त्योहारी सीजन में कहीं आप भी तो नहीं खरीद रहे हैं मिलावटी सामान

क्या आपको पता है कि दशहरा, दिवाली पर सबसे ज़्यादा रिफाइंड सरसों के तेल की माँग होती है और मँहगाई की वजह से इनदिनों बाजारों में नकली तेल भी खूब बिकता है।
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त्योहारों का सीजन है। दशहरा, दिवाली पर खाद्य तेलों की बढ़ी डिमांड को पूरा करने के लिए तमाम कारोबारी मिलावट करने से बाज नहीं आते हैं, जो सेहत के लिए बेहद ख़तरनाक है। मिलावटी खाद्य पदार्थ ही नहीं, बल्कि मिलावटी खाद्य तेल के उपयोग के कई दुष्प्रभाव भी हैं। मिलावटी सरसों के तेल के उपयोग से हमारी सेहत पर गंभीर दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं। सबसे पहले जी मिचलाना और पेट खराब होना जैसी समस्या होती हैं। पेट में सूजन यहाँ तक कि दिल और साँस की बीमारी और एनीमिया का ख़तरा भी बढ़ जाता है। बीते सालों की बात करें तो खाद्य तेलों में मिलावट के कई मामले पकड़े गए हैं।

खाद्य तेलों में कई तरह के पदार्थ मिलाए जाते हैं, जो गर्म होने के बाद पेट की कई बीमारियों को जन्म देते हैं। ऐसे में खाद्य तेलों पर जरा भी संदेह होने पर घर पर ही उसकी जाँच कर सकते हैं। इसके अलावा शहद में चीनी का घोल मिलाकर बाज़ार में बेचा जा रहा है। कई लोग खाद्य तेलों में पाम ऑयल तो कुछ लोग केमिकल मिलाते हैं। अगर इनका सेवन किया जाए तो यह सेहत पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैैं। ऐसे खाद्य तेलों से बने उत्पादों के सेवन से पेट खराब हो सकता है। इससे त्योहार पर हॉस्पिटल भी जाना पड़ सकता है।

कई बार तो ख़राब खाद्य तेलों के सेवन से लंबे समय के लिए पेट की समस्या हो जाती है। यही हाल चीनी, शहद इत्यादि में मिलावट होने से हो सकता है, इसलिए त्योहार पर सावधान रहें और देख-परख कर ही खाद्य उत्पादों को खरीदें।

खाना बनाते समय ज़्यादातर लोग सरसों के तेल का इस्तेमाल करते हैं। वहीं कुछ लोग स्किन और हेयर केयर में भी सरसों का तेल इस्तेमाल करना पसँद करते हैं। बेशक सरसों का तेल सेहत के साथ-साथ त्वचा और बालों के लिए भी फायदेमंद होता है। मगर ज़्यादातर लोग मार्केट से नकली सरसों का तेल खरीद लेते हैं।

मिलावट की दुनिया में शुद्ध सरसों का तेल विरले ही मार्केट में देखने को मिलता है। वहीं मिलावटी तेल का इस्तेमाल करने से हेल्थ, स्किन और बालों पर भी कई साइड इफेक्ट होने लगते हैं। ऐसे में सरसों के तेल को फ्रिज में रखने, रबिंग टेस्ट और कलर टेस्ट ट्राई करने जैसे टिप्स अपनाकर आप मिनटों में असली और नकली सरसों के तेल की पहचान कर सकते हैं।

इधर, मिलावट के धंधेबाज तेल में खेल करने से बाज नहीं आ रहे। पिछले साल जब केंद्र सरकार ने पाम ऑयल का आयात प्रतिबंधित किया तो खाद्य तेल में मिलावट और उनकी पैकेजिंग में गड़बड़ी का खेल शुरू हो गया। धंधेबाजों ने रिफाइंड जैसे दिखने वाले सस्ते नेपाली तेल का आयात कर उसमें रासायनिक अखाद्य रंग और एसेंस (सुगंध) मिलाकर उसकी पाम ऑयल और सरसों के तेल के तौर पर बिक्री शुरू कर दी थी। जब से मलेशियन पाम ऑयल के आयात पर रोक लगाई गई है, तब से न केवल सरसों तेल, बल्कि सोयाबीन, राइस ब्रान, सूरजमुखी, मूंगफली आदि तेलों में मिलावट बढ़ गई है। दुकानदार रिफाइंड जैसे दिखने वाले सस्ते नेपाली तेल में एसेंस (सुगंध) मिलाकर उसे सरसों के तेल के तौर पर बेच रहे हैं।

