। इसे हल्के में न लें।”

टेस्ट कराते समय ये ज़रूर पूछें

डॉक्टर मृदुल सलाह देते हैं कि जब भी कोई टेस्ट कराएं—चाहे खून, यूरिन या कोई और—यह ज़रूर सुनिश्चित करें कि लैब में एक डॉक्टर मौजूद हो। यह आपका अधिकार है।

“अगर डॉक्टर वहाँ नहीं है, तो सैंपल कलेक्शन से लेकर प्रोसेसिंग तक में गलती हो सकती है।”

हर टेस्ट के लिए सैंपल संभालने का एक सही तरीका होता है—कुछ को फ्रिज में रखना होता है, कुछ को तुरंत जाँचना होता है। अगर ये प्रक्रियाएँ ठीक से नहीं होंगी, तो रिपोर्ट भले नॉर्मल आए, लेकिन असलियत में बीमारी छुपी रह जाएगी।

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