2020 तक ऑनलाइन हो जाएं सारे भारतीय तो बढ़ेगी जीडीपी

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यदि इंटरनेट की कीमत में 66 फीसदी की गिरावट होती है तो पांच में से चार भारतीय इंटरनेट का खर्च वहन करने में समर्थ हो सकते हैं। यह आंकड़े इंटरनेट की पहुंच पर फेसबुक से अधिकृत एक रिपोर्ट में सामने आए हैं लेकिन भारतीय दूरसंचार कंपनियां पहले से ही 11 फीसदी नुकसान में हैं जिससे कीमत में कटौती कर पाना मुश्किल है। 

इन आंकड़ों का अर्थ हुआ कि यदि 80 फीसदी आबादी तक इंटरनेट पहुंचाना है तो वर्तमान में जो डाटा प्लान 100 रुपए का है उसे घटाकर 34 रुपए का बनाना चाहिए लेकिन प्रतिकूल अर्थव्यवस्था से संकेत मिलता है कि यह बिना सरकार के हस्तक्षेप के संभव नहीं है, जिसकी 2018 तक भारत के 250,000 पंचायतों को ब्रॉडबैंड से जोड़ने की 20,000 करोड़ रुपए (2.9 बिलियन डॉलर) की योजना अपने निर्धारित समय सीमा से तीन वर्ष पीछे चल रही है।

सितंबर 2015 तक 29 फीसदी भारतीयों 35.4 करोड़ (354 मिलियन उपयोगकर्ता) तक इंटरनेट की पहुंच थी। जून 2016 तक यह संख्या 39 फीसदी, 462 मिलियन तक पहुंच सकती है। इसी महीने जारी की गई फेसबुक अधिकृत रिपोर्ट के अनुसार यदि 100 फीसदी भारतीयों तक इंटरनेट पहुंचता है तो 2020 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अतिरिक्त एक ट्रिलियन डॉलर (100000 करोड़) का इज़ाफा हो सकता है। इसे परिप्रेक्ष्य में डालने के लिए, विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, 2014 में पहली बार भारत का जीडीपी दो ट्रिलियन (200000 करोड़) डॉलर तक पहुंचा है।

डाटा लागत के अनुकूलन के लिए, रिपोर्ट में 500 एमबी डेटा योजनाओं पर विचार किया गया है। यदि व्यक्ति की मासिक आय से इसकी लागत पांच फीसदी कम लागत होती है तो उन्हें “वहन करने योग्य” में वर्गीकृत किया गया है।

“कनेक्टिंग का वर्ल्ड : टेन मेकैनिज़म फॉर ग्लोबल इन्क्लूशन” नाम की रिपोर्ट फेसबुक के लिए प्राइस वाटर हाउस कूपर्स द्वारा किए गए अध्ययन पर आधारित है।

इंटरनेट पहुंच से जीडीपी में वृद्धि

फेसबुक रिपोर्ट कहती है कि यदि हरेक इंसान तक इंटरनेट पहुंचता है तो 2020 तक वैश्विक जीडीपी में अतिरिक्त  6.7 ट्रिलियन (670000 करोड़) डॉलर तक वृद्धि हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो चीन और भारत की जीडीपी 2.089 ट्रिलियन (208900 करोड़) तक पहुंच सकती है जोकि छह साल की अवधि में दुनिया के उत्पादन का लगभग एक तिहाई है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि, सर्वव्यापी रूप से इंटरनेट का इस्तेमाल होने से दुनिया भर से करीब आधे बिलियन लोग गरीबी से बाहर हो सकते हैं। 

लेकिन क्या कीमत में कटौती करना संभव है?

यह दिखाने के लिए कि भारतीय टेलीकॉम कंपनियों को डाटा की बिक्री से 11 फीसदी का घाटा हो रहा है, रिपोर्ट में जेपी मॉर्गन विश्लेषण उद्धृत किया गया है। नकारात्मक मार्जिन के साथ अन्य विकासशील देशों के उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में कहा गया, “इन बाजारों के अधिकांश ऑपरेटर पहले से ही बहुत कम कीमतों पर डाटा उपलब्ध करा रहे हैं और डाटा पर नकारात्मक मार्जिन है और इससे इन्हें कीमतों में और अधिक कटौती करना मुश्किल है।”

इंडोनेशिया के नकारात्मक मार्जिन 197 फीसदी है, इसकी तुलना में, जापान का लाभ मार्जिन 46 फीसदी है। भारत में,  करीब 70 फीसदी कनेक्शन 2जी नेटवर्क पर हैं लेकिन यह डाटा सेवाएं टेलीकॉम कंपनियों के लिए अब लाभदायक नहीं हैं। उदाहरण के लिए, भारती एयरटेल को इसकी 2जी डेटा सेवाओं का ब्रेक इवन सुनिश्चित करने के लिए प्रति माह प्रति साइट के 1,000 से अधिक ग्रामीण उपयोगकर्ताओं की जरूरत है। 2जी पर आवाज सेवाएं प्रदान करना अधिक लाभदायक है–ब्रेक इवन तक पहुंचने के लिए कंपनी को प्रति माह प्रति साइट के लिए 480 से अधिक ग्राहकों की जरूरत नहीं होगी।

संकलन : सुकुमार 

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