कई बार मां बाप बच्चों के झूठ बोलने से परेशान रहते हैं। बच्चे छोटी-छोटी बातों पर झूठ बोलते हैं और बिल्कुल भी सच बोलने की हिम्मत नहीं रखते हैं। ऐसे में अगर बच्चों को हम सच बोलना सिखाना चाहते हैं तो पहले मां बाप को खुद सच बोलना सीखना होगा।
अगर घर के बड़े ही झूठ बोलेगें तो बच्चों से ये उम्मीद नहीं कर सकते कि वो सच बोलें। अक्सर घर में कोई आता है या किसी का फोन आता है तो घर के बड़े लोग कह देते हैं कि बेटा कह दो कि पापा घर पर नहीं हैं। ये पहले झूठ की शुरूआत होती है। जब बड़े कर सकते हैं तो बच्चे क्यों नहीं।
बच्चे को ये भी नहीं सिखाना चाहिए कि बेटे ये पापा मम्मी को मत बताओ। अगर शुरू से हम बच्चों को ये सिखाते हैं कि चीजें छुपानी चाहिए तो वो ये टेंडेसी डेवलप कर लेते हैं और अपने मां बाप के ही खिलाफ जाकर इनको इस्तेमाल करते हैं।
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सच और झूठ दोनों के फायदे और नुकसान बताइए। सच बोलने के नुकसान डांट और सजा के रूप में हो सकते हैं और झूठ बोलने से कुछ देर तक तो फायदा हो सकते हैं। लेकिन लंबे समय के लिए वो नुकसानदायक हो सकता है। अगर बच्चे ने किसी गलती को स्वीकार कर लिया है तो उसको सच बोलने के लिए इनाम देना चाहिए और गलती करने पर समझाना चाहिए।
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बच्चे को ये जरूर कहें कि मुझे बहुत खुशी है कि तुमने सच बोला। ये करना तुम्हारे लिए मुश्किल रहा होगा लेकिन फिर भी तुमने किया उसके लिए मुझे तुमपर गर्व है। झूठ बोलने पर बहुत लंबे चौड़े भाषण नहीं देने चाहिए और न ही गुस्से में तुरंत निर्णय लेना चाहिए। अगर मां बाप हर समय गुस्से से बच्चे को हैंडल करते हैं तो वो झूठ बोलना सीखेगें। अपने गुस्से पर नियंत्रण करना सीखें। डर झूठ की जड़ होती है, जो घर में प्यार और अपनत्व का माहौल पैदा करें और झूठ अपने आप खत्म हो जाएगा।