गुजरात के किसान की अनोखी शादी: कार्ड में खेती की जानकारी, समारोह में 25 इनोवेटर्स की प्रदर्शनी

आम शादियों से बहुत खास इस शादी में किसानों ने खेती-किसानी, पशुपालन, भण्डारण आदि के बारे में जानी नई बातें। कई लोग फोन कर के जोड़े को बुला रहे हैं घर, दे रहे हैं दावत का न्यौता।
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लखनऊ। आमतौर पर शादियों में नाच-गाना होता है। धूम-धाम से बारात निकलती है। खाने-पीना का बेहतरीन इंतज़ाम होता है, बहुत सारा बर्बाद भी होता है। कोई फूफा नाराज़ होते हैं तो कहीं मौसी रूठ जाती हैं। कहीं दुल्हन के इंतज़ार में बच्चे सो जाते हैं तो दूल्हे के नखरों में मुहूर्त निकल जाता है पर गुजरात में एक निराली शादी हुई। यहां न तो खाने की बर्बादी हुई, न ही प्लास्टिक का इस्तेमाल बल्कि जो हुआ उसने हज़ारों लोगों की मदद की, उनमें जागरुकता फैलाई।

गुजरात राज्य के पंचमहल जिले की कलोल नगरपालिका में आने वाले गांव कंडाच में हुई इस शादी में दूर-दूर से किसान शामिल हुए। चेतन और आवृत्ति की शादी 11 नवंबर 2018 को बिल्कुल अलग अंदाज़ में हुई। किसानों ने खेती की विविध तकनीकों, नए अविष्कारों की प्रदर्शनी लगाई। शामिल होने वाले मेहमानों में भी अधिकतर किसान ही थे। उनको प्रदर्शनी में खेती-किसानी के बारे में बहुत सी नई और रोचक जानकारियां मिलीं। साथ ही जिन किसानों ने प्रदर्शनी लगाई उनके काम को प्रोत्साहन और पहचान भी मिली।

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चेतन और आवृत्ति की शादी में 25 इनोवेटर्स ने लगाई थी प्रदर्शनी। फोटो- चेतन

चेतन ज़मीनी स्तर पर अविष्कार करने वाले लोगों के लिए काम करने वाली संस्था ‘सृष्टि’ के लिए काम करते हैं। वो इस संस्था से पिछले 10-11 सालों से जुड़े हुए हैं। ये संस्था ग्रामीण किसानों या किसी महिला ने कोई नई खोज की है तो उन्हें आगे बढ़ाने का काम करती है। जो भी किसान कोई नया प्रयोग करता है ऐसे प्रयोगों को बाकी किसानों तक पहुंचाने का काम करती है।

गाँव कनेक्शन से फोन पर बात करते हुए चेतन बताते हैं-

“जब मेरी शादी हुई तो मुझे ख्याल आया कि आजकल किसानों का खर्चा बढ़ रहा है लेकिन आमदनी उतनी ही रहती है। मैंने अपनी शादी के कार्ड में खेती के ऐसे अभ्यासों के बारे में छपवाया जिनमें किसानों को लागत कम आए और मुनाफा ज़्यादा हो। इसके अलावा पशु पालन के कई तरीकों के बारे में लिखा। साथ ही हरे चारे के भण्डारण के बारे में लिखा और गांव के किसानों ने जो अविष्कार किए हैं उनके बारे में भी लिखा।”

इसके पीछे का कारण चेतन बताते हैं कि, “ये मैंने इसलिए किया ताकि मेरी शादी का कॉर्ड जिस किसी के भी पास जाए उसे इतनी जानकारी तो मिले ही मिले।” 

