अब नई पहल से साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी से निपटने की है तैयारी

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने की बड़ी करवाई, जानिए क्या है साइबर अपराध और ऑनलाइन धोखाधड़ी से बचाने के लिए सरकार की योजना।
Cyber crime

पिछले एक दशक में तकनीक और डिजिटल बैंकिंग के मामलें में देश ने काफी तरक्की की है , इसी का नतीजा है कि सुविधा, सुलभता में बढ़ोत्तरी के साथ साथ ऑनलाइन काम से पारदर्शिता भी बढ़ी है। लेकिन साथ ही साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में भी बढ़ोत्तरी हुई है और यह एक समस्या के रूप में हमारे सामने है।

डीएफएस (वित्तीय सेवा विभाग, भारत सरकार) के सचिव विवेक जोशी ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामलों पर नियंत्रण के लिए देश के बारह प्रमुख संगठनों के साथ बैठक की। इनमें आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), राजस्व विभाग (डीओआर), गृह मंत्रालय (एमएचए), इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (माइटी), दूरसंचार विभाग (डीओटी), भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई), भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई), भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।

जानिए क्या हुई करवाई?

दूरसंचार विभाग ने वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े लगभग 1.4 लाख मोबाइल हैंडसेट ब्लॉक कर दिए हैं; प्रतिबिम्ब पोर्टल के जरिए अप्रैल 2023 से अब तक 500 से अधिक गिरफ्तार हुए और लगभग 3.08 लाख सिम, 50 हज़ार आईएमईआई ब्लॉक किए गए। बैंक और वित्तीय संस्थान वाणिज्यिक/प्रचार गतिविधियों के लिए 10-अंकों की संख्याओं का इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद होगा। ‘140xxx’ जैसी खास नंबर सीरीज का उपयोग किया जाएगा।

साथ ही डीओटी ने बल्क एसएमएस भेजने वाली 35 लाख प्रमुख संस्थाओं का विश्लेषण किया। इनमें से, दुर्भावनापूर्ण एसएमएस भेजने में शामिल 19,776 प्रमुख संस्थाओं को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। साथ ही 30,700 एसएमएस हेडर और 1,95,766 एसएमएस टेम्पलेट्स का संपर्क काट दिया (डिस्कनेक्ट) गया है।

क्या है वित्तीय सेवा विभाग की योजना

डॉ विवेक जोशी की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी की चुनौती से निपटने के लिए एपीआई एकीकरण के माध्यम से सिटीजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (सीएफसीएफआरएमएस) प्लेटफॉर्म पर बैंकों/वित्तीय संस्थानों को का निर्णय लिया गया। साथ ही सभी प्लेटफार्मों को केन्द्रीयकृत करने के मकसद से राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के साथ सीएफसीएफआरएमएस प्लेटफॉर्म का एकीकरण, जो पुलिस, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच प्रभावी सहयोग को सक्षम बनाएगा, जिससे वास्तविक समय में निगरानी और धोखाधड़ी गतिविधियों की रोकथाम संभव हो सकेगी।

विशेष नम्बर का इस्तेमाल

अक्सर ऑनलाइन प्रचार में लोग बैंक का नंबर बताकर धोखाधड़ी के मामलों को अंजाम देते हैं, सामान्य जानकारी वाले उपभोक्ता इस तरह के फ्रॉड कॉल के चक्कर में आकर ठगी का शिकार हो जाते हैं। ऐसे मामले से और ऑनलाइन धोखाधडी से ग्राहकों को बचाने के लिए अब बैंक और वित्तिय संस्थान कमर्शियल/प्रचार और कनेक्ट के लिए ट्राई की तरफ से निर्धारित विशेष अंकों वाली सीरिज ‘140xxx’ के उपयोग करने की योजना है।

साथ ही धोखाधड़ी और साइबर अपराध की शिकायतों के समाधान के लिए संसाधनों की चौबीस घंटे यानी हर समय उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, जिससे शिकायतों की तुलना में पकड़े जाने का अनुपात (फ्रॉड टू होल्ड) में आएगा।

इस बैठक में धोखाधड़ी वाले खातों से पीड़ित को धन वापस करने के लिए एक कार्य योजना/एसओपी तैयार करना। साथ ही बैंकों और वित्तीय संस्थानों को डिजिटल भुगतान की सुरक्षा पर क्षेत्रीय भाषाओं में अतिरिक्त ग्राहक जागरूकता और संवेदीकरण कार्यक्रमों को आयोजन करने, कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के लिए विश्लेषण को आसान बनाने के लिए बैंकों/वित्तीय संस्थानों द्वारा मानकीकृत प्रारूप में जानकारी साझा करने पर चर्चा की गयी।

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