डिजिटल क्रांति: सहूलियतें तो बढ़ीं, लेकिन अब भी सफर लंबा है

जैसे कि एक अच्छी सड़क होना किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए ज़रूरी है, उसी प्रकार समय समय पर नयी तकनीकी का व्यवस्था में जुड़ना भी विकास के लिए ज़रूरी है। कोरोना काल में डिजिटल पेमेंट ने बहुत सुविधा प्रदान की थी और इस महामारी को फैलने से रोकने में भी भूमिका निभाई थी।
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आज डिजिटल क्रांति अपनी यात्रा के उस मोड़ पर हैं, जिस पर उसे संदेह और ज़रूरत दोनों की दृष्टि से देखा जाता है। मोबाइल पर अपने बेटे से वीडियो कॉल पर बात कर लेने को आज भी पिताजी एक चमत्कार सा ही मानते हैं। जब वो नौकरी पर निकले थे तो महीने भर की खबर भारतीय डाक की सुविधानुसार मिलती थी, मनी ऑर्डर पर भरोसा तो था पर ज़रूरत के समय पैसे घर पहुंच पाएंगे या नहीं इस पर भरोसा नहीं था।

बैंक के डेबिट कार्ड का उपयोग उन्होंने अपने सबसे छोटे बच्चे के पढाई के लिए बाहर जाने के बाद शुरू किया, वह भी शायद इसलिए की उनकी पोती अभी एटीएम मशीन के कीपैड तक नहीं पहुंच पाती। जैसे तैसे पिताजी सीख तो गए लेकिन आज भी माताजी को हमेशा डर ही लगता है और वो पैसे गिन कर ही लेती हैं। उनकी ठिठक तकनीकी अज्ञानता से उपजी है और यहीं पर एक ऐसे प्रयास की ज़रूरत दिखती है जो इस डिजिटल क्रांति को सही मायने में विश्वास और गति प्रदान कर सके।

सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाओं को जनहित में प्रसारित किया गया और ऐसे तकनीकी संस्थानों को ये वातावरण दिया गया, जिससे वह देश में डिजिटल क्रांति को जन जन के लिए सुलभ बना सकें।

पैसे का लेन देन सरल बनाने के क्रम में ऐसे दो उपाय जिसमें आपको बैंकों में जाकर लाइन नहीं लगनी पड़ती और पैसे जेब में लेकर नहीं चलना पड़ता। AEPS (आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम ) और UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफ़ेस) हैं। AEPS आधार कार्ड धारक को पैसा निकालने, जमा करने एवं ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करता है। UPI आपके मोबाइल नंबर से जुड़ कर आपको अपने विभिन्न बैंकों के खाते से पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा प्रदान करता है। आइए जानते हैं दोनों के बारे में विस्तार से :

AEPS: इसके उपयोग के लिए आपको अपने बैंक अकाउंट में आधार कार्ड जोड़ना होता है और आपको अपना आधार कार्ड का नंबर याद रहना चाहिए, फिर आप किसी AEPS डिवाइस जो की आपको बैंकिंग करेस्पोंडेंट्स या बैंक मित्र के पास मिलेगी, वहां अपना अंगूठा लगा कर बैंक खाते से लेन देन कर सकते हैं। इस व्यव्हार में कोई फीस नहीं पड़ती और व्यवहार के बाद आपको रसीद मिल जाती है। आप इससे पैसे निकालना, जमा करना और ट्रांसफर भी कर सकते हैं। यह ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में काफी सुविधा प्रदान करता है। कई बैंकों ने अपने आधार सेवा केंद्र खोले हैं जिनसे ग्रामीण क्षेत्र में रोज़गार उपलब्ध हो रहे है और बैंकिंग की सेवाएं भी पहुंच रहीं हैं।

75 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड बैंक खातों से जुड़े हुए हैं और उनमें कई सरकारी स्कीम जैसे की उज्जला योजना, किसान समृद्धि योजना, वृद्धा पेंशन, छात्रवृत्ति, ऐसी 300 से ज्यादा केंद्र सरकार और 700 से ज्यादा राज्य सरकारों की स्कीम के पैसे सीधा खाते में जमा होते है। पिछले साल 1500 करोड़ से ज्यादा की संख्या में ट्रांजेक्शन AEPS के माध्यम से हुए।

UPI: इसके माध्यम से हम अपने विभिन्न बैंक खातों को एक मोबाइल एप्लीकेशन से जोड़ सकते हैं। इस सुविधा को इस्तेमाल करने के लिए आपको मोबाइल फ़ोन पर एप्लीकेशन डाउनलोड करनी पड़ती है, इसमें रजिस्ट्रेशन के लिए डेबिट कार्ड आवश्यक है और आपके अकाउंट से मोबाइल नंबर जुड़ा होना चाहिए। आप UPI से पैसे भेज सकते हैं, मंगवा सकते हैं बैलेंस की जांच कर सकते हैं और आप विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पेमेंट भी कर सकते हैं।

380 से ज्यादा बैंक आज UPI से जुड़े हुड़े हैं, प्रति वर्ष UPI से ट्रांजेक्शन करने वालों की संख्या में वृद्धि हुई है। दिसंबर 2022 में कुल 12.8 लाख करोड़ के 782 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए। UPI आज पूरे विश्व में प्रशंसा बटोर रहा है और हाल ही भारत और सिंगापुर में UPI ट्रांजेक्शन की शुरुआत हुई है। विश्व के कई देश भारत के साथ मिलकर इस सुविधा को अपने अपने देश में विकसित कर रहे हैं। भारत में आने वाले सैलानियों के लिए भी ये सुविधा उपलब्ध है।