चेतन और आवृत्ति की शादी का कॉर्ड – 

चेतन की पत्नी आवृत्ति भी उनके इस निर्णय में उनके साथ थीं। वो आगे कहते हैं, “कृषि मेले में 100-200 से ज़्यादा लोग आते नहीं हैं, फिर किसानों को आमंत्रण दिया जाता है, खर्चा बहुत होता है। खेती से जुड़े जो ज़मीनी स्तर के अविष्कारक हैं, मैंने उनकी प्रदर्शनी अपनी शादी में लगाई ताकि जो लोग मेरी शादी में आएं वो नई तकनीकों और अविष्कारों के बारे में जान सकें।”

“मेरी शादी में वैसे भी 90 प्रतिशत किसान ही आने वाले थे, मुश्किल से 10 प्रतिशत व्यवसायी लोग थे। लगभग 25 किसानों के अविष्कारों की एक छोटी सी प्रदर्शनी मैंने लगवाई जिससे जो भी लोग मेरी शादी में आए वो जान पाए कि हमारे देश के किसान किस तरह से खुद नई-नई तकनीकों का अविष्कार कर रहे हैं। साथ ही उन्हें प्रेरणा मिली कि वो भी नई तकनीकों का अविष्कार कर इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर ज़रूरत है तो दूसरे किसानों से खरीद भी सकते हैं,” – चेतन आगे बताते हैं। वो कहते हैं-

“लगभग 350 खेती-किसानी और पशु पालन से सम्बन्धित तकनीकों के बारे में हमने कॉर्ड में छापा था। जैसे गेंहूं में कई बार कीड़े लग जाते हैं तो अगर आप उनमें सूखी मिर्च डाल देंगे तो गेंहू खराब नहीं होगा। मूंगफली दानों में कई बार सड़न आ जाती है तो अगर आप उसमें सूखे पुदीना के पत्तों को डाल दो तो वो नहीं सड़ेंगे। इस ही तरह की खेती किसानी, पशुपालन, भण्डारण, नई तकनीकों और अविष्कारों के बारे में जानकारी हमने शादी के कॉर्ड में छपवाई थी।”

चेतन की शादी में लगभग 3500 लोग आए थे। इनके अलावा वो बताते हैं कि उन्होंने करीब 1000 लोगों को शादी के कॉर्ड का पीडीएफ भेजा है। उनके पास करीब 50-60 लोग फोन कर चुके हैं कि वो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं और उन्हें खाना खाने के लिए कई निमंत्रण भी मिले हैं।

फोटो- चेतन

चेतन कहते हैं, “लोग शादी के कॉर्ड के आखिरी पन्ने पर भगवान का फोटो छापते हैं पर मैंने दो छोटी लड़कियों का फोटो छापवाया और लिखवाया कि, ‘कोख से तो मैं बच के आई हूं, मुझे पढ़ा दीजिए तो दहेज़ से भी बच जाऊंगी।’ इससे ये होता है कि किसी के भी हाथ में जाएगा तो एक मैसेज जाता है।”

चेतन बताते हैं कि वो प्लास्टिक के धुर विरोधी हैं। शादी में प्लास्टिक बहुत इस्तेमाल होती है, प्लास्टिक के प्लेट, चम्मच, गिलास वगैरह। उन्होंने अपने पापा से बहुत झगड़ा किया लेकिन प्लास्टिक इस्तेमाल नहीं करने दिया। शादी में पानी वगैरह पीने में थोड़ी दिक्कत आई लेकिन प्लास्टिक का प्रयोग उन्होंने नहीं किया। उन्होंने स्टील की थाली, चम्मच और गिलास का प्रयोग किया था।

चेतन ने प्लास्टिक न इस्तेमाल करने के साथ-साथ खाना बर्बाद होने से बचाने के लिए एक और बेहतर काम किया। उन्होंने 1500 पेन प्रिंट करवाए और उनके ऊपर ‘सेव फूड, सेव लाइफ’ (खाना बचाओ, ज़िन्दगी बचाओ) लिखवाया। जिन भी लोगों ने पूरा खाना खाया और कुछ भी थाली में नहीं छोड़ा उन्हें शुक्रिया कहा और पेन तोहफे में दिए।