मिलावट का खेल वैसे तो पूरे साल चलता है, लेकिन त्योहारों में माँग बढ़ने से मिलावटखोरी और बढ़ जाती है। दशहरा, दिवाली पर सबसे ज्यादा रिफाइंड एवं सरसों के तेल की माँग होती है। महँगाई की वजह से सरसों के तेल में मिलावट की जड़ें सभी जगहों पर मज़बूती से फैली हुई हैं। बाज़ारों में नकली सरसों का तेल भी खूब बिक रहा है। राइस ब्रान में बटर एलो मिलाकर सरसों के तेल की कीमत वसूली जा रही है।

सरसों तेल में मिलावट करने वाले अधिक मुनाफे के चक्कर में लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं। नकली खुला सरसों का तेल तो बिकता ही है, विभिन्न ब्रांड के नाम पर भी नकली तेल बेचा जाता है। साठ, सत्तर रुपए लीटर मिलने वाले इन तेलों की खासियत यह होती है कि इनमें किसी तरह की खुशबू नहीं होती है और मिलावटखोर इसी का जमकर फायदा उठाते हैं और लोगों की सेहत से खिलवाड़ करते हैं।

एफएसएसएआई ने पिछले साल देश भर से खाने के तेल के हजारों सैम्पल जुटाए। इन सैम्पलों में ब्रांडेड और खुले में बिकने वाले तेल दोनों शामिल रहे। नियामक ने सरसों तेल, नारियल तेल, पाम ऑयल, ब्लेंडेड ऑयल, सोयाबीन तेल, राइस ब्रान ऑयल, मूंगफली तेल समेत खाने वाले 15 तेलों के नमूनों को टेस्ट किया। इनमें से एक चौथाई नमूने मानकों से नीचे पाए गए। इस टेस्ट में यह भी पता चला कि खाने के तेल में विटामिन ए और विटामिन डी मिलाए जाने के दावे फर्जी हैं। इनकी जगह पर कंपनियों ने ऐसे केमिकल का तय मात्रा से अधिक इस्तेमाल किया, जो कई गंभीर बीमारियां पैदा कर सकते हैं। ज़्यादातर नमूनों में कुछ एसिड तय मात्रा से अधिक पाए गए। ये केमिकल मात्रा से अधिक होने पर सिरदर्द, सुस्ती, बेहोशी से लेकर नाक से खून निकलने तक के ज़िम्मेदार हो सकते हैं। नशीले असर वाले इन केमिकलों को कई बीमारियों का जनक भी माना जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि मिलावट वाला तेल खाने से तुरंत कोई समस्या महसूस नहीं होती, लेकिन लंबे समय तक इसका इस्तेमाल बहुत सी हेल्थ प्रॉब्लम्स खड़ी कर सकता है। इससे सबसे ज़्यादा दिमाग के काम करने की शक्ति पर असर पड़ता है। बेहतर होगा कि अपने खाने के तेल को टेस्ट करने के बाद ही प्रयोग में लाएं। एक्सपर्ट कहते हैं कि खाद्य पदार्थों में प्रचलित उच्च स्तर की मिलावट चिंता का कारण बन रही है। यह एक लगातार मिलने वाली समस्या रही है। भोजन जीवन की बुनियादी आवश्यकता है, इसे देखते हुए मिलावटी उत्पादों के हानिकारक प्रभावों को रोकने के लिए सभी तरह के उपाय करना ज़रूरी है। इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प है कि ब्रांडेड उत्पादों को देखकर खरीदा जाए। सस्ते के फेर में नहीं पड़ा जाए। खुले उत्पादों को खरीदने से बचा जाना चाहिए। वहीं जागरूकता अपनाकर मिलावटी उत्पादों से बचा जा सकता है।

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