सरकार की तरफ से UPI आ फ्री है, उपभोक्ता को कोई भी फीस नहीं देनी पड़ती। UPI आ के समय आपके बैंक अकाउंट की कोई भी जानकारी साझा नहीं करनी पड़ती, आपके वर्चुअल अकाउंट डिटेल्स की मदद से अथवा QR कोड के माध्यम से व्यवहार पूरा हो जाता है।

डिजिटल ट्रांजेक्शन में भारत अग्रणी स्थान रखता है और प्रतिदिन नवीन प्रयोग और अनुसंधान से इस प्रक्रिया को और सरल और सुरक्षित बनाया जा रहा है। सभी UPI ट्रांजेक्शन के 70% ट्रांजेक्शन 200 रूपए से कम के होते हैं, जो की ये दर्शाते है की UPI का प्रयोग मुख्यतः छोटे ट्रांजेक्शन के लिए किया जा रहा है( UPI पर होने वाले ट्रांजेक्शन भारत की जीडीपी के 55% है। इस माध्यम ने RTGS, NEFT IMPS जैसी सर्विसेज को पीछे छोड़ दिया है। ऐसा माना जाता है की डिजिटल पेमेंट सिस्टम जिसके मुख्य हिस्सेदारी UPI और AEPS की है, इससे देश की जीडीपी को 60 से 80 बेसिस पॉइंट की बढ़त मिल सकती है।

भारत में 117 करोड़ से ज्यादा टेलीफोन उपभोक्ता हैं जिनमें से 85 करोड़ के पास इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। हाल के कुछ वर्षोँ में ग्रामीण भाग में इंटरनेट की पहुंच शहर के मुकाबले ज्यादा तेज़ गति से बढ़ी है। किसी भी नयी तकनीकी को जनमानस में सुचारु रूप से पहुंचाने के लिए यह जरूरी है कि उसके उपभोक्ताओं को तकनीकी के बारे में जानकारी दी जाए, उसके विश्वास को जीता जाए। आने वाली कोई भी तकनिकी तेज़ गति के साथ कुछ चुनौतियां भी लाती हैं। जैसे कि रोज़ किसी न किसी से हम सुनते हैं की उसके साथ फ्रॉड हो गया, बैंक खाते की डिटेल, एटीएम की डिटेल्स, UPI डिटेल्स , पिन वगैरह साझा करने की वजह से बैंक खाते से पैसे निकल गए।

जैसे की, अच्छी रोड होना किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए ज़रूरी है, उसी प्रकार समय समय पर नयी तकनीकी का व्यवस्था में जुड़ना भी विकास के लिए ज़रूरी है। कोरोना काल में डिजिटल पेमेंट ने बहुत सुविधा प्रदान की थी और इस महामारी को फैलने से रोकने में भी भूमिका निभाई थी। आज पैसे भेजने के लिए हमें घर से बाहर नहीं जाना पड़ता और कुछ बटन दबाने भर से ही पैसा ट्रांसफर हो जाता हैं। पैसे का लेन देन भी काफी मात्रा में काम हुआ है। आइसक्रीम वाले भैया से लेकर सब्जी बेचने वाले के पास एक QR कोड लगा हुआ है, जिसको स्कैन करके पैसे दे सकते हैं। दुकानदार को दिनभर का हिसाब करना आसान हो गया है। छुट्टे पैसे रखने का झंझट कम हुआ है। ऐसी अनगिनत सहूलियतें है जो की हमें मुहैया कराई हैं लेकिन इसके साथ कुछ जिम्मेदारियां भी हैं जिन्हें हमें पूरा करना होगा।

हमें वित्तीय अनुशाषन की बात करनी पड़ेगी, लोगों को सीखना पड़ेगा की कैसे वो थोड़ा सा सचेत रह कर अपने पैसे की सुरक्षा कर सकते हैं। कुछ नियम जिनका हमें पालन करना चाहिए वो निम्न हैं।

  • अपने आधार कार्ड और खाते से मोबाइल नंबर लिंक रखें।
  • अपने UPI PIN की डिटेल्स न दें, किसी के हाथ में मोबाइल देते समय सचेत रहें।
  • कोई नयी अप्लीकेशन डाउनलोड करते समय सचेत रहें और ज़रूरत का ही डाटा शेयर करें।
  • कोई अनजान मैसेज या मेल पर आये लिंक को न खोलें।
  • वेब साइट्स पर अकाउंट रिलेटेड डाटा ना शेयर करें।

आपकी सतर्कता ही आपकी सुरक्षा को सुनिश्चित करेगी। किसी नए प्रयास से जुड़कर हम उसे जान सकते हैं और उसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। वित्तीय व्यवहार को लेकर समाज में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है, नहीं तो धीरे धीरे समाज में इसको लेकर अविश्वास व डर बैठ जाएगा, जिसकी वजह से समाज तकनीकी के फायदे नहीं उठा पाएगा और देश की प्रगति में कहीं पीछे छूटा जाएगा। डिजिटल क्रांति जो की आज भले ही ठिठकती उम्मीद सी जान पड़ती हो लेकिन जल्दी ही हम इसे विश्वास से गले लगाएंगे और इसको सफल बनाएंगे। यह निश्चित ही देश के गौरव का कारण बनेगी और देश की प्रगति में योगदान देगी।

आकाश दीप मिश्रा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में ब्रांच मैनेजर हैं। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं।

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