शादी में शामिल हुए 3500 लोगों में से लगभग 1200-1300 लोग ऐसे थे जिन्होंने अपनी थाली में लिया पूरा खाना खाया। चेतन कहते हैं कि, “मेरे मन में था कि लोगों में जागरुकता हो कि किसी की भी शादी हो हमें खाना बर्बाद नहीं करना चाहिए।”

चेतन कहते हैं, “लोग अच्छी शुरूआत तो चाहते हैं लेकिन अपने घर से नहीं दूसरे के घर से। लोग बेटी और बहू में अंतर करते हैं इस अंतर को मिटाने के लिए हमने जब मेरी पत्नी घर आईं तो दोनों और फूल बिछाए और 500 फीट तक दिए जलाए थे। उनके बीच में से मेरी पत्नी ने घर के अन्दर प्रवेश किया। अगर मैं अपनी पत्नी का सम्मान करूंगा तो पूरी दुनिया करेगी। मैं ही नहीं करूंगा तो बाकी लोग क्यों करेंगे।”फफ

फोटो- चेतन

चेतन ने ग्रामीण अध्ययन विषय में स्नातक की पढ़ाई की है। समाजशास्त्र विषय से परास्नातक की पढ़ाई की और फिलहाल समाजशास्त्र से ही एम फिल कर रहे हैं। वहीं आवृत्ति ने भौतिक विज्ञान में स्नातक किया है और फिलहाल बीएड कर रही हैं।

चेतन कहने में नहीं करके दिखाने में विश्वास रखते हैं। वो कहते हैं, “मैं रचनात्मक इन्सान हूं। मैंने हमेशा से सोचा था कि अपनी शादी में कुछ अलग करूंगा। मैं हमेशा कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करता हूं। अभी मेरे भतीजे की शादी होने वाली है तो मैं अभी से सोच रहा हूं कि क्या नया करूं।”

चेतन के भाई की शादी के कुछ ही दिन पहले पुलवामा में आतंकवादी हमला हुआ था। शादी तो पहले से ही तय थी, सारे इंतज़ाम हो चुके थे। शादी में देरी करना मुमकिन नहीं था तो उन्होंने शहीदों की याद में 20*20 का बैनर लगवाया था। जो भी लोग उनके यहां आए उन्होंने पहले शहीदों के नाम मोमबत्ती जलाई फिर शादी में शामिल हुए।

स्कूल के बच्चों के साथ चेतन और आवृत्ति। फोटो- चेतन

चेतन और आवृत्ति की शादी के दो-तीन दिन बाद आवृत्ति का जन्मदिन होता है। दोनों ने इस बार आवृत्ति का जन्मदिन नवानविसर प्राथमिक विद्यालय में जाकर मनाया था। चेतन ने बताया –

“इस स्कूल का एक नियम होता है कि जिसका भी जन्मदिन होता है उसका सबसे अच्छा दोस्त उसके बारे में पांच मिनट तक बोलता है। मेरी पत्नी के जन्मदिन के दिन जब हम वहां गए तो स्कूल के बच्चों ने उसके लिए हाथ से जन्मदिन कॉर्ड बनाए थे। इसके बाद मुझे आवृत्ति के बारे में पांच मिनट बोलने को कहा। छोटे-छोटे स्कूलों में भी कितने नवाचार होते हैं ये जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा। स्कूल के बच्चों के लिए हम घर से तोहफे और नाश्ता वगैरह लेकर गए थे। हमने उन्हें खिलाया, तोहफे भी दिए।”

