बढ़ते तापमान के साथ ही गन्ने की फसल में कई तरह के कीट लग जाते हैं, इनमें पायरिला कीट प्रमुख कीट होता है। इस कीट का प्रकोप अप्रैल महीने से अक्टूबर महीने तक रहता है।
मादा पायरिला कीट गुच्छों में अंडे देती है, हर एक गुच्छे में 30 से 50 अंडे पाए जाते हैं। एक मादा कीट अपने जीवन काल में 600 से 800 तक अंडे देती है। पायरिला कीट का वयस्क भूरे रंग का होता है और इसका सिर आगे की तरफ चोंच जैसा होता है। निम्फ या शिशु के पीछे दो ब्रश जैसी संरचनाएं पायी जाती हैं। इस कीट के निम्फ और प्रौढ़ पत्तियों से रस चूसते हैं, जिससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं।
इनके अंडे पत्तियों की निचली सतह पर झुँड में सफेद रोमों से ढंके रहते हैं। ग्रसित फसल की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती है, क्योंकि इस कीट के शिशु और वयस्कों द्वारा इनका रस चूस लिया गया होता है। पीली पत्तियों से कभी कभी किसानों को ऐसा भ्रम हो जाता है कि फसल में किन्हीं पोषक तत्वों की कमी है, लेकिन ऐसा नहीं है। रस चूसते समय यह कीट पत्तियों पर एक लसलसा सा पदार्थ छोड़ता है, जिससे पत्तियों पर काली फफूंद उगने लगती हैं। समूचे पत्ते काले पड़ने लगते हैं और पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा पड़ने लगती है।
अप्रैल-मई महीने में पायरिला के परजीवी इपीरिकेनिया मिलैनोल्यूका के सफेद रंग के ककून अगर खेत में दिखाई देते हैं, तो ऐसे में किसी कीटनाशक के इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है, बल्कि इससे बचाव के लिए सिंचाई करके नमी बनाए रखनी चाहिए।
बारिश के बाद करीब 80 प्रतिशत पायरिला का नियंत्रण हो जाता है।
मेटाराइजियम एनीसोपली फफूंदी प्रकृति से पायरिला को नष्ट किया जा सकता है। मानसून के समय इस फफूंदी का छिड़काव करने पर 90 प्रतिशत तक पायरिला नष्ट हो जाते हैं।
ऐसे करें बचाव
खेतों के आसपास खरपतवार न जमा होने दें।
खेतों की सुबह-शाम निगरानी करते रहें।
अगर गन्ने की पत्तियों में सफेद रूई नुमा धागे वाई के आकार की संरचना दिखाई दे रही है तो इन्हें तत्काल काटकर जला दें या गड्ढे में दबा दें।
जब तक कीटों का प्रकोप है यूरिया का प्रयोग ना करें।
रासायनिक कीटनाशकों के प्रयोग करने से बचें क्योंकि आप के खेतों में पायरिला के दुश्मन यानी किसानों का मित्र कीट इपिरकानिया मौजूद रहते हैं जो कीटनाशक डालने पर सबसे पहले नष्ट हो जाएंगे।
अगर प्रभावित फसल में इपीरिकेनिया मिलैनोल्यूका परजीवी के ककून दिखाई देते हें, तो नीचे दिए कुछ कीटनाशकों को 625 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर सकते हैं।
1. क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. दर 800 मिली।
2. प्रोफेनोफॉस 40 प्रतिशत + साइपर 4 प्रतिशत ई.सी दर 750 मिली।
3. क्वीनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. दर 800 मिली।
साभार: उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद, शाहजहाँपुर