फसल पर उकेरी किसानों की पीड़ा, महिलाओं के लिए बनाया स्पेशल शौचालय, गाँव की सूरत बदल रहे ये युवा

मध्य प्रदेश

लखनऊ। महाराष्ट्र की सीमा पर मध्य प्रदेश का जिला है छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा कभी अंग्रेजों की आर्थिक राजधानी हुआ करती थी। यहां छह से ज्यादा कोयले की खानें थीं। ये जिला इन दिनों फिर चर्चा में है। यहां के कुछ युवा कलाकार अपने गांव पारड़सिंगा की सूरत बदलने में लगे हैं। पारड़सिंगा जिला मुख्यालय से लगभग 70 किमी दूरी पर है।

सौंसर के ग्राम पंचायत पारड़सिंगा में किसानों के लिए मूलभूत सुविधाओं की कमी है। पर्याप्त पानी न होने के कारण फसल नहीं हो पाती थी, लेकिन, किसानों को इन समस्या से निजात दिलाने का बीड़ा उठाया गांव के ही कुछ युवा कलाकारों ने। 30 वर्षीय श्वेता भट्टड़ पेशे से मूर्ती कलाकार हैं। इसी उम्र के परविंदर कोरियोग्राफर हैं तो 18 साल के युवा आर्दश ढोके सीए की पढ़ाई कर रहे हैं तो युवा किसाना गणेश ढोके ग्रेजुएशन के छात्र हैं। ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट के तहत ये युवा किसानों के साथ-साथ महिलाओं को सफाई के प्रति जागरूक कर रहे हैं। ग्राम आर्ट प्रोजेक्ट एनजीओ नहीं बल्कि ये एक प्रयास का नाम है।

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ईको फ्रेंडली शौचालय का निर्माण

श्वेता भट्टड़ ने गाँव कनेक्शन को बताया कि यहां पहले महिलाएं खुले में शौच जाती थीं। उसके पीछे शौचालय का ना होना बड़ा कारण तो था ही साथ ही मुख्य समस्या ये भी थी कि महिलाएं ग्रुप में शौच जाती थीं ताकि वहां आपस में बात कर सकें, हमने इन्हीं सबको देखते हुए ईको फ्रेंडली शौचालय बनवाया जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया सकता है। शौचालय ऊपर से पूरी तरह खुला है। इसकी खास बात ये है कि इससे निकलने वाले यूरीन से खाद बनाया जा रहा है।

गाँव की महिलाओं के लिए बनाया गया स्पेशल शाैचालय। 

लाइब्रेरी में आती हैं कई देशों से किताबें

श्वेता भट्टड़ ने अपने घर में ग्राम आर्ट लाइब्रेरी बनवाया है। इस लाइब्रेरी में दुनियाभर से लोग किताबें भेजते हैं। श्वेता कहती हैं कि अभी तक इस लाइब्रेरी में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया इटली सहित कई देशों से किताबें दान स्वरूप आ चुकी हैं। वहीं परविंदर ने बताया कि वे यहां आने वाले बच्चों को डांस की भी बारीकियां सीखाते हैं तो आदर्श उन्हें शिक्षा देते हैं।

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लाइब्रेरी में रखीं किताबें।

मिलकर किया डेढ़ किमी सड़क का निर्माण

पारड़सिंगा सतनुर रोड से खेत तक जाने वाला रास्ता बरसात के समय में पूरी तरह डूब जाता था। वहां 40 किसानों की लगभग 450 एकड़ जमीन है। ऐसे में किसान बरसाती फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते थे। ग्राम आर्ट ग्रुप ने बिना किसी से आर्थिक मदद लिए डेढ़ किमी सड़क बनवाया। खुद मजदूरी की, पत्थर उठाया और चंदा इकट्ठा कर सड़क को खेतों से जोड़ा। किसान गणेश ढोके ने इसके लिए पहल की । जिसके बाद गांव के अन्य किसान भी आगे आए। श्वेता भट्टड़ ने पानी के गिरते स्तर को रोकने के लिए अपने खेत में तालाब का निर्माण भी करवाया है।

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बाहर से कलाकारों के साथ श्वेता।

लैंड आर्ट फेस्टिवल में आए कई देशों के कलाकर और किसान

श्वेता अपने अन्य कलाकार और युवा किसानों के साथ मिलकर भारत का पहला लैंड आर्ट उत्सव का आयोजन किया। दस उत्सव का मकसद था कि किसानों को मिट्टी और बीत की प्रकृति के बारे में बताया जाए। ये आयोजन पिछले साल 25 दिसंबर 2016 से 15 जनवरी 2017 तक मनाया गया। युवाओं ने फसलों से 5000 स्क्वायर फीट में देश के प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर बनाकर किसानों के लिए अपील की थी।

पारड़सिंगा के 24500 स्क्वायर फीट में पत्तियों और सब्जियों से सात अलग-अलग तरह के ग्रोविंग ईमेज तैयार किए गए। इन तस्वीरों से किसानों की समस्याओं की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास युवा कलाकारों ने किया। फेस्टिवल में देश के अलग-अगल राज्यों से भी कलाकारों और किसानों ने भाग लिया। फेस्टिवल की खास बात ये रही कि यहां देसी सीड्स के बारे में किसानों को जागरूक किया गया।

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पानी की समस्या को देखते हुए एक छोटा तालाब भी बनवाया गया है।

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