उनके दिमाग में ये ख्याल कैसे आया इस पर चेतन बताते हैं कि, “पिछले साल जब हम आवृत्ति का जन्मदिन मनाने अपने दोस्तों के साथ होटल गए थे तो वहां दो दोस्तों में लड़ाई हो गई। अब जन्मदिन तो एक तरफ रह गया उनको मनाने में ही पूरा समय बर्बाद हो गया। तब मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि वो मेरे दोस्तों के साथ पार्टी में नहीं जाएगी इससे तो अच्छा है कि वो किसी स्कूल में जाकर अपना जन्मदिन मनाए। होटल में पार्टी करके दस-पंद्रह हज़ार रुपए खर्च करने से तो बेहतर है कि स्कूल के बच्चों के साथ जन्मदिन मनाया जाए और उनके ऊपर पैसे खर्च किए जाएं।”

सृष्टि संस्था के ज़रिए चेतन ने विदेशी बच्चों के साथ भी काम किया है। फोटो- चेतन

इस घटना के बाद से ये उनकी परंपरा बन गई है। अब दोनों में से किसी का भी जन्मदिन होता है तो किसी स्कूल या कुछ ऐसे सेन्टर्स में जाकर वो लोग जन्मदिन मनाते हैं।

चेतन गाँव कनेक्शन से फोन पर बात करते हुए कहते हैं, “हम ज़्यादा कॉर्ड प्रिंट नहीं करवा सकते थे, जब पिछली बार 1500 कॉर्ड छपवाए थे तो 40 हज़ार खर्चा आया था इसलिए हम लोगों को पीडीएफ भेज देते हैं। हमने जो प्रदर्शनी लगाई थी उससे उन किसानों को भी फायदा हुआ, लोग उन लोगों तक पहुंच रहे हैं और उनकी तकनीकों के बारे में जानना चाहते हैं। हम अभी तक लगभग 1000 लोगों को ये पीडीएफ भेज चुके हैं।”

वो ये भी बताते हैं-

“लोग शादियों में बहुत खर्चा करते हैं। अम्बानी ने अपनी बेटी की शादी में दो लाख रुपए का कॉर्ड छपवाया था पर उससे कुछ फायदा हुआ? लोगों में जागरुकता बढ़ी? नहीं, तो मैं चाहता हूं कि हम लोग जो भी कुछ नया करें उससे समाज को, प्रकृति को कुछ न कुछ फायदा हो। साथ ही लोगों को अच्छी जानकारियां मिलें।”

फोटो – चेतन

चेतन की शादी पहले होनी थी लेकिन आवृत्ति के पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उसमें देरी करनी पड़ी। पहले भी उन्होंने कॉर्ड छपवा लिए थे। उनमें भी खेती-किसानी के बारे में ये सारी जानकारियां थीं। वो कॉर्ड उनके घर पर ही रखे हुए थे।

वो बताते हैं कि, “गांव में क्या होता है कि अपने गांव में कॉर्ड नहीं दिया जाता उन्हें मुंह से ही बोल देते हैं कि आपको शादी में आना है। अब हमारे गांव से कोई व्यक्ति दूसरे गांव गया और उसने मेरी शादी का कॉर्ड देखा तो वो हमारे घर झगड़ा करने आ गया कि इतनी बेहतर जानकारी आपने अपने ही गांव में नहीं बांटी और दूसरे गांव में बांटी है। उसने मेरे पापा से झगड़ा किया तो हमने पुराने रखे कॉर्ड्स में से उसे दे दिए। साथ ही पूरे गांव में भी लोगों को एक प्रति पहुंचा दी ताकि आगे से कोई ऐसा न कह सके।” 

इस शादी के बारे में जानकर हम सबको प्रेरणा मिलती है। हम लोग कितने पैसे खर्च करते हैं फिर भी शादी से हम ही कुछ नहीं सीख पाते तो कोई और क्या सीखेगा लेकिन चेतन और आवृत्ति की शादी ने न सिर्फ उन 25 किसानों को पहचान दी बल्कि हज़ारों आम लोगों की मदद की। हमें भी शादियों को किस तरह नए तरीके से किया जा सकता है, किस तरह हम समाज और प्रकृति के लिए कुछ बेहतर कर सकते हैं इस बारे में सोचना चाहिए।

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