नक्सलियों के डर से छोड़ा था झारखंड , बन गए सोनभद्र के सफल किसान

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स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। पच्चीस साल पहले नक्सलियों से परेशान होकर झारखंड से सोनभद्र आए ब्रह्मदेव को भी नहीं पता था कि आज वो जिले के उन्नत किसानों में शामिल हो जाएंगे। कम पानी में कैसे खेती की जाती है, लोग उनसे सीखने आते हैं।

सोनभद्र जिले के घोरावल ब्लॉक के मरसड़ा गाँव के किसान ब्रह्मदेव कुशवाहा (52 वर्ष) आज हल्दी, जिमीकंद, स्ट्राबेरी जैसी फसलों की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। ब्रह्मदेव बताते हैं, “झारखंड में मेरा मकान था, जहां पर मैं इलेक्ट्रिक सामानों की दुकान चलाता था, वहां पर उस समय नक्सलियों ने परेशान कर दिया था, जेब में सिर्फ सत्तर हजार रुपए थे, वही लेकर सोनभद्र में आ गया।”

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सोनभद्र में आकर ब्रह्मदेव ने पहले पांच बीघा खेत खरीदकर खेती शुरु। ब्रह्मदेव बताते हैं, “पांच बीघा खेत से आज मैंने 15 बीघा खेत खरीद लिया, जिसमें हल्दी, जिमिकंद, गेहूं, मटर, मसूर, अरहर, स्ट्रबेरी और साग सब्जियों की भी खेती करता हूं।”

सोलर पंप से करते हैं सिंचाई।

ब्रह्मदेव बाजार देखकर खेती करते हैं, कि बाजार में किस समय कौन सी फसल से फायदा कितना फायदा होगा। “पिछले साल जिमिकंद बाजार में सस्ता था, तो किसानों को बहुत नूकसान हुआ था, इसलिए इस बार लोगों ने कम लगाया, लेकिन इस बार मैंने इसकी खेती और अच्छा मुनाफा भी कमाया।” ब्रह्मदेव ने बताया।

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ब्रह्मदेव खेती के साथ हल्दी और जिमिकंद का बीज भी किसानों को बेचते हैं, जिससे अतिरिक्त मुनाफा हो जाता है। अपने उत्पादों की मार्केटिंग भी ब्रह्मदेव खुद ही करते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक भी समय-समय पर उनको उन्नत खेती की जानकारी देते रहते हैं। ब्रह्म देव बताते हैं, “मैं पिछले कई वर्षों से हल्दी की खेती करते आ रहा हूं, लेकिन इस बार नरेन्द्र-एक किस्म लगाया है। हमारे यहां सिंचाई की बहुत परेशानी है। इस किस्म में कम पानी में ही ज्यादा पैदावार मिल जाती हैं।”

कृषि विज्ञान केन्द्र की मदद से कर रहे उन्नत खेती

ऐसे में कृषि विज्ञान केन्द्र ऐसी फसलों की जानकारी दे रहा है, जिससे कम पानी और लागत में किसान ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। उन्होंने स्प्रिंकलर और दूसरे आधुनिेक यंत्रों की सहायता से वो उन्नत खेती करते हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र, सोनभद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. संजीत कुमार कहते हैं, “जिले में ऐसे कई किसान हैं, जिन्होंने कम खेती में ही ज्यादा मुनाफा कमाने का तरीका अपना लिया है, ब्रह्मदेव बाजार देखकर खेती हैं, इससे उन्हें ज्यादा फायदा होता है। कृषि विज्ञान केन्द्र समय-समय पर किसानों को जानकारियां देता रहता है।”

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तालाब में एकत्रित करते हैं बारिश का पानी, आता है सिंचाई के काम

सोनभद्र में सिंचाई की समस्या रहती है, जिससे निपटने का तरीका भी ब्रह्मदेव ने निकाल लिया है। उन्होंने अपने खेत में ट्यूबवेल लगा रखे हैं साथ ही दो बिस्वा का तालाब भी बना रखा है, जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा कर लेते हैं, जो आगे सिंचाई में काम आता है।

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